Last Updated on February 24, 2023 by admin
पीलिया रोग क्या है ? :
पीलिया रोग अक्सर छोटे बच्चों तथा नवजात शिशुओं को हो जाता है। यह रोग दूषित भोजन या दूषित जल का सेवन करने से होता है। इसके अलावा यह रोग जिगर तथा पित्ताशय में होने वाले कई रोगों का लक्षण भी हो सकता है। पीलिया रोग की शुरुआत में कुछ ही दिनों में इसके लक्षण उभर जाते हैं लेकिन इस रोग को ठीक होने में लम्बा समय भी लग सकता है।
पीलिया रोग का कारण :
शरीर में जिगर से आंतों की तरफ जाने वाले नली अर्थात पित्ताशय मार्ग में कोई रुकावट उत्पन्न हो जाने के कारण पीलिया रोग हो जाता है। इस रुकावट के कारण जिगर में बहुत सारा पित्त जमा हो जाता है जिसके कारण बिलिरूबिन नामक पीला पदार्थ बनकर खून में मिल जाता है तथा रोगी का शरीर पीला पड़ने लगता है।
अवरोधपूर्ण पीलिया पथरी या अग्न्याशय में कैंसर के कारण होता है। ऐसा उस स्थिति में होता है जब पित्त नली में किसी तरह के रुकावट पैदा हो जाती है और पित्त आंत तक नहीं पहुंच पाता है। जब लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से ज्यादा मात्रा में बिलिरूबिन नामक पदार्थ पैदा होता है तो हीमोलिटिक पीलिया हो जाता है।
अधिक मात्रा में शराब पीने या जहर जैसे पदार्थ खा लेने के कारण भी पीलिया रोग हो सकता है। नवजात शिशु भी इस रोग की चपेट में आ सकते हैं क्योंकि उनका जिगर वयस्कों की तुलना में कम विकसित होता है।
पीलिया रोग के लक्षण :
पीलिया रोग के कारण रोगी की शरीर की त्वचा और उसकी आंखों में पाया जाने वाला सफेद भाग पीले पड़ जाते हैं। इस रोग के कारण रोगी का पेशाब तथा मल भी पीला आने लगता है। जब इस रोग की शुरुआत होती है तब रोगी की त्वचा पीली पड़ने से पहले त्वचा में खुजली होने लगती है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा पीलिया रोग का उपचार :
जब किसी व्यक्ति को किसी प्रकार से पीलिया रोग हो जाता है तो सबसे पहले पीलिया के होने वाले कारणों का ही उपचार कराना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जब यह रोग ज्यादा गंभीर हो जाता है तब रोगी के शरीर में खून चढ़ाने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
जानकारी –
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को गरिष्ठ तथा तला हुआ भोजन नहीं करना चाहिए। रोगी को दूध का सेवन मलाई निकालकर करना चाहिए। उसे चने तथा खजूर अधिक मात्रा में खाने चाहिए। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को गन्ने का रस अधिक मात्रा में पीने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी व्यक्ति को कभी भी गर्म पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस रोग का उपचार एक्यूप्रेशर चिकित्सा से भी कर सकते हैं जिससे रोगी व्यक्ति को काफी हद तक आराम मिल जाता है।
चित्र में दिए गए एक्यूप्रेशर बिन्दु के अनुसार रोगी के शरीर पर दबाव देकर पीलिया रोग का उपचार किया जा सकता है। रोगी को अपना इलाज किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक की देख-रेख में करना चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक को सही दबाव देने का अनुभव होता है और वह सही तरीके से पीलिया से पीड़ित रोगी का उपचार कर सकता है। इलाज करने के साथ-साथ रोगी को भोजन में भी सावधानी बरतनी चाहिए और गर्म चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।