Aloo bukhara ke Fayde | आलू बुखारा के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

Last Updated on May 13, 2020 by admin

आलू बुखारा क्या है ? : What is Plum (aloo bukhara) in Hindi

आडू की ही एक प्रजाति आलू बुखारा के नाम से जानी जाती है। यूनानी चिकित्सक इसका बहुतायत से प्रयोग करते हैं। मदनपाल निघन्टु में आरुक (आडू) के जो चार भेद कहे हैं आलूबुखारा उनसे भिन्न नहीं है।

आलू बुखारा का पेड़ कहां पाया या उगाया जाता है ? : Where is Plum (aloo bukhara) Found or Grown?

बुखारा प्रदेश का अधिक होने से ही इसका नाम आलू बुखारा या आलूबोखारा प्रसिद्ध हुआ। भारत में आलू बुखारा अफगानिस्तान एवं बलख आदि स्थानों से आता है। हिमालय में गढ़वाल से कश्मीर तक यह स्वयं उगा हुआ या लगाया हुआ पाया जाता है।

आलू बुखारा के प्रकार :

बागी और जंगली ये आलू बुखारा के मुख्य भेद हैं। इनमें बागी कई प्रकार के होते हैं। उनमें से जो बड़े आकार का तथा काला होता है वह आलुबुखारा कहलाता है। इसमें जो पीले प्रकार का होता है वह “आलूचा” के नाम से जाना जाता है। सफेद रंग वाले को “आलूचहे सुलतानी” तथा लाल रंग वाले को “आलूकीश” कहते हैं। इनमें आलूबुखारा ही अधिक होता है। इसका ताजा फल खाया जाता है। और बीजरहित सूखा फल औषधि के रूप में उपयोग में लाया जाता है। आलु बुखारा का वानस्पतिक कुल तरुणीकुल (रोजासी) है ।

आलू बुखारा का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Plum (aloo bukhara) in Different Languages

Plum (aloo bukhara) in –

  • हिन्दी (Hindi) – आलूबुखारा, आलूबोखारा
  • गुजराती (Gujarati) – आलू बुखारा
  • मराठी (Marathi) – आलूबुखारा
  • फ़ारसी (Farsi) – आलूबोखारा, शाहआलू
  • अंग्रेजी (English) – प्लम् (Plum)
  • लैटिन (Latin) – पुनस डोमेस्टिका (Prunus Domestica)

आलू बुखारा का पेड़ कैसा होता है ? :

  • आलू बुखारा का पेड़ – आलु बुखारे के छोटे वृक्ष होते हैं जिनकी शाखायें सीधी एक साथ दो निकलती हैं। शाखाग्र कभी कभी तीक्ष्ण होते हैं। कोमल शाखायें मृदुरोमावृत होती हैं।
  • आलू बुखारा के पत्ते – पत्ते सेब के पत्तों के समान होते हैं, इनके किनारे सूक्ष्मदंतुर होते हैं।
  • आलू बुखारा का फूल – पुष्प श्वेत-पीले एक एक या छोटे गुच्छों में होते हैं। वसन्त ऋतु में पूरा पतपड़ हो जाता है, वृक्ष पर केवल पुष्प ही दिखाई देते हैं।
  • आलू बुखारा का फल – फलआंवले या आडू के आकार के दीर्घवर्तुलाकार कुछ ललाई व पीलापन लिये हुए चमकदार होते हैं।
    पकने पर सुर्थी चमकदार और गहरी हो जाती है। अधिक पक जाने पर श्यामतायुक्त लालिमा हो जाती है। अन्दर का गूदा पीला होता है। कच्चे फल खट्टे तथा पकने पर खटमीठे रसदार हो जाते हैं। सूखने पर ये फल ही लम्बे, काले, झुरींदार हो जाते हैं।
    बागी फल गरमी के दिनों में पक जाते हैं । पहाड़ी (जंगली) फल इसके पहले ही पक जाते हैं।
  • आलू बुखारा का बीज – प्रत्येक फल में एक एक कठोर गुठली निकलती है जिसके भीतर मुलायम बीज बादाम जैसा होता है। यह गिरी बादाम की तरह खाई जाती है। इससे तैल भी निकलता है। इसके वृक्ष से बबूल के गोंद जैसा गोंदी निकलता है। इस गोंद को फारसी गोंद कहते हैं। यह बबूल के गोंद (अरबी गोंद) का उत्तम प्रतिनिधि है।

