Last Updated on October 22, 2020 by admin
अत्यंत हानि पहुंचाते हैं केमिकल युक्त खाद :
पिछले कई वर्षों से गंभीर बीमारियों जैसे- कैंसर, हृदय रोग, टी.बी. आदि का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है और इनसे ऐसे व्यक्ति भी प्रभावित हो रहे हैं, जो शुद्ध शाकाहारी जीवन जीने के साथ किसी भी व्यसन का शिकार नहीं हैं। हम सभी मूकदर्शक बने देख रहे हैं। स्थिति इतनी विकराल हो गई है कि पंजाब आदि कई क्षेत्रों में अधिक केमिकलयुक्त खाद एवं कीटनाशकों के प्रयोग के कारण बच्चे विकृत पैदा हो रहे हैं।
वास्तव में इसके लिए जिम्मेदार हैं, पैदावार बढ़ाने हेतु ज्यादा मात्रा में डाले जा रहे केमिकलयुक्त खाद, कीटनाशक दवाइयां एवं खाद्य वस्तुओं के संरक्षण हेतु प्रयोग किये जा रहे केमिकल्स जैसे सेल्फास और सब्जियों को पकाने हेतु प्रयोग किए जा रहे केमिकल्स । साथ ही गाय-भैंसों को लगाया जा रहा इन्जेक्शन आक्सीटोसीन भी।
जैविक खाद का महत्व (Importance of Organic Compost in Hindi)
चूंकि हमारा देश कृषि प्रधान है, इसलिए हमें कृषि से इसका प्रारंभ करना चाहिए। कृषि पैदावार बढ़ाने हेतु एकमात्र उपाय जैविक खाद (गोबर खाद) का प्रयोग उपयुक्त है। एक-दो एकड़ भूमि में केवल गोबर की खाद का प्रयोग करते हुए गेहूं, चना आदि की पैदावार करें। इसमें किसी भी प्रकार के केमिकलयुक्त कीटनाशक का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
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जैविक खाद के प्रयोग से लाभ (Jaivik Khad ke Fayde in Hindi)
जैविक खाद के प्रयोग से हमें निम्नलिखित बेशकीमती लाभ प्राप्त होंगे –
1. पौष्टिक अनाज – जैविक खाद से उत्पादित अनाज जहां बीमारियों से बचाएगा, वहीं स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भी बहुत होगा।
2. जल समस्या का समाधान – इस हेतु आप उस भूमि का लगातार उपयोग करें, जो कुएं या बोरवेल के पास की हो। 2-3 वर्ष में उसमें केंचुए उत्पन्न हो जाएंगे, जो भूमि को नीचे 10 फुट तक अपने बिलों के माध्यम से भुरभुरी कर देंगे। इससे बारिश में उपरोक्त भूमि में ज्यादा जल शोषित होगा, जो आपके कुएं या बोरवेल के भूजल स्तर को भी बढ़ायेगा। इस प्रकार जल समस्या का समाधान भी होगा।
3. भूमि की उर्वरक शक्ति में वृद्धि – जो केंचुए भूमि में पैदा हो जायेंगे, वे खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाये बगैर वायुमंडल की नाइट्रोजन (जो कि वायु में 80 प्रतिशत है) को जीवाणु श्रृंखला के माध्यम से जमीन में ला देते हैं। जमीन की मिट्टी को उलट-पुलटकर भूमि को हमेशा उर्वरक बनाये रखते हैं।
4. निःशुल्क खाद – केंचुए बिना पकी खाद, फूल-पत्ती, मरे कीड़ों आदि को खाद में परिवर्तित कर देते हैं, अर्थात् यह खाद भी निःशुल्क मिलने लगती है।
5. पैदावार में बढ़ोतरी – केंचुओं के कारण जमीन भुरभुरी हो जाती है, जिससे पेड़-पौधों की जड़ें चारों ओर फैलती हुई गहराई में जाती हैं। इससे अधिक शाखाएं, पत्तियां व फूल, फल निकलते हैं। जमीन भुरभुरी होने के कारण हवा भी जमीन के अंदर ज्यादा गहराई तक प्रवेश करती है।
6. पर्यावरण की सुरक्षा – वर्तमान में केमिकलयुक्त खाद एवं कीटनाशक का प्रयोग होने से हम जब सिंचाई करते हैं, तो जो जल भूमि में जाता है, उसमें कुछ अंश इन रसायनों का भी होता है। जैविक खाद का प्रयोग करने से ऐसा नहीं होता एवं शुद्ध जल भूमि में जायेगा।
7. भूमि का बंजर होने से बचाव – जो जमीन लगातार केमिकलयुक्त खाद के प्रयोग के कारण बंजर होने की स्थिति में है, वह फिर से उर्वर हो जायेगी।
8. गाय पालन है लाभकारी – एक गाय के गोबर से घर, खेत का कचरा मिलाकर 30,000 रु. तक का खाद तैयार होता है अर्थात् गाय का पालन बहुत लाभकारी है। उसके गोबर का खाद बनाइए, मूत्र का कीटनाशक और साथ में उससे प्राप्त दूध, दही, घी तो आप निःशुल्क में खाइए एवं विक्रय कर कमाई भी कीजिए।
9. यदि आप गोबर गैस प्लांट लगा लेते हैं, तो गोबर की गैस से भोजन पकाने हेतु एवं विद्युत आदि भी पैदा कर, शेष निकला गोबर जैविक खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
10. जैविक अनाज एवं गाय के दूध से आपका स्वास्थ्य सुघरेगा और बच्चे स्वस्थ, बुद्धिमान, तेज एवं दीर्घजीवी होंगे।
11. भूमि में 10 फुट तक नमी रहने के कारण तापमान जो प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है, वह भी नियंत्रित रहेगा।
12. गाय के गोबर एवं गोमूत्र में लक्ष्मी का निवास होता है। जब हमारे घरों में गायों का निवास होगा, तो समृद्धि एवं आरोग्य का निवास अपने आप ही होगा।
13. जैविक खाद से उत्पन्न अनाज फल-सब्जियां बाजार में ज्यादा मूल्य पर विक्रय होती हैं। कई देशों में तो केमिकलयुक्त खाद एवं कीटनाशकों से उत्पन्न अनाज, फल-सब्जियों के विक्रय पर पूर्णतः प्रतिबंध है। कम से कम प्रयोग स्तर पर अपने खाने के लिए एक-दो एकड़ में इस तरह का प्रयोग किसान भाई अवश्य करें।