Last Updated on May 4, 2020 by admin
तेंदू क्या है ? : What is Persimmon (Tendu) in Hindi
तेंदू समस्त भारत में छायादार नम स्थानों पर तथा नदी-नालों के किनारों पर होने वाला सदा हराभरा रहने वाला वृक्ष है। इसके वृक्षों से सरकारी जंगल विभाग को खूब आमदनी होती है। इसके पत्तों का ठेका बीड़ी तैयार करने वाले व्यापारी लिया करते हैं। वृक्ष की छाल चमड़ा रंगने के काम में आती है। लकड़ी से भी बहुत आमदनी होती है। इसकी लकड़ी अबनूस के समान चिकनी-काली होने से फर्नीचर बनाने के काम आती है।
आचार्य चरक ने उदर्द प्रशमन महाकषाय में इसकी गणना की है ।
खदिरो बदर श्चारः कदिरौ तिन्दुकोऽसनः।
सप्तपर्णेऽश्वकोश्च पार्थश्चोदर्ददारकः।।
(कविरत्न आर. कलाधर भट्ट ने चरकोक्त पंचाशत महाकषायों को सुख स्मृति के लिये छन्दोबन्ध किया है।) आचार्य सुश्रुत ने न्यग्रोधादिगण में इसका उल्लेख किया है।
कुल –
तिन्दुक कुल (एबिनेसी – Ebenaceae)
तेंदू के पेड़ का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Persimmon Tree in Different Languages
Persimmon (Tendu) Tree in –
- संस्कृत (Sanskrit) – तिन्दुक, कालास्कन्ध, असितकारक
- हिन्दी (Hindi) – तेंदु, गाभ
- गुजराती (Gujarati) – टींबररवो
- मराठी (Marathi) – टेंबुरणी
- बंगाली (Bangali) – गाव
- तामिल (Tamil) – पानिचिका
- तेलगु (Telugu) – तुमिक
- फ़ारसी (Farsi) – आबनूसे हिन्दी
- अंग्रेजी (English) – इण्डियन आर गाव पसिमन (Indian or Gaub Persimmon)
- लैटिन (Latin) – डायोस्पाइरस पिरेग्रिना (DiospyrosPeregrina (Gaertn) Gurke)
तेंदू का पेड़ कैसा होता है ? :
- तेंदू का पेड़ – लगभग 25 से 40 फुट तक का सदा हरित यह वृक्ष अनेक मुड़ी हुयी, फैली शाखा-प्रशाखाओं से युक्त, सघन पत्रों से आच्छादित होता है जिसके कारण इसकी छाया बड़ी घनी होती है।
- तेंदू की छाल – काण्डत्वक् -गाढ़े धूसर वर्ण की या कृष्ण वर्ण होती है।
- तेंदू के पत्ते (tendu patta) – हरे, स्निग्ध, आयताकार, दो पंक्तियों में क्रमबद्ध, 5-7 इंच लम्बे होते हैं।
- तेंदू के पुष्प – सफेद रंग के एवं सुगन्धित होते हैं। पुंपुष्प गुच्छबद्ध मंजरियों में तथा स्त्री पुष्प एकाकी होते हैं।
- तेंदू के फल – गोल, कठिन, मुख पर या सिर पर पंचकोण युक्त ढक्कन से लगे हुये होते हैं। कच्ची अवस्था में ये फल मुरचाई रंग के एवं अति कसैले होते हैं जो पकने पर लालिमायुक्त पीले, मधुर होते हैं। इन फलों के भीतर चीके के समान मधुर, चिकना गूदा रहता है, जो खाया जाता है। फलों में क्षत करने पर यह गोंद की तरह बाहर निकलता है। प्रत्येक फल में 4-8 बड़े बीज होते हैं जो वृक्काकार एवं चमकीले होते हैं। वृक्ष पर पुष्प अप्रेल-मई में आते हैं, फल एक वर्ष बाद पकता है।
तेंदू के प्रकार :
तेंदू (तिन्दुक) की दो उपजातियां हैं-
प्रथम – काक-तिन्दुक (काक तेंदु) , द्वितीय – विषतिन्दुक (विष तेंदू) ।