आलू बुखारा का रासायनिक विश्लेषण : Plum (aloo bukhara) Chemical Constituents

इसके फल में गैलिक एसिड, साइट्रिक एसिड, शर्करा, पेक्टिन आदि पाये जाते हैं। ताजा आलूबुखारे में 15 से 23 प्रतिशत शर्करा होती है और सूखे हुये में 50 प्रतिशत से भी अधिक होती है।

आलू बुखारा के औषधीय गुण : Aloo bukhara ke Gun in Hindi

  1. यह लघु स्निग्धगुण युक्त, मधुरअम्लरसयुक्त, मधुरविपाक युक्त और शीतवीर्ययुक्त होता है।
  2. यूनानी मतानुसार यह दूसरे दर्जे में शीत एवं तर है।
  3. आलुबुखारा दाह प्रशमन, तृष्णाहर, रक्त की उग्रता का संशमन करने वाला, पित्तरेचक और पित्तशामक है।
  4. यह पैत्तिक शिरःशूल, पित्तज्वर, वमन, तृष्णा, कामला, दाह, हृदय की उष्णता, हल्लास और पित्तप्रधान रक्तविकारों में दिया जाता है।
  5. कच्चा फल शीतल, कब्ज करने वाला, पचने में भारी, हृदय के लिये हितकारी तथा प्रमेह, बवासीर में लाभकारी है।
  6. पका फल रुचिकारक, धातुवर्धक तथा कफ को बढ़ाने वाला है।
  7. यह मितली, तृष्णा, प्रमेह, बवासीर, गठिया, ज्वर आदि में हितकर है।
  8. फल का रस विशेषकर पीलिया के रोगी के लिये लाभदायक कहा गया है।
  9. कच्चा फल कब्ज करता है जबकि पका फल दस्त साफ लाता है। कब्ज को मेटने के लिये फल खाने चाहिये। वैसे ये फल 5-7 खाने चाहिये किन्तु यदि कब्ज अधिक ही रहता हो तो ये 15-20 तक भी खाये जा सकते हैं। इससे अधिक फल नहीं खाने चाहिये। इनकी अधिक मात्रा आमाशय, दिमाग तथा मांस पेशियों के लिए हानिप्रद है। इस हानिकर प्रभाव को दूर करने के लिये गुलकन्द खाना चाहिये या उन्नाव का सेवन करना चाहिये।
  10. शरीर के रूखेपन और पित्त की अधिकता को दूर करने के लिये इसका सेवन हितकारी है।
  11. प्लीहा (तिल्ली) से सम्बन्धित सभी रोगों में यह पथ्य कहा गया है।
  12. प्यास की अधिकता में तथा जी मिचलाने पर इसे मुख में रखकर चूसना चाहिये अथवा इसका शर्बत बनाकर सेवन करना चाहिये।
  13. ताजा फल मिलने पर उसको उपयोग में लाना चाहिये अन्यथा सूखा फल पंसारी के यहाँ से लाकर काम में लाना चाहिये। यूनानी चिकित्सक सूखे फलों के कई योग बनाकर रोगियों को देते हैं। कुछ योग यहाँ भी दिये जा रहे हैं ।

आलू बुखारा के फायदे और उपयोग : Benefits of Aloo bukhara in Hindi

बुखार (ज्वर) में आलू बुखारा के इस्तेमाल से फायदा (Aloo bukhara Benefits to Cure Fever in Hindi)

आलू बुखारा को थोड़ी देर पानी में भिगोकर मसलछान कर पिलाने से पित्तजन्य ज्वर दूर होता है। आलू बुखारे 10 नग और इमली का गूदा 15 ग्राम दोनों को 500 मिली. जल में पकावें। जब दोनों अच्छी तरह से गल जायें तब इन्हें मसल कर छानकर उसमें 15-20 ग्राम मिश्री मिलाकर रोगी को दिन में तीन बार पिलाने से पित्तज्वर मिटता है।

अरुचि (भूख ना लगना) मिटाए आलू बुखारा का उपयोग (Benefits of Aloo bukhara in Anorexia Treatment in Hindi)

किसी बुखार के बाद रोगी को कई दिनों तक भोजन में रूचि कम होती है, ऐसी स्थिति में सूखे फलों को पानी में भिगोकर उन्हें पीसकर उनकी चटनी बनाकर उसमें नमक, कालीमिर्च तथा नींबू का रस मिला कर सेवन कराने से उसको अच्छी भूख लगने लगती है और भोजन में रुचि पैदा होती है। चटनी में पुदीना या हरा धनियाँ मिलाकर भी बनाई जा सकती है।

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बार बार लगने वाली प्यास (तृष्णा) मिटाए आलू बुखारा का सेवन

