अश्वगंधादि घृत : Ashwagandhadi Ghrit
अत्यन पौष्टिक, बलवीर्यवर्द्धक, स्नायविक संस्थान को बल देने वाली अश्वगन्धा के साथ जब अन्य गुणकारी एवं पौष्टिक द्रव्यों को मिलाकर योग बनाया जाता है तब इसकी खूबियों के क्या कहने ! ऐसा ही एक उत्तम आयुर्वेदिक योग है- अश्वगंधादि घृत।
अश्वगंधादि घृत के घटक द्रव्य :
✦ असगन्ध 500 ग्राम ।
✦ मूर्च्छित किया हुआ गाय का घृत-250 ग्राम ।
✦ गाय का दूध -1 लिटर ।
✦ ताज़ा पानी आवश्यक मात्रा में ।
✦ असगन्ध का महीन पिसा चूर्ण 25 ग्राम ।
अश्वगंधादि घृत की निर्माण विधि :
असगन्ध को जौ कूट (मोटा मोटा) कर 4 लिटर पानी में डाल कर उबालें। जब पानी एक लिटर बचे तब उतार कर छान लें। असगन्ध चूर्ण 25 ग्राम को पानी छिड़क कर पीसें और कल्क (चटनी) बना लें। काढ़े में यह कल्क और मूर्च्छित गोघृत तथा गो दुग्ध डाल कर तांबे की कलाईदार या लोहे की कड़ाही में डाल कर घृत सिद्ध करने की विधि से पकाएं। घृत सिद्ध होने पर छान कर बर्नी में भर लें।
उपलब्धता :
यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
अश्वगंधादि घृत की मात्रा और सेवन विधि :
आधा से एक चम्मच घृत, अपनी पाचनशक्ति के अनुसार, पिसी मिश्री के साथ चाट कर ऊपर से कुनकुना मीठा गर्म दूध पिएं। यदि गाय का दूध हो तो अच्छा। इस घृत का सेवन किसी भी आयु वाला कर सकता है।
अश्वगंधादि घृत के फायदे / लाभ :
1 – इसके सेवन से समस्त प्रकार के वातरोग, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द दूर होता है ।
2 – इसके सेवन से किसी भी अंग में आई हुई निर्बलता, चक्कर आना दूर होता है ।
3 – यह अनिद्रा, स्नायविक दौर्बल्य, अवसाद जैसे रोगों मे बहुत ही लाभप्रद है ।
4 – इसके सेवन से धातु विकार, पौरुष शक्ति की कमी, शरीर का दुर्बलता-पतलापन और कमज़ोरी आदि व्याधियां नष्ट होती है ।
5 – इसके सेवन से शरीर पुष्ट, सुडौल और शक्तिशाली होता है।
यह योग बना बनाया बाज़ार में मिलता है।
(दवा को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
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