शराब कितनी खराब – Sarab ke Nuksan in Hindi

Last Updated on October 23, 2021 by admin

आजकल गम और खुशी, दोनों ही मौकों पर शराब का सेवन बढ़ गया है। कोई भी व्यक्ति मौज-मस्ती के नाम पर, दोस्ती की खातिर शराब का सेवन शुरु करता है और इस रास्ते पर अपना कदम बढ़ाता है। यह एक सच्चाई है कि शराब पीने से अगर गम समाप्त होता, तो दुनिया में एक भी व्यक्ति ग़मगीन नहीं मिलता।

देश में शराब का बढ़ता चलन :

हमारे देश में शराब का प्रचलन शहरों में 234 प्रतिशत और गांवों में 117 प्रतिशत की दर से प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में प्रतिवर्ष 20 करोड़ बोतल शराब और ढाई अरब बोतल बीयर का उत्पादन होता है। अवैध और कच्ची शराब का उत्पादन इसके अतिरिक्त होता है। हमारे देश के 30 प्रतिशत लोग नियमित शराब पीने लगे हैं। शराब पीने के कारण प्रतिवर्ष हमारे देश में 50 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा बैठते हैं और 8 लाख घायल हो जाते हैं।

महिलाएं भी पीछे नहीं :

एक सर्वेक्षण के अनुसार विकसित देशों में प्रति तीन पुरुषों के पीछे एक महिला शराब पीने की आदी है। भारत में यह अनुपात प्रति 10 पुरुषों के पीछे एक महिला का है।

शराब पीने के दुष्परिणाम (Sharab Peene ke Nuksan)

sharab peene se kya nuksan hota hai ?

शराब पीने से कितने लोग बेमौत मरे, बरबाद हए, कितने परिवारों का अमन-चैन चला गया , उसे ठीक-ठीक बताना असंभव सा है। एक अनुमान के अनसार देश में 20 हजार व्यक्ति प्रति वर्ष असाध्य रोगों से ग्रसित होकर मौत के मुंह में चले जाते हैं और लाखों लोग शराब पीकर जघन्य अपराध हत्या, चोरी, जुआ, व्यभिचार आदि में लगे रहते हैं।
हजारों व्यक्ति प्रतिदिन अपनी कमाई पूंजी को शराब में फूंककर घर लौटते है और घर-परिवार में कलह, अशांति पैदा करते है।

एक सर्वेक्षण के अनुसार महिलाए छ: वर्ष में और पुरुष दस वर्ष में शराब के नशेड़ी बन जाते हैं।
वैध-अवैध शराब को प्रतिदिन पीने वालों की संख्या लगभग 10 करोड़ है, उसमें से भी करीब सवा दो करोड़ “हैवी ड्रिकर हैं”।
शराब पीने से स्वास्थ्य की बरबादी, परिवार व संतान पर दुष्प्रभाव, पैसों का अपव्यय, मान-सम्मान और विश्वास में कमी जैसी हानियाँ भुगतते हुए व्यक्ति पतन के गर्त में पहुंचकर सारे परिवार की उन्नति को ले डूबता है।

सुख की अनुभूति एक भ्रम :

शराब पीने के बाद जिस सुखानुभूति का अनुभव व्यक्ति को होता है, वस्तुत: शरीर की एक साधारण सी प्रतिक्रिया है। वास्तव में शराब पीने के बाद व्यक्ति अपने में थोड़ी स्फूर्ति और चेतनता का अनुभव करता है, वह शरीर में छिपी पड़ी स्फूर्ति को ही बाहर निकालती है। व्यक्ति उसे बार-बार दोहराने के लिए शराब पीता है।

शराब के दुर्गुण (Sharab ke Durgun in Hindi)

  • चरक संहिता के अनुसार शराब की प्रकृति लघु, उष्ण, तीक्ष्ण, सूक्ष्म, अम्लकारक, रूक्ष व विशद होती है।
  • उष्णता के कारण शराब पित्त को बढ़ाने वाली, तीक्ष्णता से मन की स्फूर्ति को नष्ट करने वाली, रूक्ष विशद होने के कारण वात का प्रकोप करने वाली तथा कफ़, शुक्र को नष्ट करने वाली होती है तथा अम्ल गुण के कारण अजीर्ण उत्पन्न करने वाली होती है।
  • इसके अलावा कामोत्तेजा बढ़ाने वाली और ओज को नष्ट करने वाली होती है।
  • इसका विस्तृत प्रभाव मन, बुद्धि और इन्द्रियों पर पड़ता है। जिससे वे संतुलन खो बैठती है। परिणाम स्वरूप मनुष्य हिंसक, क्रूर, अपराधी, कलहीं और उत्पाती बन जाता है।
  • शराब से पाचन-क्रिया गड़बड़ हो जाती है।
  • वायु विकार, भूख कम लगना, वजन घटना, सुबह-सुबह उल्टियां होना, अल्सर की शिकायत होना शराब के ही दुष्परिणाम है।
  • शराब पीते रहने से यकृत खराब हो जाता है।
  • नियमित रूप से कई वर्षों तक यही सिलसिला जारी रहने पर इसमें स्थाई विकृति जैसे – यकृत की कठोरता, सिरोसिस, वसायुक्त विकृति इसकी गंभीर अवस्थाएँ हैं, जिनका अंत मृत्यु में परिवर्तित होता है।

