पोषक और संतुलित आहार बढ़ती आयु के बच्चों की प्राथमिक आवश्यकता होती है। खान-पान की सही आदतों का विकास बचपन से ही किया जाना चाहिए। बचपन में लिए गए पोषक आहार का लाभ आजीवन होता है। अतः बढ़ती आयु में सही पोषण मिलना आवश्यक है।
शिशु के जन्म से लेकर दो वर्ष की आयु तक पोषक आहार का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
शिशु की आयु के हिसाब से हम उसके आहार का वर्गीकरण कर सकते हैं।
1) जन्म से लेकर छह माह तक के शिशुओं के लिए आहार
इस आयु में माता का दूध सर्वोत्तम आहार है। किन्हीं कारणों से माता का दूध न दिया जा सके तो डिब्बाबंद पाउडर दूध दिया जा सकता है लेकिन डॉक्टर की सलाह से सही मात्रा एवं कितनी बार दूध दिया जाना है यह सुनिश्चित कर लें। इस आयु में शिशु को जब भी आवश्यकता हो दूध स्तनपान दिया जाना चाहिए। यदि शिशु 6-7 बार मूत्र विसर्जन करता हो और उसके भार में उचित वृद्धि हो रही हो तो दूध की मात्रा पर्याप्त समझी जा सकती है।
( और पढ़े – स्तनपान कराने का सही तरीका )
2) छह माह से आठ माह की आयु तक के शिशुओं के लिए आहार
अब शिशु को केवल स्तनपान ही नहीं अन्य पूरक आहार की भी आवश्यकता होती है।
शिशु को क्या दिया जा सकता है ?
- फलों से आरंभ किया जा सकता है। पका केला चम्मच से महीन मसल कर दूध के साथ एक या दो कौर से शुरुआत करें माता का दूध हो तो बेहतर।
- फिर अदल बदल कर फलों का प्रयोग करें लेकिन सीमित मात्रा में यह आहार दें, धीरे-धीरे आहार में वृद्धि करें।
- धीरे-धीरे मुलायम पका चावल मसलकर दूध मिलाकर चम्मच से खिलाएँ।
- चावल और मूंग दाल की पतली खिचड़ी दें।
- गाजर, कद्दू, बीट और टमाटर का सूप देने से शिशु का नए स्वाद से परिचय होगा।
- दाल या चावल का पानी न दें। उससे पेट तो भरेगा पर पोषण नहीं मिलेगा।
जब शिशु स्वाद लेकर खाना सीख जाए तो उसे यह आहार दें –
गेहूँ, चावल, रागी और मूंग दाल मिलाकर सेक लें और बारीक पिसवा लें। डिब्बे में भरकर रखें। दूध डालकर इस मिश्रण से खीर बनाई जा सकती है। घी, शक्कर और दूध के प्रयोग से हलवा या लापसी भी बनाई जा सकती है।
( और पढ़े – घर में बनाये पौष्टिक शिशु आहार )
3) आठ माह से एक वर्ष तक के बच्चों के लिए आहार
शिशु को अब भाप में पकी सब्ज़ियाँ मसलकर दी जा सकती हैं। अब आहार अधिक पतला न हो बल्कि गाढ़ा हो और भोजन बहुत महीन न दें। रोटी या पराठा दाल में भिगोकर, मुलायम करके दें। दाल चावल, ढोकला, दोसा, इडली, दही चावल और उपमा भी दिया जा सकता है।
( और पढ़े – नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें )
4) एक वर्ष के बाद बच्चों के लिए आहार
घर में जो भोजन सबके लिए बनता है वह दिया जा सकता है। साथ में स्तनपान भी कराया जाना चाहिए। शिशु को कठोर वस्तुएँ न दें। स्तनपान एवं पूरक आहार का अनुपात इस प्रकार से हो।
बच्चे का आहार (भोजन) चार्ट –
6 माह तक | 100% स्तनपान | |
6 से 9 माह | 30% पूरक आहार | 70% स्तनपान |
6 से 12 माह | 50% पूरक आहार | 50% स्तनपान |
12 माह बाद | 70% पूरक आहार | 30% स्तनपान |
2 वर्ष बाद | 100% आहार |
सामान्यतः 15 माह से 3 वर्ष की आयु तक बालक में नकारात्मकता पाई जाती है। आप जो करना चाहते हैं वह ठीक उसका उलटा करना चाहता है। बालक को खाने के लिए ज़बरदस्ती न करें। उसे अपने हाथ से खाना सिखाएँ। भोजन का समय निश्चित करना मुश्किल होता है फिर भी एक नियत समय पर शिशु को भूख लगे तभी भोजन की आदत डालें।
दूध पीने के लिए ज़बरदस्ती न करें। बालक दूध न पीना चाहे तो दूध से बने अन्य पदार्थ दें। जागने पर दूध के लिए ज़बरदस्ती करने के बजाए सादा पानी देना बेहतर होगा। भोजन करने हेतु बालक को चॉकलेट और चिप्स का लालच न दें।
ध्यान रहे, इस आयु में बालक अनुकरण से ही सीखते हैं। यदि पालकों की ही आदतें खराब हों तो बालक भी वही सीखेंगे। टी. वी. के आगे बैठकर न आप खाएँ न बालक को खाने दें। भोजन के समय प्रसन्न वातावरण बनाए रखें, जिससे स्वास्थ्य की देवी प्रसन्न रहेगी।