Laung ke Fayde | लौंग खाने के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

Last Updated on August 2, 2020 by admin

लौंग क्या है ? : What is Clove in Hindi

laung kya hai

लौंग को लेटिन भाषा में- साईजिगियम एरोमेटिकम (SyzygiumAromaticum) के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग मसाले को सुगन्धित बनाने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसे पान में डाला जाता है और मुखशुद्धि हेतु भी इसका उपयोग होता है। घरेलू औषधि के रूप में भी इसका उपयोग होता है।

लौंग 2 किस्म के मिलती हैं –
(1) तीव्र सुगन्ध वाले काले लौंग जो असली लौंग माने जाते हैं ।
(2) नीले रंग के लौंग जिसमें से यन्त्र द्वारा तेल निकाल लिया जाता गया हो।

उग्रगन्ध वाले, स्वाद में तीखे और दबाने पर जिनमें तेल का अंश मालूम पड़े-इस प्रकार के लौंग अच्छी किस्म के माने जाते हैं।

शुद्धता की पहचान –

व्यापारी लोग लौंग में अर्क निकाली हुई लौंगे मिला देते हैं। यदि लौंग में झुर्रिया पड़ी हो तो-समझें कि यह अर्क निकाली हुई लौंग हैं । अच्छी लौंग में झुर्रियाँ नहीं होती।

लौंग के औषधीय गुण : Laung ke Gun in Hindi

laung ke aushadhi gun

  • लौंग तीखे, लघु तथा नेत्र के लिए हितकारी है।
  • यह अग्नि को प्रदीप्त करने वाली तथा पाचक व रुचिकारक है।
  • लौंग कफ, पित्त व रक्तविकार को दूर करता है।
  • यह प्यास के अफरा शूल, श्वास व खाँसी मे लाभप्रद है।
  • लौंग का उपयोग हिचकी और क्षयरोग को निश्चित रूप से मिटाता हैं ।
  • लौंग सुगन्धयुक्त, उत्तेजक, रक्तविकारनाशक है।
  • यह कफहन, दुर्गन्धहर, और मूत्रल हैं ।
  • लौंग के अग्निदीपक, उत्तेजक और उदरवातहर गुण उसमें उपस्थित उर्ध्वगमनशील तेल के कारण हैं ।
  • लौंग के तेल को चमड़ी पर मालिश करने से उत्तेजक, प्रदाहक, उग्रताजनक और प्रत्युग्रता साधक प्रभाव होता है ।
  • लौंग का तेल लगाने पर प्रारम्भ में सम्बन्धित स्थान में जलन और वेदना होती है। फिर चमड़ी सुन्न पड़ जाती है।
  • यूनानी मतानुसार-लौंग खुश्क, उत्तेजक और गर्म है।
  • इसका सेवन करने से सिर दर्द होता है ।
  • लौंग पाचनशक्ति बढ़ती है ।
  • लौंग के उपयोग से दाँतों के मसूढ़े मजबूत होते हैं ।
  • इसको पीसकर मलने से विष दूर होता है।
  • लौंग गर्म, जाग्रति लाने वाले और पेट का दर्द मिटने वाला माना जाते हैं ।
  • सगर्भा स्त्रियों को उल्टी होने पर लौंग को गर्म पानी में भिगोकर उसका पानी पिलाने से लाभ होता है।

सेवन की मात्रा : Safe Daily Dose of Cloves

long ka istemal kaise karte hain

  • लौंग के चूर्ण की मात्रा – 1 से 3 रत्ती
  • लौंग के तेल की मात्रा – 1 से 3 बूंद

लौंग का उपयोग : Uses of Cloves in Hindi

laung ka upyog in hindi

  1. लौंग का बघार देने से सब्जी में सुगन्ध आती है।
  2. चावलों में थोड़े लौंग डालने से चावल रुचिप्रद और स्वादिष्ट बनते हैं ।
  3. लौंग में निकलने वाला तेल, पानी की अपेक्षा भारी होता है। उसका रंग लालिमा लिए पीला रहता है । इस तेल का कुछ अंश उर्ध्वगमनशील होता है। सिगरेट की तम्बाकू को सुगन्धित बनाने के लिए लौंग के तेल का उपयोग होता है।
  4. लौंग के तेल का औषधि के रूप में भी उपयोग होता है। यह तेल जन्तुनाशक है।
  5. आयुर्वेद में लौंग का उपयोग लार की अधिकता के और शूल आदि कई रोगों के लिए किया जाता है।
  6. दाँत-दर्द के उपचार में लौंग का विशेष उपयोग होता है।
  7. प्राचीन काल से दाँत-दर्द के अतिरिक्त आँखों के रोग और पेट के अपच एवं धार्मिक क्रिया-कलापों, अनुष्ठान आदि में लौंग का उपयोग होता चला आ रहा है।
  8. लौंग के तेल की मालिश का असर सामान्यतः कपूर के तेल के समान होता है ।
  9. लौंग का आसव बनाकर उसमें से सुगन्धित पदार्थ तैयार किए जाते हैं।
  10. कोको, चाकलेट, आइसक्रीम आदि खाद्य-पदार्थों में पाया जाने वाला बनावटी वेनीला एसेन्स लौंग में से ही तैयार किया जाता है।

