सफेद जीरा खाने के फायदे ,औषधीय गुण और उपयोग | Health Benefits of White Cumin in Hindi

Last Updated on November 5, 2019 by admin

सफेद जीरा क्या है ? : White Cumin in Hindi

जीरा नाम से तो अधिकतर लोग परिचित ही हैं पर सफेद जीरा खाने के फायदे ,इसके अनेक उपयोग और गुणों से सभी परिचित नहीं हैं इसलिए जीरे की उपयोगिता और गुणवत्ता का परिचय देना आवश्यक है। यूं तो इसकी पैदावार सारे भारत में होती है पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब में इसकी विशेष खेती होती है। गुजरात के मेहसाना जिले के उंझा व सिद्धपुर क्षेत्र में भी इसकी खेती होती है।

विभिन्न भाषाओं में नाम :

✦ संस्कृत – जीरक।
✦ हिन्दी – सफ़ेद जीरा ।
✦ मराठी – जीरें।
✦ गुजराती – जीरूं ।
✦ बंगला – जीरा ।
✦ तेलुगु – जिलकारा ।
✦ तामिल – चीरकम् ।
✦ सिन्धी – दुरु।
✦ कन्नड़ – जीरिगे।
✦ मलयालम – जोरेकम ।
✦ फारसी – जीरए सफ़ेद।
✦ इंगलिश – क्यूमिन सीड (Cumin seed). ।
✦ लैटिन – क्युमिनम साइमिनम (Cuminum Cyminum) ।

सफेद जीरा के औषधीय गुण :

☛ सफेद जीरा किंचित चरपरा, गरम, अग्नि बढ़ाने वाला है ।
☛ यह हलका, ग्राही, पित्तकारक, मेधा के लिए हितकारी है ।
☛ यह गर्भाशय को शुद्ध करने वाला है ।
☛ यह ज्वरनाशक, पाचक, धातुवर्द्धक व बलकारक है ।
☛ सफेद जीरा रुचिकारी, कफनाशक तथा नेत्रों के लिए हितकारी है ।
☛ यह सुगन्धयुक्त तथा वायु-आध्मान, गुल्म, वमन और अतिसार को नष्ट करने वाला है।
☛ यह स्वर भंग, ग्रहणी, उदर आध्मान, कृमि,छर्दि आदी रोगों को दूर करता है ।
☛ सफेद जीरा वात विकार, विष प्रकोप, कुष्ठ और गुल्म रोग में प्रयुक्त होता है।
आधुनिक मत भी इन गुणों में से अनेक गुणों का समर्थन करता है।

सफेद जीरा के रासायनिक संघटन :

✶ इसमें एक उड़नशील तैल 2-4 % होता है जिसके कारण इसमें बहुत अच्छी सुगन्ध होती है और स्वाद भी।
✶ इसमें 20-40 % क्यूमेल्डिहाइड (Cumaldehyde) रहता है।
✶ इसके अतिरिक्त बीजों में स्थिरतैल 10% होता है।
✶आर्द्रता 11.9, प्रोटीन 18.7
✶ कार्बोहाइड्रेट 36.6
✶ सूत्र 12
✶ खनिज द्रव्य 4.8%
✶ कैल्शियम 1.08
✶ फास्फोरस 0.49
✶ लौह 31 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम।
✶ विटामिन ए 870 इ.यु.
✶ विटामिन सी 3 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम होते हैं।
(द्रव्य गुण विज्ञान से साभार)

सफेद जीरा के उपयोग : uses of white cumin seeds in hindi

सफेद जीरा अपने अनेक गुणों के कारण इतना उपयोगी सिद्ध होता है-
✥ इसका उपयोग सारे भारत में, रसोई के अनेक व्यंजनों में तो किया ही जाता है साथ ही चिकित्सा हेतु निर्मित आयुर्वेदिक योगों एवं घरेलू नुस्खों में भी इसका उपयोग किया जाता है क्योंकि जीरा आमाशय, यकृत तथा आन्त्र (आंत) तीनों अंगों को सबल बनाता है।
✥ आन्त्र में मौजूद कीटाणुओं को नष्ट करता है,
✥ सफेद जीरा दुर्गन्ध दूर कर मल को बांधता है जिससे उदर में वायु, उदरशूल, मलावरोध, अफारा, मल की दुर्गन्ध आदि- ये सब उपद्रव दूर होते हैं।
✥ विरेचक नुस्खे में जीरा मिलाने से, उदर-पीड़ा और आन्त्र में शिथिलता नहीं होती।
✥सफेद जीरा मूत्र और रज-स्राव को शुद्ध करता है और बूंदबूंद करके मूत्र स्राव होना बन्द करता है एवं मासिक ऋतु स्राव साफ़ लाता है।
यहां घरेलू इलाज में उपयोगी एवं गुणकारी कुछ घरेलू नुस्खे प्रस्तुत किये जा रहे हैं जिनमें जीरे का उपयोग किया जाता है।

