शिशु की देखभाल करने से ज्यादा कठिन काम है शिशु की कोई तकलीफ़ दूर करना। जब तक शिशु स्वस्थ हो, हंसता मुस्कराता और खेलता हो तब तक उसकी देखभाल करने में क्या मुश्किल है? मुश्किल तो तब पेश आती है जब बच्चे को कोई तकलीफ़ हो और बच्चा रोता हो, रोये जाता हो। और तकलीफ़ होगी तो बच्चा रोएगा ही क्योंकि बच्चा बोल कर तो बता नहीं सकता कि उसे तकलीफ़ क्या है। इस अवस्था में रोना ही उसकी भाषा होती है पर मां भी बेचारी क्या करे क्योंकि रोने की भाषा वह जानती नहीं सो समझ नहीं पाती कि रो कर बच्चा कहना क्या चाहता है ? यह बात तो तजुर्बे से ही समझ में आती है। कि बच्चा रो क्यों रहा है। एक बार यह समझ में आ जाए कि बच्चे के रोने का कारण क्या है तो उस कारण को दूर किया जा सकता है या ऐसी कोशिश की जा सकती है। कारण दूर कर दिया जाए तो रोना बन्द हो जाता है और कारण समझ में न आये तो शिशु रोते रोते खुद तो बेहाल होता ही है मां को भी निढाल कर देता है। इस विषय में, उन खास-खास कारणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो बच्चे को रोने के लिए विवश कर देते हैं।
बच्चे के रोने का कारण : bache (shishu) ke rone ke karan
सबसे पहले तो यह बात खयाल में रखनी चाहिए कि बच्चे के रोने का कारण शारीरिक ही होता है, मानसिक कारण नहीं क्योंकि बड़ी उम्र वालों की तरह शिशु किसी भी प्रकार की मानसिक चिन्ता, घुटन या पीड़ा से पीड़ित नहीं होता, न किसी प्रकार के तनाव से ग्रस्त होता है क्योंकि वह अबोध होता है इसलिए उसके रोने का कारण मानसिक तो हो ही नहीं सकता और बच्चा अगर रोना बन्द न कर रहा हो तो समझ लेना चाहिए कि बच्चे के शरीर में कहीं कष्ट है और उसके शरीर की तरफ़ ध्यान देना चाहिए।
बच्चा रात में दो खास कारणों से रोता है। एक कारण तो होता है निज कारणों से शरीर के किसी भी अंग में दर्द होना और दूसरा कारण होता है आगन्तुक कारणों से शरीर पर कोई चोट लगना या किसी कीड़े के द्वारा काटना। इन दोनों कारणों के बारे में ज़रा खुलासा चर्चा करते हैं।
निज कारणों में किसी अंग में दर्द होने पर बच्चा रोता है जैसे पेट में दर्द होना, कान में दर्द होना, छाती या पीठ में दर्द होना, दांत मसूढ़ों में दर्द होना आदि। इन कारणों का ज्ञान इससे भी होता है कि बच्चा अपना हाथ बार बार दर्द करने वाले अंग की तरफ ले जाता है। इन अंगों में होने वाले दर्द की घरेलू चिकित्सा प्रस्तुत है।
बच्चों के रोगों का घरेलू उपचार : bacchon ke rogo ka ilaj
1-पेट दर्द का इलाज : bache ke pet me dard ka ilaj
बच्चों के पेट दर्द का घरेलू उपचार-यदि बच्चे का पेट दर्द करता । हो तो तवा गरम करके इस पर नरम कपड़े को तह करके रखें। गरम होने पर अपने हाथ या गाल पर कपड़ा लगा कर देख लें कि कपड़ा ज्यादा गरम तो नहीं है। सहता हुआ। गरम कपड़ा बच्चे के पेट पर रख कर सेक करें। यदि बच्चा पेट दर्द के कारण रोता होगा तो 2-3 बार सेक लगते ही बच्चे का रोना बन्द हो जाएगा और अगर बन्द न भी हुआ तो सेकते रहने पर आराम मिल जाने से बच्चे का रोना बन्द हो जाएगा। पेट की खराबी और क़ब्ज़ होने से यदि पेट दर्द होता हो तो निम्नलिखित घुटी तैयार करके सुबह शाम बच्चे को देना चाहिए।
अतीस, काकड़ासिंगी, आम की गुठलीकी मींगी, सोंठ और नागरमोथा
ये पांचों पंसारी के यहां से साबुत 25-25 ग्राम ला कर अलग-अलग रखें। प्रत्येक को पानी के साथ पत्थर पर बराबर बराबर बार घिस कर लेप तैयार करें। पांचों द्रव्यों का लेप आधा छोटा या पौन चम्मच काफ़ी है। इसे एक चम्मच पानी में मिला लें और बच्चे को दिन में दो बार सुबह शाम, पिला कर 2-3 चम्मच पानी ऊपर से पिला दें। दोनों बार ताज़ा लेप घिस कर तैयार करें। बाक़ी बचा लेप फेंक दें। यह घुटी बच्चे की पाचन शक्ति बढ़ाती है।