प्रथम का लैटिन नाम D. Tomentosa तथा द्वितीय का D. Montana है। द्वितीय का फल विषैला होता है। इसका प्रायः प्रत्येक भाग कड़वा और दुर्गन्धयुक्त होता है। विषतिन्दुक को कुपीलु (कुचिला) से भिन्न समझना चाहिये क्योंकि विषतिन्दुक कुचिला का भी पर्याय है।
तेंदू का रासायनिक विश्लेषण : Persimmon Chemical Constituents
- तेंदू के फलों में पेक्टीन 50 प्रतिशत होता है।
- इसके अतिरिक्त तेंदू के फलों में ग्लूकोज, सेलिक एसिड आदि तत्व होते हैं।
- छाल एवं कच्चे फलों में कषाय द्रव्य (टैनिन) प्रचुर मात्रा में होता है।
- बीजों से तैल निकलता है।
- बीजों में बेटुलिनिक एसिड होता है।
तेंदू के पेड़ का उपयोगी भाग : Beneficial Part of Persimmon (Tendu) Tree in Hindi
फल,छाल (त्वक), बीज, बीज तैल।
सेवन की मात्रा :
- क्वाथ – 50 से 100 मि.लि.,
- बीज चूर्ण – 1 से 3 ग्राम,
- तैल – 10 से 20 बूंद।
तेंदू के औषधीय गुण : Tendu ke Gun in Hindi
- रस – कषाय
- गुण – रूक्ष, लघु
- वीर्य – शीत
- विपाक – कटु
- दोषकर्म – कफपित्त शामक
- बाह्य परिमार्जन कर्म – स्तम्भन (रक्तस्राव को रोकना) एवं शोथहर है।
- अन्त:परिमार्जन कर्म – रक्तस्तम्भन, रक्तप्रसादन, कफघ्न, मूत्रसंग्रहणीय, ज्वरघ्न, शुक्रस्तम्भन , उदर्द कुष्ठ आदि चर्म विकार हर।
- कच्चा फल – शीत, रूक्ष, कसैला, कड़वा, ग्राही, अरूचिकारक, ग्राही, वातकारक है।
- पका फल – मधुर, स्निध, गुरु, वात-प्रमेह-रक्तविकार-नाशक है।
- छाल का क्वाथ या फांट प्रवाहिका, अतिसार (दस्त), प्रमेह, कुष्ठ, उदर्द आदि में दिया जाता है।
- खाँसी (कास) में छाल का घनसत्व या गोलियां बनाकर चूसते हैं।
- विषम ज्वर में छाल का क्वाथ मधु मिलाकर सेवन किया जाता है।
- बीज तथा बीजों का तैल अतिसार, प्रवाहिका में उपयोगी है।
तेंदू फल के फायदे और उपयोग : Benefits of Persimmon fruit (Tendu) in Hindi
रक्तस्राव में तेंदू का उपयोग फायदेमंद (Tendu Uses to Cure Bleeding in Hindi)
शस्त्रादि के लगने से जब शरीर के किसी स्थान से रक्त स्राव होने लगे तो उस स्थान पर तेंदू के कच्चे फलों को पीसकर लेप करने से रक्त बहना तुरन्त बन्द हो जाता है और घाव भी भरने लगता है।
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सूजन दूर करने में लाभकारी तेंदू (Tendu Benefits to Cure Swelling in Hindi)
भिलावे की धुआं से यदि शरीर पर सूजन आ गयी हो तो तेंदु की लकड़ी को घिसकर लेप करना चाहिये।
रक्तपित्त रोग में लाभकारी है तेंदू का प्रयोग (Benefits of Tendu in Hemorrage Disease Treatment in Hindi)
तेंदू के पके फल को खिलावें या इसे पीसकर दूध एवं इलायची मिलाकर पिलावें।
श्वास (दमा) में तेंदू के प्रयोग से लाभ (Tendu Benefits in Asthma Treatment in Hindi)
तेंदू के फल की छाल का चूर्ण बनाकर इस चूर्ण को चिलम में भरकर धूम्रपान करावें।
दस्त मिटाए तेंदू का उपयोग (Tendu Cures Diarrhoea in Hindi)
तेंदू के कच्चे फल का रस निकाल कर सेवन करावें।
पेचिश (प्रवाहिका) में तेंदू के इस्तेमाल से फायदा (Tendu Benefits to Cure Dysentery in Hindi)
तेंदू की छाल का क्वाथ बनाकर पिलावें।