सफेद जीरा से निर्मित आयुर्वेदिक दवा (योग):

1- जीरकादि चूर्ण –

सफेद जीरा, काली मिर्च, छोटी हरड़, सेन्धानमक और अजवायन- पांचों समान मात्रा में मिला कर खूब बारीक पीस कर महीन चूर्ण कर लें। आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से शहद में मिला कर चाटने या पानी के साथ फांकने से हिचकी, अफारा और उदर शूल में आराम होता है।

2- जीरकादि क्वाथ –

सफेद जीरा, काला जीरा, कुटकी- तीनों 2-2 ग्राम, 2 कप पानी में डाल कर काढ़ा करें। जब पानी आधा कप बचे तब उतार कर ठण्डा करके छान लें। गर्भवती स्त्री इस काढ़े को सुबह शाम, ताज़ा बना कर पिए तो मल-मूत्र की शुद्धि होती है जिससे शोथ(सूजन) दूर होता है। कुटकी विरेचक (दस्तावर) होती है अतः मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए।

3- नमकीन जीरा –

सफेद जीरा और सेन्धा नमक समभाग ले कर मिला लें और नींबू के रस में भिगो कर सात दिन तक रख कर, इसे रस में से निकाल कर छाया में सुखा कर पीस लें। इसे आधा-आधा चम्मच (2-3 ग्राम) दिन में तीन बार पानी के साथ फांकने से अरुचि, मन्दाग्नि, जी मचलाना, अपच, वमन, उदर शूल, अतिसार और पेट में कीड़े होना आदि व्याधियां दूर होती हैं।

4- पंचजीरक पाक –

सफेद जीरा, कलौंजी, सोया, सौंफ, अजवायन, अजमोद, धनिया, मेथी, सोंठ, पीपल, पीपलामूल, चित्रक मूल, हाउबेर, विदारीकन्द, बेर वृक्ष की छाल, कूठ और कपिला- ये 17 द्रव्य 40-40 ग्राम, गुड़ 800 ग्राम, घी 640 ग्राम और दूध सवा लिटर। सब द्रव्यों को घी में भून लें। दूध का मावा (खोया) बना लें। गुड़ का पाक करके इसमें सबको मिला कर 10-10 ग्राम के लड्डू (गोले) बना लें। सुबह शाम 1-1 लड्डू खूब चबा चबा कर खाने से महिलाओं का सूतिका रोग और योनि विकार नष्ट होता है अतः यह पाक प्रसूता (जच्चा) स्त्रियों के लिए बहुत हितकारी होता है। इसके सेवन से स्तनों में दूध बढ़ता है। इसके अतिरिक्त मन्द ज्वर, क्षय, श्वास, खांसी, पाण्डु और वात प्रकोप आदि व्याधियां भी दूर होती हैं।

5- जीरकाद्यरिष्ट –

इसके सेवन से अफारा, संग्रहणी, अतिसार व मन्दाग्नि आदि रोग नष्ट करने में मदद मिलती है, पाचनक्रिया बलवान होती है जिससे पाचन सुधरता है और भूख खुल कर लगती है। सुबह शाम भोजन करके, आधा कप पानी में 2-2 चम्मच डाल कर पीना चाहिए। यह योग स्त्रियों के सूतिका रोग में भी लाभ करता है।

उपलब्धता : यह सभी योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

सफेद जीरा के फायदे और घरेलू नुस्खे : white cumin benefits in hindi

उपर्युक्त आयुर्वेदिक योगों (नुस्खों) के गुण लाभ का वर्णन करने के बाद, अब घरेलू इलाज से जिन रोगों की चिकित्सा की जा सकती है उन रोगों के बारे में चर्चा करते हैं।-

1- जीर्णज्वर में सफेद जीरा के फायदे –
पुराने बुखार के रोगी को आधा चम्मच पिसा जीरा व गुड़ मिला कर, सुबह शाम 1-2 सप्ताह तक सेवन करना चाहिए। इससे आम विष नष्ट हो जाता है ज्वर दूर होता है और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।

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2- अतिसार में सफेद जीरा के लाभ –
बार बार, थोड़ा थोड़ा और पतला मल निकलना अतिसार रोग होता है। पाचन क्रिया बिगड़ना और आंतों का निर्बल होना- इन कारणों से अतिसार रोग होता है। भुना पिसा जीरा, काली मिर्च और सेन्धा नमक- तीनों को समभाग ले कर मिला लें। इस मिश्रण को एक चम्मच मट्ठा के साथ भोजन के बाद लेने से ये सभी व्याधियां दूर हो जाती है।