लौंग के फायदे : Benefits of Cloves in Hindi

laung khane ke fayde hindi me

1). खाँसी – लौंग और अनार के छिलके समान मात्रा में पीसकर इनका चौथाई चम्मच में आधे चम्मच शहद मिलाकर नित्य 3 बार चाटने से खाँसी ठीक हो जाती है।

2). दाँतरोग – दाँत में कीड़ा लगने पर लौंग को दाँत के खोखले स्थान में रखना चाहिए अथवा लौंग का तेल लगाना चाहिए।

3). जीभ कट जाना – पान खाने से यदि जीभ कट गई हो तो एक लौंग मुँह में रखने से जीभ ठीक हो जाती है।

4). सिरदर्द – लौंग को पीसकर लेप करने से सिरदर्द तुरन्त बन्द हो जाता है । इसका तेल भी लगाया जाता है। अथवा 5 लौंग पीसकर 1 कप पानी में मिलाकर गर्म करें। आधा पानी शेष रहने पर छान कर चीनी मिलाकर पिलाएँ। इसका सेवन शाम को और सोते समय 2 बार करते रहने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।

5). दाँतदर्द – 5 लौंग पीसकर उसमें नीबू का रस निचोड़कर दाँतों पर मलने से दाँतों के दर्द में लाभ होता है। अथवा 5 लौंग 1 गिलास पानी में उबालकर इससे नित्य 3 बार कुल्ले करना भी लाभकारी है।

6). गहेरी – आँखों में गुहेरी या आँखों पर छोटी-छोटी फुन्सियाँ निकलने पर लौंग घिस-घिसकर लगाने से वे बैठ जाती हैं और सूजन भी कम हो जाती है।

7). श्वास-कास – लौंग मुँह में रखने से कफ आसानी से निकलता है तथा कफ की दुर्गन्ध दूर हो जाती है। मुँह और साँस की दुर्गन्ध भी इससे मिटती है। लौंग और अनार के छिलके समान मात्रा में पीसकर 1 चुटकीभर चूर्ण नित्य 3 बार शहद के साथ चाटने से खाँसी ठीक हो जाती है। 2 लौंग तवे पर सेंककर चूसें। इससे खाँसी के साथ कफ (बलगम) आना बन्द हो जाता है।

8). अपच गैस – 2 लौंग पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें। फिर कुछ ठण्डा, होने पर पी लें। इस प्रकार ये प्रयोग नित्य 3 बार करने से अपच-गैस में लाभ होता है।

9). अम्लपित्त – अम्लपित्त से पाचनशक्ति खराब रहती है। दाँत भी आयु से जल्दी गिर जाते हैं । आँखे दुःखने लगती हैं और बार-बार जुकाम लगा रहता है । इस प्रकार अम्लपित्त से अनेकों रोग उत्त्पन्न होते हैं । अम्लपित्त के रोगी को चाय का सेवन बहुत ही हानिकारक है। ऐसी दशा में भोजनो परान्त 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से अथवा शर्बत में लेने से अम्लपित्त से उत्पन्न होने वाले समस्त रोगों में लाभ होता है और अम्लपित्त ठीक हो जाता है। अथवा 15 ग्राम हरे आँवलों का रस 5 पिसी हुई लौंग, 1-1 चम्मच शहद और चीनी मिलाकर रोगी को सेवन कराएँ । ऐसी, प्रतिदिन सुबह, दोपहर और शाम को, 3 मात्राएँ सेवन करते रहने से कुछ ही दिनों में लाभ होता है।

10). नासूर – लौंग और हल्दी पीसकर लगाना गुणकारी है।

11). हैजा – लौंग का पानी बनाकर रोगी को देने से प्यास और वमन कम होकर मूत्र खुलकर आता है।

