Last Updated on September 18, 2024 by admin
परिचय (Karanj in hindi)
करंज के पेड़ जंगलों में होते हैं और इसकी छाया ठंडी व घनी होती है। करंज की फली लम्बी होती है और इसमें लम्बे व मोटे बीज होते हैं। इसके बीज में कडुवा व गाढ़ा तेल होता है जिसमें 27 प्रतिशत पोनगेमिया तेल होता है यह तेल जलाने के काम में आता है। इसके बीज नींबू के रस में पीसकर दाद पर लगाने से लाभ होता है। इसके बीजों की चटनी बनाकर खाने से मधुमेह ठीक होता है।
विभिन्न भाषाओं में करंज के नाम :
संस्कृत | करंज। |
हिन्दी | कंजा या कटजरंजा। |
लैटिन | पोनगेमियालेवा। |
अंग्रेजी | स्मघलिव्ड पोनगेमिया। |
गुजराती | कणझी, कंरज। |
मराठी | करंज। |
बंगाली | डहरकरंज। |
कर्नाटकी | हुलगुली, होंगे, कानग्यानगिड़ा। |
तैलगू | कंजकरनगु। |
तमिल | पुंगामार, पोनगेमिया। |
मलयालम | पोन्ना। |
करंज के गुण (Karanj ke Gun)
- करंज वायु (पेट के गैस), योनिदोष, गैसे के गोले बनना, बवासीर, घाव, खुजली आदि को दूर करता है।
- यह कफ, विष, विवर्चिका, पित्त, कीड़े, त्वचा रोग, पेट के रोग, प्रमेह व प्लीहा में लाभकारी होता है।
करंज की फली :
- करंज की फली गर्म और लघु होती है।
- इसका प्रयोग सिर का रोग, वायु, कफ, कीड़े, कुष्ठ रोग, बवासीर एवं प्रमेह रोग को दूर करने के लिए किया जाता है। करंज की फली पक जाने पर तीखा, गर्म, कडुवा और फीका हो जाता है।
करंज का तेल :
- करंज का तेल कडुवा, गर्म व स्निग्ध होता है।
- यह वात को दूर करने वाला, कीड़ों को खत्म करने वाला, फोड़े के घाव को भरने वाला और आंखों के रोग ठीक करने वाला होता है।
- इसका प्रयोग विचर्चिका, वायु, कुष्ठ, घाव, खुजली, गुल्म (गैस का गोला बनना), योनिदोष और बवासीर रोग में किया जाता है।
करंज के फायदे और उपयोग (Karanj ke Fayde)
1. चूहे का जहर: यदि चूहे ने काट लिया हो तो करंज के बीज व छाल एक साथ पीसकर लेप करें। इससे चूहे का जहर उतर जाता है।
2. खाज- खुजली: करंज के तेल में कपूर या नींबू का रस मिलाकर खाज-खुजली पर लगाना चाहिए। इससे खाज-खुजली दूर होती है।
3. पित्त: पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को करंज की छाल खिलाना या इसका रस पिलाना लाभकारी होता है।
4. आधे सिर का दर्द (माइग्रेन): करंज के बीजों को गर्म पानी में घिसकर थोड़ा सा गुड़ मिलाकर नाक से खींचें। इससे माईग्रेन ठीक होता है।
5. उल्टी: करंज के बीज को सेंककर टुकड़ा करके खाने से उल्टी बंद होती है।
6. त्वचा रोग: करंज का तेल दिन में 2 बार त्वचा पर लेप करने से त्वचा रोग दूर होता है।
7. दांतों का दर्द: करंजी के पेड़ की टहनी से दातून करने से दान्तों व मसूढ़ों का दर्द ठीक होता है।
8. विसर्प (सुर्खवाद): करंज के तेल में नींबू का रस मिलाकर दिन में 3 बार लगाने से विसर्प रोग ठीक होता है।
9. अंडकोष की सूजन:
- करंज की मींगी को एरण्ड के तेल में घोटकर तंबाकू के पत्ते पर लपेटकर अंकोष पर बांधने से अंडकोष की सूजन दूर होती है।
- चावल के पानी में करंज की जड़ को घिसकर अंडकोष पर लेप करने से सूजन ठीक होती है।
10. दमा रोग: दमा रोग से पीड़ित रोगी को करंज के बीजों का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। इससे दमा रोग में जल्दी लाभ मिलता है।
11. बुखार:
- बुखार से ग्रस्त रोगी को करंज के बीजों का चूर्ण 30 मिलीग्राम सुबह-शाम सेवन कराने से बुखार ठीक होता है।
- करंज के बीजों का चूर्ण 60 से 120 मिलीग्राम और कालीमिर्च 60 से 120 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन कराने से बुखार, तेज बुखार, शीतज्वर और मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
- करंज के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम या करंज की जड़ 60 से 120 मिलीग्राम सुबह-शाम बुखार से पीड़ित रोगी को देने से बुखार में आराम मिलता है।
12. काली खांसी:
- 15 ग्राम करंज के बीजों की गिरी पीसकर पानी में मिलाकर कालीमिर्च के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखों। इसमें से 1-1 गोली सुबह-शाम सेवन करने से काली खांसी में आराम मिलता है।
- लगभग 120 से 480 मिलीग्राम करंज के बीज के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम चाटने से कुकुर खांसी मिटती है।