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3- अफारा में सफेद जीरा के फायदे –
अपच के कारण उदर में भारी पन और क़ब्ज़ हो तथा दुर्गन्ध युक्त वायु निकलती हो तो जीरकादि चूर्ण या नमकीन जीरा सुबह शाम 1-1 चम्मच, पानी के साथ फांकने से अफारा दूर हो जाता है। इस प्रयोग से वमन होना भी बन्द होता है। इसे गर्भवती स्त्री को भी सेवन कराया जा सकता है।

4- कण्डू में सफेद जीरा के फायदे –
लगातार क़ब्ज़ रहने, नमक मिर्च मसालेदार पदार्थों का अति मात्रा में सेवन करने, शक्कर या मीठे पदार्थों का सेवन करने से त्वचा में खुश्की बढ़ती है जिससे खुजली पैदा होती है विशेषकर रात के समय – इन कारणों को दूर करने के लिए, रात को कुनकुने गर्म पानी के साथ एक चम्मच पिसा सफेद जीरा लेने से खुजली दूर होती है। सोने व पहनने के कपड़ों को दिन में धूप में रखने से इनमें छिपे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और रोगी को जल्दी आराम मिलता है। इस प्रयोग के साथ पंचनिम्बादि वटी 2-2 गोली लेने से जल्दी व स्थायी लाभ होता है।

5- अम्लपित्त में सफेद जीरा के फायदे –
इस व्याधि को हायपर एसिडिटी कहते हैं। रोग की प्रारम्भिक अवस्था में, आमाशय का पित्त बहुत खट्टा और बहुत गरम हो जाता है जिससे अन्न ठीक से पचता नहीं। इस स्थिति में सुबह उठने पर छाती व गले में जलन मालूम देती है। इस प्रारम्भिक स्थिति में जीरा और धनिया (दाना) पीस कर इसमें बराबर मात्रा में पिसी शक्कर मिला लें। इसे 1-1 चम्मच सुबह शाम लेने से अम्लपित्त शान्त हो जाता है।

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6- कमज़ोरी में सफेद जीरा के लाभ –
ज्वर उतर जाने पर मन्दाग्नि होने से शरीर में कमज़ोरी आ जाती है। इसे दूर करने के लिए एक कप उबलते हुए पानी में एक चम्मच पिसा जीरा डाल दें और उतार कर ढक कर 20 मिनिट तक रखें फिर इसे छान कर एक चम्मच शक्कर डाल कर पी लें। लगातार कुछ दिन तक पीने से मन्दाग्नि दूर होती है और पाचन क्रिया सुधरने से शरीर में शक्ति बढ़ने लगती है और कमज़ोरी दूर होती है।

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7- अरुचि में लाभप्रद –
ग्लानि करने वाले पदार्थ देखने या मजबूरन खाने से अरुचि पैदा होती है और जी मचलाता है। ज्वर होने या ज्वर उतर जाने पर मुंह का स्वाद खराब होने से भोजन में रुचि नहीं रहती। नमकीन जीरे का सेवन करने से अरुचि नष्ट हो जाती है।

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8- प्रसूता की निर्बलता को दूर करने वाला –
पंच जीरक पाक, जिसकी निर्माण विधि इसी लेख में दी जा चुकी है, का सेवन कराने से या जीरा, गुड़ व अजवायन- तीनों को मिला कर सुबह 10 ग्राम मात्रा में प्रसूता को खिलाने से प्रसूता स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।

9- हिचकी में सफेद जीरा के फायदे –
जीरे को घी का हाथ लगा कर मसलें ताकि पूरे जीरे में घी लग जाए फिर एक बीड़ी से तम्बाकू निकाल कर यह जीरा भर दें और धूम्रपान करें तो हिचकी चलना बन्द हो जाता है।

10- बिच्छू दंश में सफेद जीरा के लाभ –
इस धूम्रपान से बिच्छू का ज़हर भी उतर जाता है। यदि एक बार धूम्रपान करने पर पूरा लाभ न हो तो एक बार और धूम्रपान कराएं और जहां बिच्छू ने काटा हो वहां, जीरा व सेन्धानमक पीस कर घी मिलाकर, चटनी जैसा बना कर लेप कर दें। इस प्रयोग से ज़हर का असर समाप्त हो जाता है।

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11- हिमोग्लोबिन बढ़ाने में सफेद जीरा का उपयोग –
रक्त में हिमोग्लोबिन कम हो तो पान वाले की दुकान से सादा पान बनवा लें और इस पान में एक चम्मच पिसा जीरा रख कर, पान को चबाते चूसते रहें। प्रतिदिन सुबह शाम इस उपाय को लगातार सेवन करने पर हिमोग्लोबिन बढ़ जाता है।