आलू बुखारा को गीले आटे में लपेट कर बाटी की तरह गरम राख में सेक लें। जब आटा लाल हो जाये तब उसे निकालकर आटे को हटाकर आलू बुरबारे को मुख में रखकर चूसते रहें। इससे बार बार लगने वाली घोर प्यास शान्त हो जाती है।

सिरदर्द (शिरःशूल) में आलू बुखारा से फायदा (Benefits of Aloo bukhara in HeadacheTreatment in Hindi)

आलू बुखारा 10 से 12 नग को 500 मि.लि. जल में रातभर भिगोकर सुबह उन्हें मसलते हुये साफ वस्त्र से छान लें। फिर उसमें यथेष्ट मिश्री मिलाकर पीने से गरमी से उत्पन्न सिरदर्द और पित्त की उल्टियाँ होना आदि पित्तजन्य विकार शीघ्र ही शान्त होते हैं।

कब्ज (विबन्ध) दूर करने में आलू बुखारा फायदेमंद (Benefit of Aloo bukhara in Constipation in Hindi)

एक ली. पानी लेकर उसमें 250 ग्राम सूखे आलू बुखारे डालकर आँच पर रख इसका क्वाथ बना लें। जब इसमें से 250 मि.ली. पानी शेष रह जाये तब उसे छानकर पिलाने से कब्ज मिटता है। मृदु विरेचन (साधारण जुलाब) के लिये इसे दो तीन बार सेवन करना चाहिये। गरमी के दिनों में अधिक प्यास, बैचेनी, संताप आदि को शान्त करने के लिये इसे क्वाथ में मिश्री मिलाकर कई बार उपयोग में लाया जा सकता है। “शर्बत आलू” के नाम से यूनानी औषधि विक्रेता के यहाँ तो तैयार योग उपलब्ध होता है, वह भी उपयोग में लाया जा सकता है।

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वमन (उल्टी) रोकने में फायदेमंद आलू बुखारा का औषधीय गुण (Aloo bukhara Beneficial to Treat Vomiting in Hindi)

आलू बुखारा को पीसकर नींबू के रस में मिलाकर उसमें कालानमक, कालीमिर्च, जीरा, सोंठ,सेंधानमक, अजवायन , धनिया, बराबर मात्रा में मिलाकर चटनी की तरह बनाकर खाने से उल्टी का आना बन्द हो जाता है।
पूरे पके हुए आलू बुखारा के रस को पीने से उल्टी आना बन्द हो जाता है।

दस्त में लाभकारी है आलू बुखारा का प्रयोग (Aloo bukhara Benefits to Cure Diarrhea in HIndi)

आलू बुखारा के पके फल को खाने से दस्त का आना बन्द हो जाता है ।

लू से बचाव में आलू बुखारा का उपयोग फायदेमंद

आलू बुखारा को गर्म पानी में थोड़ी देर रखने के बाद इसे मसलकर रख लें। अब इसे छानकर इसमें थोड़ासा सेंधानमक मिलाकर पीने से लू खत्म हो जाती है।

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पित्त में आराम दिलाए आलू बुखारा का सेवन

50 से 100 मिलीलीटर तक आलू बुखारा के रस (या 20 से 40 मिलीलीटर काढ़ा) को सुबह-शाम पीने से पित्त शांत होता है।

पीलिया रोग में लाभकारी है आलू बुखारा का प्रयोग (Aloo bukhara Benefits to Cure Jaundice in HIndi)

आलू बुखारा की चटनी पीलिया रोग में लाभदायक है।

खून की कमी दूर करे आलू बुखारा का उपयोग (Benefits of Aloo bukhara in Anemia Treatment in Hindi)

प्रतिदिन सुबह-शाम आलू बुखारा का रस निकालकर दो गिलास रस पीने से खून की कमी दूर हो जाती है।

( और पढ़े – खून की कमी दूर करने के 46 उपाय )

गले के रोग मिटाए आलू बुखारा का उपयोग

दिन में 3 से 4 बार आलू बुखारा खाने व चूसने से गले की खुश्की (गले का सूखना) मिट जाता है।

आलू बुखारा के दुष्प्रभाव : Aloo bukhara ke Nuksan in Hindi

  • आलू बुखारा का कच्चा फल कब्ज करता है जबकि पका फल दस्त साफ लाता है।
  • आलू बुखारा की अधिक मात्रा आमाशय, दिमाग तथा मांस पेशियों के लिए हानिप्रद है।

दोषों को दूर करने के लिए : इस हानिकर प्रभाव को दूर करने के लिये गुलकन्द खाना चाहिये या उन्नाव का सेवन करना चाहिये।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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