Last Updated on September 27, 2022 by admin
अरनी क्या है ? (What is Arni in Hindi)
अरनी एक चमत्कारी वनौषधि है । अरनी की दो जातियां होती हैं। छोटी और बड़ी। बड़ी अरनी के पत्ते नोकदार और छोटी अरनी के पत्तों से छोटे होते हैं। छोटी अरनी के पत्तों में सुगंध आती हैं। लोग इसकी चटनी और सब्जी भी बनाते हैं। श्वासरोग वाले को अरनी की सब्जी अवश्य ही खाना चाहिए।
अरनी का पौधा कैसा होता है ? :
- रंग : अरनी के पत्ते हरे और फूल सफेद होते हैं।
- स्वाद : यह कड़वी होती है।
- स्वरूप : अरनी के पत्ते गोल और खरखरे होते हैं, फल छोटे-छोटे करौंदों के फूल के समान होते हैं इसके दो भेद होते हैं। छोटी अरनी और बड़ी अरनी।
अरनी का विभिन्न भाषाओं में नाम (Name of Arni in Different Languages)
- संस्कृत – अग्निमंथ, गाणिकारिका, तकीर्ण
- हिंदी – अरनी और अगेधु गनियार
- बंगला – गनीर या आगगन्त
- गुजराती – अरणी
- मराठी – एंरण, ताकली, टाकली
- कन्नड – नरुबल
- पंजाबी – अगेथु
- तेलगू – तिक्कली, चट्टु, निलिचेटटु
- लैटिन – केलरोडेन्ड्रम प्लोमोइडिस्
अरनी के औषधीय गुण (Arni ke Gun in Hindi)
- तासीर : यह गर्म प्रकृति की होती है।
- बड़ी अरनी का पेड़ : यह तीखा, गर्म, मधुर, कड़वा, फीका और पाचनशक्तिवर्द्धक होता है तथा वायु, जुकाम, कफ, सूजन, बवासीर, आमवात, मलावरोध, अपच, पीलिया, विषदोष और आंवयुक्त दस्त आदि रोगों में लाभकारी है।
- छोटी अरनी का पेड़ : छोटी अरनी, बड़ी अरनी के समान ही गुणकारी होती है यह वात-द्वारा उत्पन्न हुई सूजन का नाश करती है।
रोगोपचार में अरनी के फायदे (Benefits of Arni in Hindi)
1. सूजन :
- बड़ी अरनी के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी सूजन पर बांधना चाहिए। इससे सूजन ठीक हो जाती है।
- अरनी की जड का 100 मिलीलीटर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम दोनों समय पीने से पेट का दर्द, जलोदर और सभी प्रकार की सूजन मिट जाती है।
- अरनी की जड़ और पुनर्नवा की जड़ दोनों को एक साथ पीसकर गर्म कर लेप करने से शरीर की ढीली पड़ी हुई सूजन उतर जाती है।
2. शीतज्वर : बड़ी अरनी की जड़ को मस्तक से बांधना चाहिए। इससे शीतज्वर नष्ट हो जाता है।
3. स्तन में दूध की वृद्धि : छोटी अरनी की सब्जी बनाकर प्रसूता महिलाओं को खिलाने से उनके स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
4. बाघ के काटने पर : बड़ी अरनी के पत्तों को नमक के साथ पीसकर बांधना चाहिए। बाघ के काटने के घाव में लाभ मिलता है।
5. त्रिदोष (वात, कफ और पित्त) गुल्म :
- बड़ी या छोटी अरनी की जड़ों के 100 मिलीलीटर गर्म काढ़े में 30 ग्राम गुड़ मिलाकर देने से त्रिदोष गुल्म दूर हो जाते हैं।
- बड़ी या छोटी अरनी के गर्म काढे़ को गुड़ डालकर पिलाना चाहिए। इससे वात, पित्त और कफ नष्ट हो जाता है।
6. पक्षाघात (लकवा) : प्रतिदिन काली अरनी की जड़ के तेल का लेप करके सेंकना चाहिए। इससे पक्षाघात, जोड़ों का दर्द और सूजन नष्ट हो जाती है।
7. बच्चों के पेट के कीड़े : छोटी अरनी के पत्तों का रस लगभग 40 मिलीलीटर की मात्रा में बच्चों को पिलाने से उसके पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
9. हृदय की कमजोरी : अरनी के पत्ते और धनिये का 60-70 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से हृदय की दुर्बलता मिटती है।
10. उदर (पेट) रोग :
