Last Updated on February 12, 2023 by admin
बच्चों के कान के रोगों का होम्योपैथिक इलाज (Bacchon ke Kaan ke rog ka Homeopathic Ilaj)
रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-
1. कान में मैल :- कभी-कभी बच्चे का कान रोगग्रस्त होने से बच्चे का कान पक जाता है और जल्दी ठीक न होने पर कान में मैल उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में कान को साफ करने के लिए बच्चे को स्टैफिसेग्रिया औषधि की 3 शक्ति देना उचित होता है। इसके साथ कैल्के-कार्ब औषधि की भी बीच में देने की आवश्यकता पड़ सकती है।
2. बच्चों के कान का दर्द :- विभिन्न कारणों से उत्पन्न कान का दर्द जैसे- कान में पानी जाने, चेचक होने के कारण, ठण्ड लग जाने के कारण या दांत निकलने के समय उत्पन्न कान का दर्द आदि को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है। बच्चे के कान को हाथ लगाते ही बच्चा जोर से रोने लगे तो समझना चाहिए कि बच्चे के कान में दर्द है। ऐसे में तुरन्त लाभ के लिए औषधियों का प्रयोग करें-
- यदि ठण्ड लगने के कारण कान में दर्द हो रहा हो तो बच्चे को ऐकोन औषधि की 3 शक्ति की मात्रा दें।
- कान में दर्द के साथ कान फूलकर लाल और गर्म हो गया हो तो बेल औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना हितकारी होता है।
- दांत निकलते समय कान में दर्द होने पर बच्चे को कैमोमिला औषधि की 12 शक्ति की मात्रा का सेवन कराना चाहिए।
- कान का ऐसा दर्द जिसे बच्चा बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हो। ऐसे में बच्चे को मैग्नेशिया-फास औषधि की 12x चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त कान के दर्द को ठीक करने के लिए गर्म-गर्म सूखा सेंक कान पर देने से दर्द में आराम मिलता है।
3. कान का दर्द और जलन :- कान में पानी जाने से, ओस लगने से, बरसात के मौसम में तर हवा से, सर्दी लगने से, ठण्डी हवा से, कान में चर्म-रोग के दाने एकाएक बैठ जाना आदि कारणों से कान में दर्द व जलन होती है। इन कारणों से उत्पन्न कान के दर्द व जलन को दूर करने के लिए विभिन्न औषधियों का प्रयोग किया जाता है।
- कान में जलन, टपकनयुक्त दर्द होना, कान का अकड़ जाना, कान के अन्दर और बाहर गर्म, सूजा हुआ और लाल हो जाना आदि लक्षण। इस तरह के लक्षण कान के दर्द व जलन दोनों में ही होते हैं परन्तु कान की जलन में दर्द टपकन भरा होता है, जबकि कान के दर्द में दर्द बेधने की तरह होता है। ऐसे कान दर्द के लक्षणों से पीड़ित बच्चे को पल्सेटिला औषधि की 3 शक्ति की मात्रा सेवन कराएं और पल्सेटिला θ औषधि की कुछ बूंद कान में डालने से दोनों कारणों से उत्पन्न दर्द दूर होता है।
- यदि सर्दी के मौसम में ठण्ड लगने के कारण कान का दर्द व जलन हो तो ऐकोनाइट औषधि की 6x बच्चे को देना लाभकारी होता है।
- कान में चोट लगने के कारण दर्द व जलन होता हो तो आर्निका औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देना उचित होता है।
- यदि बच्चे के कान के अन्दर व बाहर जलन हो रही हो और कान के अन्दर दर्द होने के साथ दर्द गाल से होते हुए दांतों तक फैल गया हो तो ऐसे लक्षणों में बच्चे को मर्क औषधि की 3X शक्ति का चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए। इस औषधि के सेवन कराने के साथ गर्म सेंक से कान को सेंकना भी चाहिए।
4. कान पकना या पीव होना :-
- चेचक, बुखार या त्वचा का कोई रोग होने के कारण बच्चों के कान पक जाते हैं विशेषकर गण्डमाला से ग्रस्त बच्चे को। छोटी माता (चेचक) होने या चेचक के बाद कान पक जाने पर कान का पीव बंद हो जाने के बाद कंधे की गांठ सूज जाती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित बच्चे को पल्सेटिला औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए और फिर सल्फर औषधि की 30 शक्ति देनी चाहिए।
- यदि कान पक जाने के बाद पीब निकलने के साथ सिरदर्द भी होता हो तो ऐसे में बेलेडोना औषधि का सेवन कराएं और उसके बाद मर्क औषधि की 6 शक्ति देना हितकारी होता है। इस औषधि का प्रयोग विशेषकर ऐसे कान के रोग में लाभकारी होता है जिसमें कान से गाढ़े पीब का स्राव अधिक दिनों तक होता है और उससे बदबू आती है। पारा या मर्करी का प्रयोग अधिक करने पर उत्पन्न कान के रोग में हिपर-सल्फर की 6 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। कान से पीब बहने पर हल्के गर्म पानी में सुहागा मिलाकर साफ कपड़े से धीरे-धीरे कान को साफ करना चाहिए। इसके बाद ब्लाटिंग कागज से कान को अच्छी तरह पोंछकर रूई की गांठ सी बनाकर कान में रखना चाहिए।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)