अंग्रेजी दवाएँ : कैसे लें, कितनी लें

Last Updated on June 14, 2021 by admin

डॉक्टर से दवा का पर्चा लेते समय यह जरूर जान लेना चाहिए कि दवा कितनी मात्रा में लेनी है, दिन के किस-किस पहर में लेनी है और उसके साथ क्या-क्या सावधानियाँ जरूरी हैं। हर दवा की कुछ विशेषताएँ होती हैं, जिनके आधार पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे कैसे-कब लिया जाना है।

कुछ तुनकमिजाज दवाओं के साथ यह सीमा भी होती है कि उनके साथ कुछ खास खाने-पीने की चीजें और दवाएँ नहीं ली जा सकतीं। इसी तरह कुछ दवाएँ शरीर में किसी एक या अधिक पोषक तत्त्व की कमी पैदा करने की आदी होती हैं, जिसके बारे में पहले से ज्ञान होने पर उस विटामिन या खनिज-विशेष की भरपाई की जा सकती है।

दवाओं के साथ मनमानी करना, लापरवाही बरतना और अपनी मर्जी से या किसी के कहे में आकर आजमाइश करते फिरना खतरे से खाली नहीं है। इससे जान भी जा सकती है।

यह कतई जरूरी नहीं कि एक-से दिखनेवाले दो मामलों में एक जैसी दवाएँ काम आएँ। एक तो दोनों मरीजों का रोग अलग-अलग हो सकता है, दूसरा दवा का चयन करते समय डॉक्टर व्यक्ति-विशेष की सभी आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है। लिहाजा कभी भी किसी ऐसे मित्र के कहे में आकर दवा नहीं लेनी चाहिए जो अपने तजुर्बे की दुहाई देता है। उसकी ‘नेक’ सलाह आपको मुश्किल में डाल सकती है। डॉक्टर का चयन हमेशा सोच-समझकर ही करना चाहिए।

कुछ नियम सभी दवाओं पर लागू होते हैं। दवा लेते वक्त उन पर ध्यान देना जरूरी है। ये नियम इस प्रकार हैं :

एलोपैथिक मेडिसिन लेने के नियम :

1). दवा सादे पानी के साथ ली जानी चाहिए। जूस, चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक के साथ दवा लेना ठीक नहीं। दूध के साथ भी नहीं, जब तक कि डॉक्टर ही इस बात की सलाह न दे। पेय पदार्थ आमाशय में दवा के जज्ब होने में बाधा खड़ी कर सकते हैं। इससे दवा अपना असर नहीं दिखा पाती।

2). बहुत-सी अंग्रेजी दवाएँ ऐसी हैं, जिन्हें लेने के दौरान शराब से परहेज करना जरूरी होता है। दवा लेने के साथ शराब पीना जारी रखने पर या तो उन दवाओं का असर कम-ज्यादा हो जाता है या वे शराब के साथ मिलकर प्रतिक्रिया पैदा कर सकती हैं। कुछ स्थितियों में इससे जान जोखिम में पड़ जाती है। अतएव समझदारी इसी में है कि जब कोई दवा ले रहे हों तो डॉक्टर से पूछे बगैर शराब का इस्तेमाल बिलकुल न करें।

3). दवा के साथ डॉक्टर कोई परहेज बताए तो उस पर अमल करें। किसी के कहने में आकर इसमें ढील हरगिज न बरतें।

4). दवा के साथ कोई खास विटामिन या पोषक तत्त्व लेने के लिए यदि डॉक्टर सलाह दे तो इस पर ध्यान दें। कुछ दवाएँ शरीर – में कमजोरी ला सकती हैं।

5). किसी भी दवा की खुराक अपनी मर्जी से न बदलें। कोई भी दवा न तो बहुत गर्म न ठंडी तासीर की होती है कि उसकी खुराक इस कारण से बदली जाए। यों भी हर दवा की अपनी प्रभाव-क्षमता होती है जिसके आधार पर ही उसकी खुराक तय की जाती है। यदि कोई परेशानी है, तो डॉक्टर से बात करें। अपने आप दवा की मात्रा न घटाएं, इससे दवा अपना असर नहीं दिखा पाती।

6). किसी दवा का कोई गलत असर दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। जिस डॉक्टर ने पर्चा लिखा है उसके न मिलने पर किसी दूसरे डॉक्टर से संपर्क करें। देर करना ठीक नहीं। जब तक डॉक्टर से बात न हो जाए, तब तक दवा दुबारा न लें।

7). जिस दवा से एक बार भी कोई तकलीफ हुई हो, उसकी जानकारी अपने डॉक्टर को जरूर दे दें।

8). यह सोच गलत है कि आयुर्विज्ञान में हर रोग की ‘पेटेंट’ दवाएँ होती हैं, जिन्हें याद कर लेने से डॉक्टर की फीस से बचा जा सकता है। बीमारी का सही निदान एक अनुभवी डॉक्टर ही कर सकता है और वही ठीक दवा बता सकता है।

9). कुछ दवाओं के साथ विशेष सावधानियों की जरूरत पड़ती है। इसके बारे में डॉक्टर पहले से ही आगाह कर देते हैं। मसलन एविल की गोली लेने के बाद गाड़ी चलाना, खाली पेट एस्प्रिन लेना, ऐंटिबायटिक दवाएँ बीच में छोड़ देना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे खतरों से बचने की एकमात्र युक्ति डॉक्टर द्वारा बताई गई सावधानियों को ठीक से अमल में लाना है।

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