Last Updated on July 6, 2022 by admin
करिश्माई फल आँवला (amla in hindi)
आंवले के वृक्ष सम्पूर्ण भारत में प्रात: सभी स्थानों पर पाए जाते हैं। इसके अलावा आंवले के वृक्ष चीन, जापान, म्यांमार (बर्मा), श्रीलंका, जावा, मलाया तथा पश्चिम के कुछ देशों में भी उगते हैं। इस दृष्टि से आंवले के विषय में लगभग सभी देश भली-भांति परिचित हैं।
आंवले में बसंत ऋतु के बाद फूल आना शुरू हो जाते हैं। उसके पश्चात उनमें फलों का क्रम प्रारंभ हो जाता है। शुरू-शुरू में फल पीपल के छोटे-छोटे गूलड़ के समान होते हैं, फिर वे धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं। अक्टूबर में इनका आकार बड़ा हो जाता है। लगभग नवम्बर के महीने में आंवले का फल पूरे आकार में हो जाता है। आंवला शुरू में कुछ अम्लता लिए हुए कसैला होता है। लेकिन धीरे-धीरे यह खट्टा हो जाता है। इसमें खटास के साथ-साथ एक प्रकार का कसैलापन अन्त तक बना रहता है। साधारणतया घरों में आंवले की चटनी, मुरब्बा, आंवला पाक, रस एवं च्यवनप्राश आदि बनाया जाता है।
कई वैद्यों का कहना है कि चैवी आंवला अधिक लाभदायक होता है। कच्चे आंवलों का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि वे कड़वे रहते हैं और औषधि के कार्य के लिए भी उपयोगी नहीं होते। लेकिन पके आंवले बहुत लाभदायक होते हैं। इनको धूप में सुखाने के बाद गुठली निकाल लेते हैं। फिर सूखे हुए गूदे को पीसकर चूर्ण बनाते हैं। यही चूर्ण त्रिफला का एक अंग है जिसका प्रयोग तरह-तरह से किया जाता है। ( और पढ़े – आंवला के फायदे और नुकसान)
आंवले के प्रकार (amla ke prakar)
आंवले देशी तथा कलमी-दो प्रकार के होते हैं।
देशी या जंगली आंवले के वृक्ष वन में अपने आप उग आते हैं। परंतु इसके फल छोटे-छोटे पतले गूदे के होते हैं। इसके विपरीत बागों में कलम द्वारा लगाए जाने वाले आंवले कागजी नींबू के बराबर होते हैं। आजकल विभिन्न स्थानों पर आंवले के बागान तैयार किए जाते हैं। ऐसे में इनके फलों को इकट्ठा करके विदेशी मुद्रा भी कमाई जाती है क्योंकि आंवले की विदेशों में काफी मांग हैं।
कलमी आंवले को शाही आंवला, राज आंवला तथा सरप आंवला आदि भी कहते हैं। फारसी में इसका नाम अमजुलमलूक है। कलमी आंवले में अच्छा गूदा निकालता है। ये अधिक स्वादिष्ट तथा रेशा रहित होते हैं। यह बात जंगली आंवलों में नहीं पाई जाती। इसलिए जंगली आंवले की मांग अधिक नहीं है।
( और पढ़े – आँवला रस के इन 16 फायदों को जान आप भी रह जायेंगे हैरान)
आंवले में पोषक तत्व :
- आंवले में कार्बोज 14.1 भाग, प्रोटीन 0.5 भाग, वसा 0.1 भाग तथा विटामिन ‘ए’ अधिक पाया जाता है।
- इसमें विटामिन ‘सी’ की मात्रा भी अच्छी होती है।
- इसके अलावा आंवले में खनिज लवण 1.7 प्रतिशत, फॉस्फोरस 0.75 प्रतिशत, कैल्शियम 0.1 प्रतिशत, लौह तत्व 1.2 मिलीग्राम (प्रति 100 ग्राम में) तथा जल 81.2 प्रतिशत होता है।
- यदि आंवले को सुखाकर उसकी गुठली निकाल ली जाए तो उसमें कुछ विशिष्ट तत्वों का मिश्रण पाया जाता है, जैसे-ईथर और गैलिक ऐसिड।
- सूखे आंवले में अल्कोहॉलिक तत्व 11.32 प्रतिशत होता है जिसमें टैनिन तथा शुगर भी रहती है।
- इसके अलावा गोंद 36.10 प्रतिशत, एल्बूमेन 13.74, काष्ठोज 13.08 प्रतिशत, खनिज लवण 4.12 प्रतिशत तथा जल 1.83 प्रतिशत होता है।
- आंवले के फल में पाया जाने वाला विटामिन ‘सी’ मानव शरीर के लिए अमृत के समान कार्य करता है। खोजों से पता चलता है कि प्रति 100 ग्राम आंवले में 600 मिलीग्राम विटामिन ‘सी’ पाया जाता है। इस प्रकार आंवले को विटामिन ‘सी’ की खान । कहा गया है। विटामिन ‘सी’ बड़ा छुईमुई जैसा तत्व है। यह धूप तथा आग की गरमी में नष्ट हो जाता है। परन्तु आंवले में पाए जाने वाले विटामिन ‘सी’ की विशेषता है कि यह आग और धूप में नष्ट नहीं होता।
आइये जाने स्वादिष्ट और पौष्टिक आंवले का मुरब्बा कैसे बनता है ?
आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि हिंदी में (amle ka murabba banane ki vidhi in hindi)
आंवले का मुरब्बा सामग्री –
- 2 किलो आंवले
- 3 किलो चीनी
- 50 ग्राम चूना
- पानी आवश्यकतानुसार।
विधि –
- आंवले धोकर उन्हें कांटे से गोदिए। फिर उन्हें चूने के पानी में एक दिन के लिए भिगोकर रखिये ।
- तत्पश्चात् आंवलों को साफ पानी में धो लीजिए ।
- अब पानी उबालकर उस में आंवले डालकर ढंककर रख दीजिए ।
- पन्द्रह मिनट के बाद उन्हें पानी में से निकालकर थाल में फैलाइए और ऊपर से आधी चीनी डाल दीजिए। एक दिन तक यही पड़ा रहने दें।
- अगले दिन आंवले अपना पानी छोड़ देंगे और चीनी घुल जाएगी।
- फिर आंवलों को चीनी के घोल में से निकाल कर बाकी बची चीनी और पानी मिलाकर घोल लीजिए।
- अब चाशनी में आंवले डालकर आंच पर पकाइए । जब चाशनी गाढ़ी हो जाए और आंवले गल जाएं तो बर्तन को आंच पर से उतारकर मर्तबान में भरकर रखिए।
- बस, आंवले का मुरब्बा तैयार है।
( और पढ़े –आंवले के 7 जायकेदार स्वास्थ्य वर्धक व्यंजन )
आंवले का मुरब्बा खाने के फायदे : amla murabba khane ke fayde
- आंवले में लवण को छोड़कर पांच रस-मधुर, अम्ल, कषाय, कटु तथा तिक्त मिलते हैं।
- आंवले का मुरब्बा पसीना मारता है, चर्बी को कम करता है, कफ तथा गीलापन शान्त करता है। और पित्त संबंधी रोगों को उखाड़कर दूर करता है।
- आंवले का मुरब्बा सेवन से कफ एवं पित्त आदि का नाश होता है। इसीलिए इसे त्रिदोष नाशक अमृत फल कहा गया है।
- महर्षि चरक ने कहा है कि यदि मनुष्य प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा या चूर्ण का सेवन करता है तो शरीर में बनने वाला पित्त तथा अन्य विषैले विकार कभी शरीर को कष्ट नहीं पहुंचाते।
- आश्चर्य की बात यह है कि सभी खट्टी चीजें अम्लपित्त बढ़ाती हैं परन्तु आंवला पित्त का नाश करने वाला फल है।
- महर्षि चरक ने आंवले को रसायन, अग्निवर्धक, लघु रेचक, बुद्धि बढ़ाने वाला,हृदय को बल देने वाला, सिर तथा आंखों के रोगों का हरण करने वाला बताया है।
- आंवले का मुरब्बा प्रमेह दूर करता है। स्त्रियों का प्रदर रोग मिटाता है। उलटी रोकता है तथा पेट में गैस नहीं बनने देता।
- आंवले का मुरब्बा मलबंध कारक तथा कब्ज नाशक भी है।
- आयुर्वेद में आंवले को धात्री (दाई) कहा गया है। यह दाई के समान शरीर का पालन करता है।
- जिन लोगों के शरीर में झुर्रियां पड़ जाती हैं तथा जो स्त्रियां तरह-तरह के छोटे-मोटे शारीरिक रोगों से पीड़ित रहती हैं उनको आंवले का मुरब्बा खाना चाहिए। यह तृप्तिदायक, श्रीफल तथा अमृत फल है।
- आंवले से च्यवनप्राश भी बनाया जाता है। कहते हैं कि च्यवन ऋषि ने आंवले द्वारा निर्मित च्यवन प्राशावलेह का सेवन करके दोबारा युवावस्था प्राप्त कर ली थी।
- आंवले का मुरब्बा भोजन के प्रति अरुचि तथा वमन में यह विशेष लाभकारी है ।
- आंवले का मुरब्बा नाड़ियों व इन्द्रियों का बल बढ़ाने वाला पौष्टिक रसायन है ।
- आंवले का मुरब्बा पित्त की उल्टियां, जलन व अपच, अजीर्ण आदि में बहुउपयोगी है । पेट कीमरोड़ दूर करता है।
- आंवले का गूदा पीलिया नाशक व बीज पित्तनाशक होता है । यह कफ तथा वातनाशक भी होता है ।सूखा आंवला भूख बढ़ाता है।
- आंवले का मुरब्बा शारीरिक नाड़ी-दौर्बल्य को दूर करता है व शरीर को बलवान तथा कांतिमय बनाता है।
- आंवले में विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में होता है । विटामिन-सी की कमी से होने वाली स्कर्वी रोग को दूर करता है।