12). गर्भिणी की वमन – 2 लौंग पीसकर शहद के साथ गर्भिणी को चटाएँ।

13). तीव्र प्यास – उबलते हुए पानी में लौंग डालकर रोगी को पिलाएँ। इस प्रयोग से प्यास की तीव्रता कम हो जाती है।

14). जी-मिचलाना – लौंग पीसकर आधा कप पानी में मिलाकर गर्म करके सेवन करने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है। लौंग चबाना भी जी मिचलाने में लाभकारी है।

15). वमन होना – 4 लौंग कूटकर 1 कप पानी में डालकर उबालें और आधा पानी शेष रहने पर छानकर, स्वादानुसार मीठा मिलाकर पीकर करवट लेकर सो जाएँ। दिन भर में ऐसी 4 मात्राएँ लें।

16). पित्तज्वर – 4 लौंग पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज ज्वर कम होता है।

17). आन्त्रज्वर – इसमें लौंग का पानी पिलाना लाभकारी है। 5 लौंग 2 किलो पानी में उबालकर आधा पानी शेष रहने पर छान लें। इस पानी को रोगी को नित्य बार-बार पिलाएँ । केवल पानी भी उबाल कर ठण्डा करके पिलाना गुणकारी है।

18). ज्वर – 1 लौंग पीसकर गर्म पानी से फंकी लें । इस प्रकार नित्य 3 बार यह प्रयोग करने से सामान्य ज्वर में लाभ होता है।

19). खसरा – खसरा निकलने पर 2 लौंग को घिसकर शहद के साथ प्रयोग कराने से खसरा ठीक हो जाता है।

20). कुकर खाँसी – 2 लौंग आग में भूनकर शहद में मिलाकर चाटने से कुकर खाँसी ठीक हो जाती है।

लौंग के कुछ अन्य उपयोगी घरेलू नुस्खे :

long ke nuskhe in hindi

  • रेल या बस द्वारा यात्रा करने के दौरान यदि चक्कर आवें अथवा वमन होने लगे तो मुँह में लौंग रखकर उसका रस चूसने से चक्कर आने का या वमन होने का कष्ट दूर हो जाता है।
  • लौंग को मुँह में रखकर उसका रस चूसने से भारी परेशानी देने वाली खाँसी मिटती है।
  • लौंग को दीपक की लौ में सेंककर मुँह में रखने से सर्दी, जुकाम, कफ, रक्त पित्त और श्वासरोग में लाभ होता है।
  • दमा रोग में 10-15 लौंग चबाकर उसका रस निगलने से राहत मिलती है।
  • लौंग का काढ़ा बनाकर सेवन करने से एवं लौंग के तेल की 2 बँद चीनी में डालकर सेवन करने से सर्दी मिटती है।
  • आयुर्वेद की सुप्रसिद्ध शास्त्रोक्त औषधि ‘लवंगादिवटी’ लौंग की अन्य औषधियों के साथ निर्मित खाँसी में चूसने हेतु उत्तम दवा है।
  • long ka tel ka istemal – लौंग के तेल की 2-3 बूंदे चीनी या बताशे में देने से हैजा की वमन और दस्तों में लाभ होता है। इस तेल के सेवन से पेट की पीड़ा, अफरा, वायु और वमन मिटती है।
  • लौंग पिसकर उसका लेप करने से शरीर के किसी भी हिस्से पर आई हुई सूजन उतरती है।
  • लौंग को पानी में घिसकर थोड़ा-सा गर्म करके सिर में भरने से सिर का दर्द दूर होता है। सिरदर्द में लौंग को घिसकर भाल-प्रदेश में लगाना गुणकारी है।
  • long tel ke fayde – लौंग का तेल घिसने से सिर व सन्धिवात का दर्द दूर होता है।
  • long tel ka upyog – लौंग का तेल रूमाल पर डालकर सूंघने से जुकाम मिटता है।
  • बकरी के मूत्र में लौंग घिसकर आँख में अंजन करने से रतौन्धापन दूर होता है।
  • लौंग घिसकर आँख में अंजन करने से मूर्छा दूर होती है और चेतना लौट आती है।

लौंग के दुष्प्रभाव : Cloves Side Effects in Hindi

आयुर्वेद मतानुसार, लौंग के ये नुकसान भी हो सकते है –

  • ज्यादा लौंग खाने से किडनी और आंतों को नुकसान पहुंच सकता है।
  • दोषों को दूर करने वाला : इसके दोषों को दूर करने के लिए बबूल की गोंद का उपयोग करना चाहिये ।

(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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