संग्रहणी रोग में लाभकारी है तेंदू का प्रयोग (Tendu Benefits to Cure IBS in Hindi)
तेंदू के आधे पके फलों का रस निकाल कर उसे पकावें। गाढ़ा होने पर जो भूरे लाल रंग का घनसत्व तैयार होता है। इस सत्व को 250 मि.ग्रा. से 500 मि.ग्रा. तक संग्रहणी के रोगी को सेवन करावें। यह अतिसार एवं उदर शूल में भी लाभप्रद है।
नोट – घनसत्व तैयार करते समय लोहे के पात्र को उपयोग में न लावें।
मुह के छालों को मिटाता है तेंदू (Benefit of Tendu in Mouth Ulcers in Hindi)
तेंदू के फल का क्वाथ बनाकर उससे कुल्ला (गण्डूष) करें।
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श्वेत प्रदर में तेंदू के इस्तेमाल से लाभ (Tendu Benefits in Leukorrhea in Hindi)
250 मि.लि. पानी में 10 मि.लि. तेंदू के फलों का रस मिलाकर उत्तर वस्ति (मूत्र मार्ग से दी जाने वाली वस्ति उत्तर वस्ति कहलाती है) देनी चाहिये। यह उत्तर बस्ति तेंदू के फलों के क्वाथ से भी दी जा सकती है। इससे गर्भाशय की श्लेष्मिक कला के शोथ में लाभ होता है तथा योनिस्रावों में न्यूनता आती है। रक्तप्रदर में पके फल लाभप्रद हैं।
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शुक्राल्पता मिटाए तेंदू का उपयोग (Tendu Benefits in Oligospermia in Hindi)
तेंदू के पूर्ण पके फलों का गूदा एक किलो, अलसी की गिरी तथा पिस्ता 100-100 ग्राम, बादाम तैल 40 मि.लि., छोटी इलायची के बीज 20 ग्राम, केशर 3 ग्राम, गुलाब का शुद्ध अर्क 500 मि.लि. और मिश्री 2 किलो लेकर सबका यथाविधि हलवा तैयार कर 25-50 ग्राम तक की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से वीर्य वृद्धि होकर शक्ति बढ़ती है।
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पक्षाघात (लकवा) में तेंदू के सेवन से लाभ (Tendu Benefits in Paralysis in Hindi)
पक्षाघात (लकवा) या अर्दित (मुंह का लकवा) के कारण वाणी के हकलाने पर तेंदू की जड़ का क्वाथ बनाकर पिलावें साथ में ही इसकी छाल 10 ग्राम और काली मिर्च 20 ग्राम को पानी में पीसकर जीभ पर मलें।
जूओं को मिटाए तेंदू का उपयोग (Tendu Benefits to Remove Lices in Hindi)
तेंदू की छाल को गोमूत्र में पीसकर, सिर पर लेप करने से सिर की जूओं का विनाश होता है।
आग से जलने पर लाभकारी है तेंदू का प्रयोग (Tendu Benefits to Cure Burn in Hindi)
तेंदू की छाल के क्वाथ में तिलों को पीसकर लेप करने से शान्ति मिलती है।
तेंदू फल के दुष्प्रभाव : Tendu ke Nuksan in Hindi
- अधिक मात्रा में तेंदू फल का सेवन आंत्र एवं आमाशय के लिये हानिकर है।
- तेंदू का पका फल मधुर एवं गुरु होता है। भोजन के तुरन्त बाद ही इन फलों का सेवन करना ठीक नहीं है।
- तेंदू फल खाकर तुरन्त ही पानी भी नहीं पीना चाहिये, अन्यथा जी मिचलाना व वमन होने की सम्भावना रहती है।
दोषों को दूर करने के लिए : तेंदू के दोषों को दूर करने के लिए दूध एवं स्निध पदार्थ का सेवन करना लाभप्रद होता है ।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)