आकाश चिकित्सा द्वारा रोगों का उपचार

Last Updated on February 7, 2022 by admin

आकाश तत्व :

मनुष्य के शरीर के लिए जरूरी तत्वों में से आकाश तत्व सबसे उपयोगी तत्व होता है। यह पांचों महातत्वों का मूल तत्व होता है। आकाश तत्व सबसे बारीक तत्व होता है। आकाश तत्व का स्थान खाली होता है। आकाश की तरफ देखने से और खुले आकाश के नीचे सोने से शरीर में शक्ति पैदा होती है। उपवास रखकर कोई भी व्यक्ति आकाश तत्व का आसानी से उपयोग कर सकता है।

उपवास :

उपवास जीवन पद्धति का एक बहुत ही खास अंग है। यह अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने का या खराब हुए स्वास्थ्य को दुबारा प्राप्त करने का एक बहुत ही अच्छा साधन है। इसलिए उपवास रखने से रोगी व्यक्ति और स्वस्थ व्यक्ति दोनों को लाभ मिलता है। उपवास वैसे तो भगवानों के लिए रखा जाता है लेकिन इसे रखने का सबसे बड़ा उद्देश्य है शरीर के अन्दर से रोगों को दूर करना। बहुत से चिकित्सकों ने इस बात पर बहुत जोर दिया है कि दवाईयों को खाने से जितना लाभ होता है उतना लाभ थोड़े समय तक उपवास करने से ही हो जाता है।

लाभकारी है उपवास :

1. उपवास का सबसे मुख्य काम है शरीर के अन्दर के जहरीले पदार्थों को बाहर निकालना क्योंकि हमारी जीवनी शक्ति को जब भोजन पचाने के काम से छुट्टी मिल जाती है तो वह रोगों के कारणों को दूर करने लग जाती है। हम जानते हैं कि हमारे शरीर के अन्दर भोजन को पचाने की क्रिया हर समय चालू रहती है। भोजन के पोषक तत्व मांस, मज्जा, खून आदि रूपों में शरीर में मिल जाते हैं तथा बाकी बचे हुए पदार्थ मल, मूत्र, कफ आदि के रूपों में बाहर निकल जाते हैं। फिर भी किन्हीं कारणों से जहरीले पदार्थ शरीर में रह जाते हैं, जो धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर जहर पैदा कर देते हैं, इसी कारण से शरीर में रोग पैदा हो जाते हैं। इन्हीं जहरीले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए उपवास रखा जाता है।

2. उपवास रखने से शरीर के अंगों को बहुत ज्यादा ताकत मिल जाती है। शरीर के अन्दर मंथन का काम चालू हो जाता है। शरीर के अन्दर से पोषक तत्व अलग-अलग होकर शरीर के शक्तिशाली तंतुओं में पहुंच जाते हैं। बेकार के तंतुओं का और पहले से शरीर में जमा जहरीले पदार्थों का विघटन बाहर निकालने वाले अंगों में होने लगता है। जिससे वे जहरीले पदार्थ शरीर से बड़ी आसानी से बाहर निकल जाते हैं।

3. उपवास रखने के दौरान शरीर की सफाई होने लगती है। हमारे शरीर में जो जहरीले जीवाणु पैदा हो जाते हैं वे जीवाणु हमारे करने वाले भोजन से ही अपना भोजन लेना शुरू कर देते हैं और इन जीवाणुओं में से ज्यादातर जीवाणु ऐसे होते हैं जिनको अगर भोजन न मिले तो वे ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकते। इसलिए अगर उपवास रखा जाए तो ये जीवाणु भोजन के अभाव में समाप्त होने लगते हैं। इसी तरह पेट के रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है। जो व्यक्ति हमेशा संतुलित और सादा भोजन खाता है उसे उपवास करने की इतनी जरूरत नहीं होती जितनी कि भारी भोजन खाने वालों को। चर्बी वाला और ज्यादा प्रोटीन वाला भोजन खाने वालों के लिए तो उपवास रखना बहुत ही जरूरी है।

उपवास रखने का तरीका :

  • उपवास रखने के दौरान पूरे दिन किसी भी तरह का भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • लगभग 2 लीटर पानी में 2-3 नींबू का रस डालकर पूरे दिन में कई बार पीना चाहिए, या फल या सब्जी का जूस पी सकते हैं।
  • जिस व्यक्ति को शुरुआत में पूरे दिन का उपवास रखने में परेशानी आए, वह पूरे दिन में एक समय फल खा सकता है।
  • उपवास चाहे तो एक दिन का भी कर सकते हैं या काफी दिनों तक भी कर सकते हैं। हर व्यक्ति को पूरे हफ्ते में कम से कम 1 दिन तो उपवास जरूर करना चाहिए।
  • उपवास को तोड़ते समय कभी भी ठोस आहार का सहारा नहीं लेना चाहिए। उपवास तोड़ने के लिए सबसे अच्छा आहार पके हुए संतरे, मौसमी, अंगूर का रस या फल-सब्जी का रस होता है।
  • अगर उपवास एक दिन का रखा है तो उसे फलों को खाकर तोड़ा जा सकता है। बहुत से लोग उपवास को भारी पकवानों से तोड़ते हैं जिससे उनके शरीर को लाभ की बजाय नुकसान ही होता है।
  • उपवास रखने से शरीर में जो कमी होती है वह पूरी हो जाती है।
  • शरीर में प्रकृति के बारीक और नाजुक अंग काम करने लगते हैं।
  • उपवास से शरीर के सारे अंगों को सही तरह का आराम मिल जाता है, जिससे उनकी उपवास के बाद काम करने की ताकत बढ़ जाती है।

उपवास कब नहीं करना चाहिए :

1. गर्भवती स्त्री –

जब कोई स्त्री मां बनने वाली होती है उस समय स्त्री को और उसके होने वाले बच्चे को पोषण की बहुत ज्यादा जरूरत होती है इसलिए इस समय स्त्री को उपवास नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे हल्का और प्रोटीन वाला भोजन खाना चाहिए।

2. मधुमेह –

जिस व्यक्ति को मधुमेह (डायबटीज) का रोग हो उसे उपवास नहीं करना चाहिए। अगर मधुमेह (डायबटीज) के रोगी को समय पर भोजन नहीं मिलता तो उसके शरीर में चीनी की मात्रा कम हो जाती है और उसे चक्कर आने लगते हैं।

3. रिकेट्स और रतौंधी –

जिन लोगों को आंखों के रोग होते हैं जैसे कम दिखाई देना या रात को न दिखाई देना उन्हें उपवास नहीं रखना चाहिए। जिन रोगियों को रिकेट्स का रोग होता है उन्हे भी उपवास नही रखना चाहिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसे रोगियों के शरीर में लोहे (आयरन) की कमी होती है।

विशेष :

ज्योतिष्यों के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति के ग्रह खराब चल रहे होते हैं तो उस ग्रह को ठीक करने के लिए उस व्यक्ति को उस ग्रह से सम्बंधित दिन की पूजा करवा कर उपवास रखने को बोला जाता है जैसे –

शनिग्रह की शांति के लिए शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए और सूर्य की पूजा करने के लिए रविवार के दिन उपवास करना अच्छा होता है।

उपवास का शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों के लिए ही महत्व है। हर व्यक्ति को सप्ताह में कम से कम एक बार तो उपवास करना ही चाहिए।

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