Last Updated on February 25, 2023 by admin
कृत्रिम गर्भाधान क्या है ? (Artificial insemination in Hindi)
कृत्रिम–गर्भाधान (Artificial Insemination) के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं । वास्तव में, पुरुष के वीर्य के शुक्राणुओं की कमी के कारण होने वाले बाँझपन को दूर करने की यह आधुनिक विधि है, जिसके अन्तर्गत गर्भधारण के लिए महिलाओं के गर्भाशय में कृत्रिम विधि से बिना सहवास के शुक्राणुओं को प्रवेश कराया जाता है, ताकि वे डिम्ब से फर्टिलाइज़ (गर्भाधान) कर सकें और भ्रूण का निर्माण कर सकें। यह विधि बाँझपन दूर करने के लिए ‘एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉज़ी’ के अन्तर्गत आती है। इसमें पति के या फिर स्पर्म (वीर्य) बैंक से किसी अनजान डोनर (दानदाता) के शुक्राणु लिये जाते हैं।
स्पर्म (वीर्य) बैंक क्या है ? (Sperm Bank Kya Hai)
स्पर्म (वीर्य) बैंक उस बैंक को कहते हैं, जहाँ वीर्य स्टोर (संग्रह) किया जाता है। आमतौर पर यह दूसरे बैंकों जैसे ब्लड बैंक (रक्त बैंक), आई बैंक (आँख बैंक) या दूसरे कमर्शियल बैंक (व्यापारिक बैंक) की तरह होता है। ब्लड बैंक में ब्लड, आई बैंक में आँखें और वीर्य बैंक में वीर्य स्टोर किया जाता है ।
यहाँ दो तरह का वीर्य स्टोर किया जाता है, एक खुद का तथा दूसरा डोनर का । खुद का वीर्य जमा करने के पीछे उद्देश्य होता है कि भविष्य में सन्तान की चाह होने की स्थिति में उसका उपयोग कर सन्तान – सुख प्राप्त किया जा सके।
किसी भी दम्पति कि लिए स्पर्म बैंक (वीर्य बैंक) से डोनर स्पर्म (प्रदाता के वीर्य) का चुनाव करना काफ़ी चुनौती से भरा होता है। पति के रहते किसी दूसरे पुरुष के स्पर्म से गर्भधारण करना भी पति-पत्नी दोनों के लिए काफी कठिन, चुनौती भरा और दुःखदायी होता है। इसके लिए दोनों को मानसिक और मनौवैज्ञानिक रूप से तैयार होना पड़ता है। कई दम्पति यह सोचते हैं कि कम से कम 50 प्रतिशत तो हम लोगों का अंश रहेगा ही। मैं उसका पिता नहीं रहूँगा, पर मेरी पत्नी तो उसकी माँ रहेगी । यही सोचकर कई दम्पति इस कृत्रिम – विधि का सहारा लेते हैं।
यदि आप भी कृत्रिम-गर्भाधान की बात सोच रहे हैं और स्पर्म बैंक से वीर्य ख़रीदना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले यह निर्णय लेना होगा कि आपको किस तरह के लोगों का स्पर्म चाहिए । इसके लिए आपको पत्नी के साथ मिलबैठ कर यह निश्चित करना होगा कि पुरुष का रंग, बाल, आँखें, कैसी होनी चाहिए, आपको डोनर का नाम पता छोड़कर सारी जानकारी मिल जायेगी। आप बैंक से डोनर का बायोडाटा लेकर अच्छी तरह अध्ययन कर लें और पूरी तसल्ली होने के बाद ही वीर्य ख़रीदें ।
कृत्रिम गर्भाधान की विधि :
इस विधि को अपनाने वाली महिला पूर्णरूप से स्वस्थ होनी चाहिए। उसे न तो हारमोन सम्बन्धी और न ही प्रजनन सम्बन्धी कोई बीमारी होनी चाहिए । उसका मासिक नियमित हो । गर्भाशय का कैंसर, क्षयरोग, ल्यूकोरिया, सिफलिस जैसे गुप्त रोग भी नहीं होने चाहिए। मरीज़ को फैलोपियन ट्यूब की कोई बीमारी न हो और कम से कम एक नली खुली होनी चाहिए, ताकि फर्टिलाइजेशन (गर्भाधान) की क्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो सके। इसके लिए चिकित्सक द्वारा मरीज़ को ‘लैप्रोस्कोपिक विधि तथा गर्भाशय में पायी जाने वाली ख़राबी की जाँच के लिए ‘पैप स्मयेर एग्जामिनेशन’ कराने की सलाह दी जाती है।
कृत्रिम – गर्भाधान के भिन्न-भिन्न चरण :
- उचित काउंसलिंग के बाद दम्पति से कृत्रिम गर्भाधान के लिए सहमति – पत्र साइन (हस्ताक्षर ) कराया जाता है।
- महिला की कम से कम एक फैलोपियन ट्यूब खुली होनी चाहिए। ऐसी महिला का ही इस विधि से गर्भ ठहर सकता है ।
- ओवरी में अण्डे का निर्माण हुआ है या नहीं और ओवरी से अण्डा कब बाहर निकलने वाला है, इसका भी पता लगाना होता है ।
- महिला के मासिक – चक्र की निगरानी करनी होती है। इसके लिए चिकित्सक बेसिक बॉडी टेम्परेचर पर निगरानी रखते हैं ।
इस विधि से गर्भधारण के बाद सामान्य सहवास के द्वारा गर्भधारण वाली स्थिति होती है। यहाँ यह ध्यान देना ज़रूरी है कि कृत्रिम गर्भाधान और डोनर की पहचान को दृढ़तापूर्वक गुप्त रखना होगा। इस बात को अपने बच्चे, अपने दोस्तों तथा सगे-सम्बन्धियों को भी नहीं बताना चाहिए ।