Last Updated on February 10, 2022 by admin
आभूषण का एक्यूप्रेशर चिकित्सा के साथ सम्बन्ध :
वैज्ञानिक अध्ययन से यह बात सिद्ध हो चुकी है की आभूषणों का एक्यूप्रेशर चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत महत्व है। ऐसा इसलिए क्योकि ये आभूषण शरीर के कई प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर कुछ प्रेशर डालते हैं जिसके फलस्वरूप कई अंग निरोगी, उत्तेजित तथा क्रियाशील हो जाते हैं। आभूषणों को धारण करने से कई प्रकार के रोग ठीक होते हैं।
स्त्रियां अपने सिर में जहां जूड़ा बांधती हैं वह मासिकधर्म को ठीक करने का बिन्दु होता है और जहां कान को छेदा जाता है वह अनिद्रा तथा याद्दाश्त का प्रतिबिम्ब बिन्दु होता है। हाथ में चूड़िया पहनी जाती हैं उस स्थान पर मूत्राशय, प्रोस्टेट ग्लैण्ड्स व कुण्डलिनी का प्रतिबिम्ब बिन्दु होता है तथा पाजेब, कमरधनी घुटने तथा पैर के कई रोगों को दूर कर सकते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आदि युग से ही आभूषणों के प्रयोग से कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
आज के समय में ग्रामीण स्थान में स्त्रियों में बहुत से आभूषणों को धारण करने का लगाव बना हुआ है। लेकिन शहरों में इन आभूषणों को धारण करने का रूझान (आकर्षित न होना) कम होता जा रहा है। इस कारण से ही शहरों की स्त्रियों में सिर में दर्द, घुटने में दर्द, मासिक धर्म की कई प्रकार की बीमारियां होने लगी हैं। जबकि ग्रामीण स्त्रियां इन रोगों से बची रहती हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि आभूषण सिर्फ सौन्दर्य का प्रतीक ही नहीं बल्कि शरीर के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देकर कई प्रकार के रोगों को भी ठीक करते हैं।
आभूषण पहनने से होने वाले स्वास्थ्य लाभ (Gahne Pahnane Ke Labh)
आभूषण न सिर्फ स्त्री सौंदर्य को बढ़ातें है बल्कि इससे कई स्वास्थ्य लाभ भी है जैसे –
1. बिंदी लगाना – बिंदी सिर दर्द से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव डालती है जिसके फलस्वरूप सिर में दर्द नहीं होता है।
2. नथ – नथ साइनस से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव डालती है जिसके फलस्वरूप साइन्स से सम्बन्धित रोग ठीक हो जाते हैं।
3. मांग भरना – मांग मासिकधर्म से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव डालती है जिसके फलस्वरूप मासिकधर्म में होने वाले कई रोग ठीक हो जाते हैं।
4. लौंग – लौंग याददाश्त सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव डालती है जिसके फलस्वरूप याददाश्त तथा अनिद्रा रोग ठीक हो जाते हैं।
5. बोर – बोर प्रजनन अंग से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव डालती है जिसके फलस्वरूप प्रजनन अंग में होने वाले रोग ठीक हो जाते हैं।
6. भुजबंद – भुजबंद हृदय से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब पर दबाव डालते हैं जिसके फलस्वरूप हृदय में होने वाले कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
7. गले का हार – गले का हार पिट्यूट्ररी, पिनियल एवं थायराइड ग्लैण्ड्स से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव डालता है। जिसके फलस्वरूप पिट्यूट्ररी, पिनियल एवं थायराइड ग्लैण्ड्स की क्रिया मंद पड़ जाने के कारण होने वाले रोग ठीक होते हैं।
8. अंगूठियां – अंगूठियां संचारण एवं ब्लड प्रेशर से संबंधित रोगों को ठीक करने वाले प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालती है।
9. काजल – काजल मानसिक शांति से सम्बन्धित रोगों को ठीक करने वाले प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालती है।
10. कुमकुम बिंदी – कुमकुम बिंदी पीनियल ग्रंथि से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालती है जिसके फलस्वरूप इस ग्रंथि की क्रिया में कोई खराबी होने से होने वाले रोग ठीक हो जाते हैं।
11. रखड़ी – रखड़ी प्रजनन अंग से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव डालती है जिसके फलस्वरूप प्रजनन अंग में होने वाले रोग ठीक हो जाते हैं।
12. मंगलसूत्र – मंगलसूत्र थाइमस ग्रंथि से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालता है जिसके फलस्वरूप इस ग्रंथि की क्रिया में कोई खराबी हो जाने के कारण होने वाले रोग दूर हो जाते हैं।
13. चूड़ियां – चूड़ियां शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने वाले प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालती हैं। जिसके फलस्वरूप शरीर की ऊर्जा बढ़ने लगती है।
14. करधनी (कन्दौरा) – यह एड्रिनल ग्रंथि से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालती है। इससे छोटी आंत, बड़ी आंत तथा पेट में होने वाले रोग ठीक हो जाते हैं।
15. बिछुआ – बिछुआ आंख व बाम्कल ट्यूब से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालता है। इससे आंखों के कई रोग तथा बाम्कल ट्यूब में होने वाले रोग ठीक हो जाते हैं।
16. पायजेब – पायजेब घुटने, पीठ तथा कूल्हे से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर डालती है जिसके फलस्वरूप घुटने का दर्द, पीठ का दर्द तथा कूल्हे का दर्द ठीक हो जाता है।