यदि बच्चे को बार-बार पतले दस्त लग रहे हों तो इन्हीं पांचों द्रव्यों के साथ जायफल भी बराबर बार घिस कर मिला दें और बच्चे को पिला दें। बच्चे का पेट दर्द होना बन्द हो जाएगा।
2-छाती में दर्द का इलाज : bache ke pet me dard
बच्चों की छाती में दर्द का घरेलू उपचार-शीत या वात प्रकोप के कारण यदि बच्चे की छाती या पीठ में दर्द होता हो तो आधी कटोरी सरसों के तैल में लहसुन की 3-4 कली छील कर डाल दें और तैल को इतना गरम करें कि कलियां जल कर काली पड़ जाएं। इस तैल को बच्चे की छाती व पीठ पर लगाएं और कपड़ा गरम करके छाती व पीठ सेंक दें। हवा न लगने दें। बच्चे को आराम मिल जाएगा और वह मज़े से सो सकेगा।
3-कान दर्द का इलाज : bache ki chati me dard ka gharelu ilaj
बच्चों के कान दर्द का घरेलू उपचार-कान में दर्द होने पर भी बच्चा बहुत रोता है और रोना बन्द नहीं करता। ऊपर अंकित विधि से तैयार किये गये सरसों के तेल की 2-2 बूंद दोनों कानों में टपका दें। गरम कपड़े से थोड़ा सा सेक दें। इससे कान दर्द में आराम हो जाएगा और बच्चा शान्ति से सो जाएगा।
4-पेट फूलने का इलाज : bache ka pet fulna ka ilaj
बच्चों के पेट फूलने का घरेलू उपचार-बच्चे के पेट में वात प्रकोप (गैस) बढ़ने से पेट फूल जाता है और जब तक वायु निकल न जाए तब तक पेट में दर्द और तनाव बना रहता है। दो चम्मच पानी में ज़रा सी हींग घोल कर नाभि के आसपास लेप करने से बच्चे को आराम मिल जाएगा और बच्चा चुप हो जाएगा।
5-दांत दाढ़ दर्द का इलाज : bache ke dant me dard ka ilaj
बच्चों के दांत दर्द का घरेलू उपचार-दांत निकलते समय बच्चे को कष्ट होता है। इस कष्ट से शिशु को बचाने के लिए शहद में चुटकी भर फुलाया हुआ सुहागा मिला कर शिशु के मसूढ़ों पर लगा कर अंगुली से हलके से मल देना चाहिए। सोहागे को तवे पर सेक कर फुला लें फिर महीन बारीक पीस लें। इसे शहद में मिलाएं। इस प्रयोग से दांत आसानी से निकल आते हैं।
6-पेट में कृमि का इलाज : bachon ke pet me kide ka ilaj
बच्चों के पेट में कृमि का घरेलू उपचार-बच्चे के पेट में कृमि हो जाते हैं जिन्हें चुनचुने या चुरने कीड़े कहते हैं। ये कृमि बच्चे की गुदा के मुख के पास आकर इकट्ठे हो जाते हैं और वहां काटते रहते हैं जिससे बच्चा सो नहीं पाता और लगातार रोता रहता है। ऐसी स्थिति में रूई का फाहा घासलेट के तैल में डुबो कर गुदा के मुख पर लगा कर अन्दर सरका देने से कृमि मर जाते हैं। नमक का छोटा सा टुकड़ा गुदा के अन्दर रख देने से भी कृमि मर जाते हैं बच्चे का कष्ट मिट जाता है और बच्चा सो जाता है।
7-कीड़ा के काटने का इलाज : kida katne ka gharelu upay
बच्चों को कीड़ा के काटने का घरेलू उपचार-कभी कभी शिशु को चींटी या अन्य कोई कीड़ा काट लेता है तो बच्चा रोने लगता है। बच्चे के कपड़े उतार कर उसके पूरे शरीर की त्वचा को ध्यान से और बारीकी से देखना चाहिए। कभी कभी मच्छर या चींटी कपड़ों में घुस कर काट ले तो काटे गये स्थान की त्वचा लाल पड़ जाती है। इस पर फिटकरी का पानी या लोहा, पानी के साथ पत्थर पर घिस कर लेप बना लें और त्वचा पर लगाएं। इससे बच्चे को कष्ट से छुटकारा मिल जाता है।
तो बच्चे के रोने के ये कुछ कारण हैं। इन कारणों का निवारण करने के लिए इन उपायों को आवश्यकता के अनुसार उपयोग करके बच्चे का कष्ट दूर कर देना चाहिए।
(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)