बच्चों के लिए दादी माँ के गुणकारी नुस्खे

Last Updated on June 8, 2021 by admin

1). खांसी – अडूसा रस 12 ग्राम, शहद 12 ग्राम, जवाक्षर 1.5 ग्राम, मिलाकर रख लें और बच्चों को तीन-चार बार चटाएं। इससे बच्चों की खांसी ठीक हो जाती है। ( और पढ़े – बच्चों के रोग और उनका घरेलू इलाज )

2). हकलाना –

  • बच्चों को एक ताजा हरा आंवाला रोजाना कुछ दिनों तक चबाकर खाने के लिए दिया जाए तो बच्चे का तुतलाना और हकलाना बंद हो जाता है।
  • बादाम की सात गिरी, सात काली मिर्च के दानों को कुछ बूंद पानी के साथ घिसकर चटनी बना लें और इसमें जरा-सी पिसी हुई मिश्री मिलाकर खाली पेट सुबह चाटें। बच्चे का हकलाना ठीक हो जाता है।
  • दो काली मिर्च मुंह में रखकर चबाएं और चूसें। यह प्रयोग दिन में दो बार लम्बे समय तक करें। बच्चे का हकलाना ठीक हो जाता है।
  • हकलाकर बोलना न छूटने पर 5 ग्राम सौंफ को थोड़ा कूटकर 300 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी उबलकर 100 ग्राम रह जाए तो उसमें 50 ग्राम मिश्री तथा 250 ग्राम गाय का दूध मिलाकर रोजाना सोने से पहले पिलाते रहने से बच्चे का हकलाकर बोलना ठीक हो जाता है।

3). काली खांसी – दो ग्राम भुनी हुई फिटकरी, दो ग्राम चीनी, दोनों को मिलाकर दिन में दो बार खिलाएं। पांच दिन में काली खांसी ठीक हो जाती है। बच्चे अगर बिना पानी के न खा सकें तो एक-दो घूंट पानी के साथ दें। बड़ों को दोगुनी मात्रा दें।

4). दूध का पाचन –

  • दूध उबालते समय 200 ग्राम दूध में छोटी पीपल एक ग्राम डाल दें। दूध पकाने के बाद पीपल निकाल कर फेंक दें। यह दूध को सुपाच्य बना देती है और दूध के दोषों को नष्ट कर देती है।
  • मां का दूध पीते हुए बच्चे यदि दूध उगलें तो मां को चाहिए कि वह पूरी तरह शान्त भाव से, बगैर किसी तनाव अवस्था के दूध पिलाएं। मां दूध पिलाने से पहले एक गिलास पानी पी ले तो बच्चों को शीघ्र दूध पच जाता है। इससे उल्टी-दस्त नहीं लगते।
  • एक कप दूध में आधा चम्मच सौंफ डालकर उबालने से दूध हल्का और सुपाच्य बन जाता है। पिलाते समय सौंफ को छानकर अलग कर देना चाहिए। ऐसे दूध से बच्चों का पेट फूलता भी नहीं है। दूध को उबालते समय छोटी इलायची के कुछ दाने डाल दें। इससे दूध स्वादिष्ट और सुपाच्य बन जाता है।

( और पढ़े – स्तनपान से होने वाले फायदे )

5). बिस्तर पर पेशाब –

  • एक अखरोट की गिरी पांच ग्राम किशमिश के साथ प्रतिदिन सुबह एक बार खिलाएं। बच्चों की बिस्तर पर पेशाब करने की आदत छूट जाएगी।
  • तीन से छः साल के बच्चों को एक चम्मच शहद पिलाएं और छः से अधिक उम्र वाले बच्चों को दो चम्मच शहद आधा कप पानी में घोलकर सोने से पहले पिलाएं। पन्द्रह दिन के अंदर मूत्राशय की मूत्र रोकने की शक्ति बढ़ती है तथा बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत छुट जाती है।

6). बच्चे हृष्ट-पुष्ट व निरोगी – पीली हरड़ लेकर साफ करके पांच-सात बार घिसकर, पानी में घोलकर रोज खाली पेट प्रातः पिलाएं। इससे बच्चे हृष्ट-पुष्ट व निरोगी होते हैं। हरड़ को ऊपर-ऊपर से घिसें, गुठली घिसने लगे तो पलटकर दूसरी ओर से घिसें।

7). दस्त –

  • सर्दी में शिशु को हरी-पीली दस्त आ रही हों तो हरड़ घिसने के पश्चात् उसी पानी में जायफल को दो-तीन बार घिसकर दें। बच्चे के दस्त बंद हो जाते हैं।
  • बच्चों के दस्तों के लिए चिकित्सक प्रायः ‘नागरमोथा’ ‘मुक्ता’ का प्रयोग करते हैं। यह एक छोटी-सी वनस्पति (जड़ी-बूटी) है, जो घास के मैदानों और बाड़ की पंक्तियों में उगती है। उसकी छोटी गांठ जैसी जड़ या कन्द का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इस कन्द का चूर्ण बनाकर भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इस चूर्ण को 0.060 ग्राम (आधी रत्ती) की खुराक में आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में चार बार बच्चे को देना चाहिए। यह दस्तों में आराम पहुंचाता है।

8). पतले दस्त – यदि दस्त बहुत पतले हों और बहुत अधिक उल्टियां हों, तो जायफल देना चाहिए। जायफल का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर 0.060 ग्राम (आधी रत्ती) की मात्रा में दिन में चार बार देना चाहिए।