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12- होठों की जलन दूर करने मे लाभप्रद –
ज्वर होने पर किसी किसी रोगी के होठों में जलन या पीड़ा होने लगती है। जीरे को पानी में पीस कर दिन में 3-4 बार होठों पर लेप करने से जलन व पीड़ा दूर हो जाती है।

13- मुख की दुर्गन्ध दूर करने वाला-
भोजन के बाद पिसा जीरा व पिसी मिश्री आधा-आधा चम्मच मुंह में रख कर चूसने से मुख की दुर्गन्ध दूर होती है। मसूड़ों में दर्द हो तो पानी में जीरा उबाल कर इस पानी से कुल्ले करने से दर्द दूर होता है।

14- स्तनों में दूध कम होना-
प्रसूता के स्तनों में दूध कम आता हो तो जीरा व मिश्री समान मात्रा में ले कर पीस लें। इस चूर्ण को, सुबह शाम एक चम्मच भर, पानी के साथ लेने से दूध पर्याप्त मात्रा में आने लगता है।

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15- खूनी बवासीर में जीरा का उपयोग –
जीरे को पानी के साथ पीस कर इसकी लुगदी गुदा पर रख कर लंगोट बांध कर रखने से बवासीर रोग ठीक होता है और खून गिरना बन्द होता है।

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16- विषाक्त प्रभाव को दूर करने वाला –
किसी नुस्खे में सोमल या मैनसिल, हरताल जैसे विषैले द्रव्य की मात्रा ज्यादा हो जाए तो ऐसे नुस्खे का सेवन करने से पाचन संस्थान में दाह या पीड़ा हो जाती है। इसे दूर करने के लिए पिसा जीरा व शक्कर का शर्बत बना कर पीने से दाह या पीड़ा दूर हो जाती है।

17- शोथ(सूजन) व दर्द दूर करने वाला –
शरीर के किसी अंग में दर्द या सूजन हो तो 2 चम्मच जीरा एक गिलास पानी में उबाल कर इस पानी में नेपकिन डुबो कर सहता हुआ गर्म सेक करने से आराम होता है।

18- खांसी में सफेद जीरा के फायदे –
पिसा जीरा और पिसी सोंठ आधा-आधा चम्मच ले कर थोड़े से शहद में मिला कर सुबह दोपहर व शाम को चाटने से खांसी में आराम होता है।

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19- रक्त प्रदर में सफेद जीरा के फायदे –
पिसा जीरा, पिसी मिश्री और पिसा हुआ पठानी लोध्र- तीनों समान मात्रा में ले कर मिला लें और तीन बार छान कर शीशी में भर लें। यह मिश्रण सुबह शाम को 1-1 चम्मच मात्रा में, चावल के धोवन के साथ लेने से रक्त प्रदर रोग में आराम होता है।

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20- मुंह के छाले दूर करने में जीरा का उपयोग –
एक चम्मच पिसा जीरा, एक चुटकी छोटी इलायची के पिसे हुए दाने और फिटकरी का पिसा हुआ फूला एक चुटकी- तीनों एक गिलास पानी में घोल लें और लाभ होने तक इससे गरारे करें। 2-3 दिन में छाले ठीक हो जाएंगे।

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21- झाईं और दाग में इसके लाभ –
चेहरे पर झाइयां और दाग़ धब्बे हों तो जीरा, काला जीरा, काले तिल और सरसों- चारों बराबर वज़न में लेकर दूध के साथ पीस कर इसका लेप चेहरे पर लगाएं। सूखने लगे तब मसलते हुए लेप छुड़ा दें और कुनकुने गरम पानी से धो कर तौलिया से पोंछ कर त्वचा सुखाएं। त्वचा सूख जाए तब कुमकुमादि तैल लगा कर हलके हलके मसाज कर तेल सुखा दें। थोड़े दिनों में झाइयां, दाग, धब्बे आदि साफ़ हो जाएंगे।

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सफेद जीरा खाने के नुकसान : Side Effects of White Cumin in Hindi

सफेद जीरा के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है।

तो देखा आपने ! सफेद जीरा कितना गुणकारी है, कितनी विविध प्रकार की व्याधियों को दूर करने की क्षमता रखता है और कैसा अद्भुत खाद्य पदार्थ है? प्रकृति के अद्भुत वरदानों में से एक वरदान है जीरा । विशेष निवेदन यह है कि इस लेख में जीरे के जितने प्रयोग प्रस्तुत किये गये हैं वे सभी परीक्षित हैं यानी आज़माये हुए हैं और अधिकांश केसेज़ में ये नुस्खे सफल सिद्ध हुए हैं। आयुर्वेद में जीरे का उपयोग कर बनाये गये सुप्रसिद्ध योगों में जीरकादि मोदक, जीरकाद्य चूर्ण, जीरकाद्य तैल और जीरकाद्यरिष्ट के नाम उल्लेखनीय हैं।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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