- अरनी की 100 ग्राम जड़ों को लेकर लगभग 470 मिलीलीटर पानी में धीमी आंच पर 15 मिनट तक उबालें। इसे 100 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 2 बार पीने से पाचनशक्ति प्रबल होती है। यह औषधि पौष्टिक भी है।
- अरनी के पत्तों का साग बनाकर खाने से पेट की बादी मिटती है।
11. कब्ज : अरनी के पत्ते और हरड़ की छाल का 100 मिलीलीटर काढ़ा करके सुबह शाम 30 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से बद्धकोष्ठता मिटती है।
12. हस्ति प्रमेह : अरनी की जड़ का 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पिलाने से हस्ति प्रमेह मिटता है। इस काढ़े के पीने से वसामेह भी मिटता है।
13. बवासीर : अरनी के पत्तों का 100 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से तथा इसके पत्तों की पुल्टिस बनाकर बांधने से बवासीर ठीक हो जाती है।
14. जोड़ों का दर्द :
- अरनी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिलाने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
- अरनी के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पिलाने से गठिया और स्नायु की वात पीड़ा मिटती है।
15. बुखार : अरनी के 10-15 पत्तों और 10 कालीमिर्च को पीसकर सुबह-शाम देने से सर्दी का बुखार उतर जाता है।
16. अतिसार : अरनी के पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा 30 मिलीलीटर सुबह-शाम पीने से अतिसार में लाभ होता है तथा पेट के कीड़े मर जाते हैं।
17. खून की सफाई के लिए :
- अरनी की जड़ का काढ़ा 100 मिलीलीटर पीने से खून साफ होता है तथा हृदय शक्तिशाली होता है।
- अरनी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पिलाने से भी खून की सफाई होती है।
18. बुखार : अरनी के पत्ते और कालीमिर्च को पीसकर लेने से बुखार उतर जाता है।
19. बंद जुकाम : अरनी के पत्तों को कालीमिर्च के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-जुकाम के रोग में लाभ होता है।
20. भगन्दर :
- छोटी अरनी के पत्तों को जल द्वारा धुले मक्खन के साथ मिलाकर पीसकर इसका मिश्रण बनाएं। इस मिश्रण को भगन्दर पर पर लेप करने से अधिक लाभ होता है।
- अग्निमंथ (अरनी) की जड़ को जल में उबालकर काढ़ा बनाकर इसके 15 मिलीलीटर काढ़े में 5 ग्राम शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से भगन्दर नष्ट होता है।
21. दर्द व सूजन पर : सूजन पर अरनी को पीसकर, लेप करें और इसी का पाउडर 1 से 2 ग्राम सुबह शाम चटायें।
22. गिल्टी (ट्यूमर) : छोटी अरनी या बड़ी अरनी गर्म काढे़ में गुड़ मिलाकर सुबह-शाम पीने से गिल्टी जल्द ठीक होती है।
23. शीतपित्त : बड़ी अरनी की जड़ को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम चूर्ण, जीरे के 1 ग्राम चूर्ण के साथ शहद मिलाकर चाटकर खाने से शीतपित्त (पित्त उछलना) में बहुत लाभ होता है।
24. उपदंश (फिंरग) :
- छोटी अरणी (अरनी) के पत्ते का रस 12 मिलीलीटर दिन में दो बार पीने से उपदंश मिट जाता है। अगर उपदंश पुराना हो तो भी दूर हो जायेगा।
- अरनी के पत्तों का 12 मिलीलीटर या कुछ अधिक रस, दिन में दो बार कुछ दिनों तक पीने से पुराना उपदंश मिटता है।
- छोटी अरणी का रस रोज 5 मिलीलीटर पिलाने से उपदंश रोग दूर होता है।
25. अफारा (पेट में गैस का बनना) : अरनी के पत्तों को उबालकर पीने से अफारा और पेट के दर्द में लाभ होता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)