Last Updated on May 21, 2021 by admin
खून की पीएच वैल्यू में आई गड़बड़ी कई बड़ी बीमारियों की ओर ले जा सकती है। यदि बार – बार बीमार हो रहे हैं तो आपको यह जानना चाहिए कि कहीं शरीर का खून बहुत अधिक अम्लीय और बहुत अधिक क्षारीय तो नहीं हो गया है ?
यदि बैचेनी है, शरीर में आलस्य भरा रहता है, सिर – दर्द होता है, नींद ठीक से नहीं आती, सुबह तरोताजा महसूस नहीं करते, हमेशा कब्ज बनी रहती है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया है तो आप जान लें कि आपका खून एसिडिक हो गया है। खून एसिडिक हो जाने पर इन लक्षणों के अलावा मरीज का किसी काम में मन नहीं लगता, शरीर में ऐंठन व दर्द बना रहता है, आंखों में जलन व सुस्ती रहती है। शरीर धीरे – धीरे बीमारी की ओर बढ़ने लगता है।
क्या होती है अम्लरक्तता ? (What is Acidosis in Hindi)
खून में अम्लीयता और क्षारीयता के स्तर की जांच से आए नतीजे को पीएच वैल्यू कहा जाता है। किसी भी तरल पदार्थ में हाईड्रोजन ऑयन के घनत्व के माप को पीएच कहा जाता है। किसी भी तरल में यदि पीएच वैल्यू 7 हो तो उसे न्यूट्रल माना जाता है। यदि पीएच वैल्यू 7 से कम आ रही हो तो उसे खून में एसिड की अधिकता माना जाता है। यही वजह है कि खून में पीएच वैल्यू बहुत सख्ती से 7.35 और 7.45 रखने का आग्रह किया जाता है। यदि खून में बहुत अधिक एसिड हो तो उसे अम्लरक्तता या एसिडोसिस नामक बीमारी कहा जाता है।
क्या होते हैं अम्लरक्तता के लक्षण ? (Acidosis Symptoms in Hindi)
कुछ लक्षणों से अम्लरक्तता (एसिडोसिस) का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जैसे –
- खट्टी डकारें आना,
- गले में जलन,
- मितली आना अथवा उल्टियां होना,
- डायरिया,
- लंग्स इन्फेक्शन,
- किडनी इन्फेक्शन और युरिनरी इन्फेक्शन,
- पेट में मरोड़ व जलन,
- पेट दर्द,
इन लक्षणों के अलावा मरीज को पेट में अल्सर भी हो सकता है। कभी – कभी भूख बहुत लगती है, जिसे छद्म भूख कहते हैं। कभी भूख नहीं लगती है।
अम्लरक्तता से बचाव कैसे किया जाता हैं ? :
अम्लरक्तता से बचने के लिए आहार पर ध्यान देने की जरूरत होती है।
- आहार हल्का सुपाच्य, स्वादिष्ट और ताजा बना हुआ होना चाहिए।
- बासी भोजन को सर्वथा त्याग दें।
- सुबह और शाम के आहार में मौसमी फल व सब्जियां शामिल करें।
- सलाद, हरी सब्जियां, ताजे कटे हुए फल, अंकुरित अनाज, छाछ, दही, रागी, सहजन, ब्रोकोली आदि आहार में शामिल होना चाहिए।
- पानी भरपूर मात्रा में लें।
- खाना अच्छे से चबाकर खाएं जल्दबाजी ना करें।
- मसालेदार आहार के सेवन से बचें।
- चाय और कॉफी से दूर रहें।
- अल्कोहल से परहेज करें ।
- एनिमल फैट, मैदे से बनी ब्रेड और फास्टफूड लेने से बचिए।
- नियमित व्यायाम करें ।
अम्लरक्तता का उपचार कैसे किया जाता हैं ? (Acidosis Treatment in Hindi)
घरेलू उपचार –
1). तुलसी – तुलसी की 5 से 10 पत्तियों को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से बढ़ा हुआ एसिड कंट्रोल होता है। ( और पढ़े – तुलसी के 71 चमत्कारी घरेलू नुस्खे )
2). आंवला – 2 चम्मच आंवले के रस में मिश्री मिलाकर पीने से अम्लरक्तता में लाभ होता है । ( और पढ़े – आंवला के 20 सेहतमंद फायदे )
3). अनार – अनार का रस दिन में दो बार दस-दस मिली की मात्रा में सेवन करने से रोग में लाभ होता है । ( और पढ़े – सेहत का खजाना अनार )
4). त्रिफला चूर्ण – दिन में 2 से 3 बार आधा-आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण पानी के साथ लेने से अम्लरक्तता में लाभ मिलता है। ( और पढ़े – त्रिफला चूर्ण लेने का सही नियम )
5). सोंठ – सोंठ, आंवला और मिश्री को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें । नित्य कुछ दिनों तक इसके सेवन करने से अम्लरक्तता रोग ठीक होता है।
6). लौंग – नित्य भोजन के पश्चात लौंग चूसने से अम्लरक्तता रोग दूर होता है । ( और पढ़े – लौंग खाने के फायदे )
7). धनिया – ताजे हरे धनिए के रस में काला नमक मिलाकर पीने से अम्लरक्तता रोग ठीक होता है।
8). नींबू – नींबू ही एकमात्र ऐसा फल है जो अम्लीय और क्षारीय दोनों है। खाना खाने के बाद आधे गिलास पानी में नींबू मिलाकर प्रति दिन लें इससे अम्लीयता कम होती है। ( और पढ़े – नींबू के फायदे और नुकसान )
9). पुदीना – पुदीने की चटनी या लौकी का जूस कुछ दिनों तक पीने से रोग में लाभ होता है । ( और पढ़े – पुदीना के इन 70 जबरदस्त फायदों को सुन आप भी हो जायेंगे हैरान )
जल चिकित्सा –
- सुबह उठने पर हल्का कुनकुना जल कम से कम चार गिलास जरूर पिएं।
- हिप बाथ या कटिस्नान लें।
- पेट की लपेट करें।
- कुंजल क्रिया करें।
पृथ्वी तत्व की चिकित्सा –
- मिट्टी की पट्टी (पेट की)
- सम्पूर्ण शरीर मिट्टी स्नान
- आंखों की मिट्टी पट्टी
- सिर की मिट्टी पट्टी
आहार – विहार का ध्यान रखें। रात्रि भोजन जहां तक संभव हो टालने की कोशिश करें। रात में भोजन करने से उसे पचाने में बहुत दिक्कत आती है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)