शराब का मस्तिष्क पर प्रभाव (Sharab ka Mastisk par Prabhav)

  • शराब पीने से मनुष्य का मस्तिष्क विकृत हो जाता है। इसकी कोशिकाएं शिथिल और निष्क्रिय हो जाती हैं।
  • मस्तिष्क के वे केंद्र कार्य करना बंद कर देते हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों पर नियन्त्रण रखते हैं।
  • व्यक्ति का दिमाग भ्रम की स्थति में पहुच जाता है, यानी जिस रूप में वस्तुएं होती हैं, उसे उस रूप में दिखाई नहीं देती।
  • व्यक्ति कुछ कहना चाहता है, यह ठीक से कह नहीं पाता।
  • चाल लड़खड़ाने लगती है और जिस दिशा में वह जाना चाहता है, उस दिशा में चल नहीं पाता। ऐसा अल्कोहल के उत्तेजक प्रभाव से होता है।
  • देसी शराब में मिले जहरीले तत्व तो मारक भी हो सकते हैं।

शराब का हृदय पर प्रभाव (Sharab ka Hriday par Prabhav)

शराब पीने के बाद ह्रदय को 10% काम अधिक करना पड़ता है, रक्तचाप बढ़ने से धमनियां फैल जाती हैं जिससे रक्त संचार बहकर शरीर में गर्मी अधिक पैदा होती है।

नपुंसकता :

  • शराब पीने वाले चालीस प्रतिशत लोगों में पौरुष शक्ति कम हो जाती है। यही नहीं, लंबे अर्शे तक मदिरापान करने वाले आठ प्रतिशत व्यक्ति नपुंसक हो जाते हैं।
  • महिलाओं में भी शराब के सेवन से यौन इच्छा में कमी होती है और शारीरिक बदलाव आता है।
  • शराब के आदी व्यक्तियों के अंडकोष का संकुचन हो जाता है। इस कारण 40 प्रतिशत लोगों में यौन क्षमता क्षीण पड़ जाती है।
  • लोगों में यह गलतफहमी फैली है कि मादक पदार्थों के सेवन से मैथुन क्षमता बढ़ती है। यह भ्रम मादक पदार्थों के प्रयोग से उत्तेजना बढ़ने के कारण होता है, लेकिन यह स्थिति क्षणिक होती है।
  • महिलाओं में शराब के कुप्रभाव से मासिक-चक्र में भी गड़बड़ी आ जाती है तथा शरीर के हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है।

शराब पीने की आदत कैसे छुड़ाएं (Sharab Peene ki Aadat Kaise Chhudaye)

1). सेलिनियम-30 – sharab chudane ki homeopathic medicine : कहते है कि शराब पीने की जिसे आदत पड़ जाती है, सहज नहीं छूटती लेकिन होम्योपैथी में सेलिनियम-30 एक ऐसी दवा है जिसके कुछ दिनो तक सेवन करने के बाद शराब पीने वाला व्यक्ति ही कहने लगता है – “शराब बड़ी खराब” एक दिन में तीन बार सेवन की गई पहले दिन की खुराकें ही आश्चर्यजनक लाभ पहंचाती है और शराब पीने की इच्छा समाप्त हो जाती है। पूर्ण लाभ के लिए कुछ दिनों तक नियमित सेवन कराएं।

2). सेब का रस : सेब का रस बार-बार पीने और भोजन के साथ सेब खाने से भी शराब की आदत छूट जाती है। यदि उबले हुए सेबों को दिन में तीन बार खिलाया जाए तो कुछ हो दिनो में शराब पीने को लत छूट जाती है।

3). अजवाइन : 500 ग्राम नई देसी अजवाइन को पीसकर उसे 7 लीटर पानी में दो दिन के लिए भिगो दें। फिर धीमी आंच पर इतना पकाए कि पानी लगभग 2 लीटर रह जाए। ठंडा होने पर छान कर बोतल में भर लें। शराब की तलब लगने पर 5 चम्मच की मात्रा में पीते रहने से भी शराब पीने की आदत छूट जाती है।

4). एकेमप्रोसैट (Acamprosat) – sharab chudane ki dawa : इधर शराब छुड़ाने में एक दवा एकेमप्रोसैट-(Acamprosat) ईजाद हई है। इसे अब तक दस लाख से ज्यादा लोगों ने इस्तेमाल किया है और बेहतर परिणाम मिले हैं। इस दवा को फ्रांस में लेयन स्थित ‘लिफा एस. ए.’ कम्पनी ने बनाया है। फिलहाल यह दवा एशिया, यूरोप, दक्षिणी अमेरिका आदि के देशों में आसानी से उपलब्ध है।

शराब को यदि आप शौकिया या दोस्तों की संगति में रहकर पीते हैं, तो उसे अपने दृढ़ निश्चय द्वारा छोड़ सकते हैं।

(अस्वीकरण : ऊपर बताए उपचार डॉक्टर की सलाह लेकर लेने है )

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