9). कब्ज – बच्चा मल त्याग करते समय रोता है, मल कठिनता से उतरता है तो हरड़ को घिसकर पानी में मिलाएं, मल बिना कष्ट के आसानी से उतर आता है।

10). अपच – बच्चा स्वस्थ न हो, अपच हो, दस्त, अम्लता हो तो चूने का पानी पिलाएं। एक साल से कम के बच्चे के लिए जितने माह का हो, उतनी बूंदें व एक साल से ऊपर के बच्चों को 15 से 20 बूंदें दें। अधिक बड़े बच्चों को एक चम्मच दें। चूने की डली पानी में डालकर बुझा लें। दिन में दो-चार बार पलटकर छोड़ दें। चौबीस घण्टे बाद पानी को ऊपर से निकालकर एक बोतल में रख लें। इस पानी को चूने का पानी कहते हैं।

11). दूध – बच्चों को अधिक समय का रखा हुआ दूध नहीं पिलाना चाहिए। बकरी का दूध भी पिलाया जा सकता है। वैसे गाय के दूध को पानी मिलाकर पतला करके भी दिया जा सकता है। ( और पढ़े – बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका )

12). निरोगी स्वस्थ शरीर – सुवर्ण भस्म, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, शहद और घी मिलाकर बच्चों को चटाने से उनका शरीर बल, बुद्धि तथा सामर्थ्य युक्त होकर स्वस्थ होता है।

13). अफारा रोग – सेंधा नमक, सोंठ, इलायची, नारंगी, भुनी लौंग इनका चूर्ण, घी अथवा पानी के साथ देने से बच्चों का अफारा रोग समाप्त होता है।

14). गैस – अधिक मिर्च-मसाले, अधिक भोजन करने से कब्ज बढ़कर गैस बनाती जाती है। पेट फूलना, गैस का आंतों में तथा इधर-उधर ठहर जाना, रियाह खारिज न होना, बेचैनी और तेज दर्द गैस बनने के लक्षण हैं। काली हरड़, छोटी हरड़, बाल हरड़, जौ हरड़, जंग हरड़ इनमें से किसी को भी लेकर धोकर, पोंछकर, दोनों समय खाने के पश्चात्, एक हरड़ को मुंह में रखकर चूसें।

एक घण्टे तक चूसने की क्रिया करें। यह गैस और कब्ज के लिए सर्वश्रेष्ठ औषधि है। इससे शौच खुलकर आता है, भूख खूब लगने लगती है। पाचन शक्ति बढ़ती है, जिगर के रोग व अंतड़ियों की वायु नष्ट होती है। चर्म रोग नहीं होते हैं। दांत मजबूत होते हैं। निरन्तर कुछ माह के सेवन से चश्मे का नम्बर कम हो जाता है, सिगरेट, बीड़ी पीने का अभ्यास छूट जाता है। हरड़ खुश्की करती है, अतः सेवन के दौरान घी, दूध का इस्तेमाल करते रहना चाहिए।

15). हैजा –

हैजा एक संक्रामक रोग है। यह बदहजमी से हो जाता है। इसमें उल्टियां होना, उल्टी के साथ दस्त होना, जिस्म में पानी की कमी हो जाना, बेचैनी तथा कमजोरी आ जाना, बदन गर्म हो जाना हैजे के लक्षण
हैं। हैजा होने पर निम्न उपचार लाभदायक होते हैं –

  • चीनी, नमक मिलाकर शरबत के रूप में पिलाने से पानी की कमी परी होती है।
  • एक नींबू एक गिलास पानी में निचोड़कर एक चम्मच मिश्री या चीनी मिलाकर पीने से हैजा का बचाव रहता है।
  • हैजे की प्रारम्भिक अवस्था में एक-दो बार के सेवन से हैजा शान्त हो जाता है।
  • हैजा फैलने का मौसम हो तो कपूर की टिकिया जेब में साथ रखें, हैजे का प्रकोप नहीं होगा।

16). चेचक –

  • चेचक छूत की बीमारी है। गंदगी या हवा से फैलती है। शरीर पर, खासकर चेहरे पर, पानी भरे बड़े-बड़े छाले जैसे निकल आते हैं। जलन, खुजली, बुखार से रोगी ग्रस्त हो जाता है। होने पर निम्न उपचार करना चाहिए। नीम की सात कोंपलें और सात दाने काली मिर्च, दोनों को पीसकर प्रातः खाली पेट पानी से लें। एक माह तक सेवन करने से साल भर तक चेचक जैसा भयंकर रोग नहीं होता।
  • चेचक फैलने का मौसम है तो नीम के कुछ पत्तों को यूं ही सुबह-सुबह चबा लेने से चेचक से बचाव रहता है। ये दवाएं बीमारी हो जाने पर भी उन्हें ठीक करने में उपयोगी होती हैं।

17). लू लगना –

  • लू का असर दूर करने के लिए चार कच्चे आमों को उबालकर एक गर्म थाल में रखकर उसका रस निकालें, पन्ना बनाएं, उसमें थोड़ा नमक, दो ग्राम जीरा, पुदीना की कुछ पत्तियां मिलाकर पी लें। लू का असर समाप्त हो जाता है। इससे दस्त भी बंद हो जाते हैं।
  • गर्मियों के दिनों में प्याज का ऊपरी छिलका हटाकर अपनी जेब में रखकर निकलने से लू नहीं लगती।
  • गर्मियों के दिनों में कच्चे प्याज का सुबह-शाम सेवन करने से लू नहीं लगती।
  • गर्मियों के दिनों में घर से बाहर जाने से पहले खूब पानी या छाछ पीकरनिकलना चाहिए। इससे से लू लगने से बचाव होता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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