Last Updated on March 31, 2022 by admin
अंडकोष के रोगों की आयुर्वेदिक चिकित्सा :
1. रेहान : 10 ग्राम रेहान के बीजों को पानी में पीसकर थोड़ा गर्म करके अंडकोष पर लेप करने से अंडकोष का बढ़ना रुक जाता है।
2. जीरा : 10-10 ग्राम जीरा और अजवायन पानी में पीसकर थोड़ा गर्मकर अंडकोष पर लेप करने से अंडकोष का बढ़ना रुक जाता है।
3. रोगन कमीला : रोगन कमीला के अंडकोष पर मालिश करने से अंडकोष की खारिस सही हो जाती है।
4. फिटकरी :
- 1-4 ग्राम की मात्रा में फिटकरी और माजूफल को लेकर पानी के साथ बारीक पीसकर बने लेप को अंडकोष पर लगाने से कुछ ही दिनों में अंडकोष के रोग से छुटकारा मिलता है।
- भुनी फिटकरी 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से अंडकोष के सूजन और बढे़ हिस्से सही हो जाते हैं।
- फिटकरी को पानी में पीसकर अंडकोष पर लेप करने से लाभ होता है।
5. बर्शाशा : 2 ग्राम बर्शाशा पानी के साथ रात को सोते समय सेवन करने से अंडकोष की सूजन कम हो जाती है।
6. हल्दी : 2-6 ग्राम हल्दी पिसी को अण्डों की जर्दी में मिलाकर थोड़ा गर्म कर अंडकोष पर लेप करने, ऊपर से एरण्ड के पत्ते को बांधने से चोट लगे अंडकोष ठीक हो जाता है।
7. माजूफल : 12 ग्राम माजूफल 6 ग्राम फिटकरी को पानी में पीसकर अंडकोष पर 15 दिन लेप करने से अंडकोष में भरा पानी सही हो जाता है।
8. छोटी हरड़ : 10-10 ग्राम छोटी हरड़, रसौत को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर लेप करने से अंडकोषों की खारिस और जख्म समाप्त हो जाता हैं।
9. दूध : 1 गिलास मीठे गर्म दूध में 25 मिलीलीटर एरण्ड का तेल मिलाकर पीने से अंडकोष की बीमारी में लाभ होता है।
10. तंबाकू : तंबाकू के ताजे पत्ते हल्का गर्म करके अंडकोषों पर बांधकर ऊपर से लंगोट पहन लें, ताकि पत्ता अपनी जगह चिपका रहे। कुछ देर बाद जब लंगोट भीग जायें, ऐसा होने पर लंगोट बदल दें, और दूसरा लंगोट पहन लें। सुबह अंडकोष में हल्के-हल्के दाने छेद से हो जाते है। यदि ऐसा हो जाए तो उन पर मक्खन लगा दें। कुछ दिन तक सोने से पहले यह प्रयोग करें तथा उठने पर पत्ता खोल दें इससे आराम मिलता है।
11. बकायन : 100 ग्राम बकायन के पत्ते को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, फिर उसमें कपड़ा भिगोकर अंडकोषों को सेंकने और कम गर्म पत्ते को बांधे से अंडकोषों की सूजन में राहत मिलती है।
12. दालचीनी : आधा चम्मच दालचीनी पाउडर सुबह-शाम पानी से लेने से अंडकोष मे पानी भर जाने की शिकायत दूर हो जाती है।
13. हरड़ : त्रिफला के काढ़े में गोमूत्र यानी गाय का पेशाब मिलाकर पिलाना चाहिए।
14. कद्दू या घिया : कद्दू के बीजों का रस पौरुष ग्रंथि के विकारों के लिए बहुत उपयोगी रहता है। पौरुष ग्रंथि को बढ़ने से रोकने के लिए 40 साल से ऊपर के लोगो को इसका प्रयोग रोज खानें में करना चाहिए।
15. मूली : मूली के 5 ग्राम बीज मक्खन के साथ सुबह के समय 30 दिनों तक नियमित रूप से लेंने से पौरुष परिपुष्ट (मर्दानगी) होती हैं।
16. अदरक : इसके 10-20 मिलीलीटर रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से वातज अंडकोष की बढ़त्तोरी समाप्त हो जाती है।
17. नौसादर :
- 1 ग्राम नौसादर को 50 मिलीलीटर शराब में पीसकर अंडकोष पर लगाने से अंडकोष की सूजन कम हो जाती है।
- 10 ग्राम नौसादर को पीसकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालें इसी पानी में कपड़ा भिगोकर अंडकोषों को सेंकने से सुजाक के कारण अंडकोष की सूजन और दर्द सही हो जाते हैं।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)