- करंज के बीजों का चूर्ण सुबह-शाम चाटने से काली खांसी दूर होती है। इसके प्रयोग से सभी प्रकार की खांसी दूर होती है।
13. सूखी खांसी: 15 ग्राम करंज के बीज की गिरी को पीसकर पानी में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम सेवन करने से सूखी खांसी दूर होती है।
14. श्वसनक ज्वर: करंज के पंचांग, यवासा, पुष्कर की जड़, भारंगी, शटीप्रकन्द, कर्कटश्रंगी, इन्द्रयव, पटोलपत्र और कटुकी के प्रकन्द आदि को मिलाकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को दिन में 3 बार रोगी को सेवन कराएं। इससे श्वसनक ज्वर नष्ट होता है।
15. बालों का झड़ना या गंजापन: करंज के फूलों को पीसकर प्रतिदिन रात को सिर पर बांधे और सुबह नींबू के रस मिले पानी से साफ करने से बालों को झड़ना बंद होता है और गंजापन दूर होता है।
16. बांझपन: सफेद करंज की ताजी जड़ को दूध में पीसकर मासिकस्राव के चौथे दिन से प्रतिदिन 2 ग्राम की मात्रा में पीने से गर्भधारण होता है।
17. गर्भ की रक्षा: करंज को लाल कपड़े में लपेटकर लाल डोरे से बांधकर कमर में बांधने से गर्भ सुरक्षित रहता है।
18. मुंह के छाले: करंज के पत्तों को चबाकर चूसते रहने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
19. खूनी अतिसार: करंज के बीज को गांजा के साथ मिलाकर सेवन करने से दस्त में खून आना बंद होता है।
20. भगन्दर: भगन्दर से पीड़ित रोगी को करंज के पत्तों को भगन्दर पर बांधना चाहिए।
21. जिगर (यकृत) का बढ़ना: करंज के पत्तों का रस 10-20 ग्राम या जड़ 600-120 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह नाश्ता करने के बाद सेवन से यकृत की बीमारी दूर होती है।
22. पकाशय का जख्म: करंज की जड़ का रस 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पकाशय का जख्म ठीक होता है। यह शरीर के अन्य जख्मों को भी ठीक कर देता है।
23. पेट में कीड़े: करंज की मींगी को भूनकर 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 4 बार खाने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
24. हर्पिस रोग:
- हार्पिस से पीड़ित रोगी को करंज के बीज का तेल और नींबू का रस मिलाकर रोगग्रस्त स्थानों पर लगाने से रोग ठीक होता है।
- करंज के बीजों को नींबू की रस के साथ पीसकर दानों पर लगाने से हर्पिस रोग समाप्त होता है।
25. शिरास्फिति: करंज के बीजों का चूर्ण एरण्ड के पत्ते पर डालकर शिरास्फिति पर बांधने से रोग का रोग दूर हो जाता है।
26. घाव (व्रण):
- निर्गुण्डी, करंज तथा नीम के पत्तों को पीसकर लेप करने से घाव के कीड़े मर जाते हैं तथा घाव सूख जाते हैं।
- करंज, नीम और सम्हालू के पत्तों को पीसकर लेप करने से घाव भर जाते हैं।
- जहरीले घाव या बड़े घाव पर करंज के बीजों का तेल लगाकर पट्टी करने से घाव जल्दी ठीक होता है।
- बदबूदार घाव पर करंज की जड़ का रस लगाकर पट्टी बांधने से घाव जल्दी भरता है।
27. पेट में दर्द: करंज के बीज की मींगी को 2 से 3 लौंग के साथ पीसकर खाने या धूम्रपानी करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
28. गठिया रोग: गठिया के रोग में करंज के बीजों के तेल से जोड़ों पर मालिश करना चाहिए। इससे दर्द में आराम मिलता है।
29. उपदंश: करंज की हरी पत्तियां व नीम की पत्तियां 15-15 ग्राम लेकर पीस रस निकाल लें। इसके बाद इसमें 7-8 ग्राम कालीमिर्च पीसकर मिला लें और 4 ग्राम पिसी हुई चोबचीनी मिलाकर पीएं। इसका सेवन प्रतिदिन करने से उपदंश रोग में लाभ मिलता है।
30. त्वचा रोग: करंज का तेल खुजली, जख्म, कोढ़ व त्वचा के अन्य रोगों में करना लाभकारी होता है।
31. दाद:
- दाद को नाखून से खुजालकर करंज के बीजों का तेल व नींबू का रस मिलाकर प्रतिदिन 2 से 3 बार लगाने से दाद ठीक होता है।
- इसके बीजों का तेल और नींबू का रस मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सिर के दाद पर लगाने से लाभ होता है।
32. मुंहासे: करंज के बीजों का तेल निकालकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे ठीक होते है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।