Last Updated on May 30, 2022 by admin
डब्बा रोग (पसली चलना) क्या है और इसके लक्षण ? (Dabba Rog in Hindi)
रात को सोते समय बच्चे की पसली में दर्द वाला बुखार बना रहना, दूध न पीना तथा बार-बार आंखे बंद करना डब्बा रोग के लक्षण हैं। बच्चों में यह रोग शीत वायु (ठंडी हवा) से और मां के दूध से होता है। इस रोग में मां और बच्चे दोनों को दवा लेनी चाहिए।
विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से डब्बा रोग का उपचार (Dabba Rog ka Ilaj)
1. गोरोचन : एक चुटकी गोरोचन लेकर मां के दूध के साथ पीसकर हर 2-2 घंटे के बाद बच्चे को पिलाने से बच्चे की पसली चलना बंद हो जाती है।
2. लौंग : 7 लौंग को पानी में घिसकर बच्चे को देने से सर्दी के मौसम में होने वाला डब्बा रोग (पसली चलना) मिट जाता है।
3. सुहागा :
- 3 ग्राम भुना हुआ हरा-कसीस और 3 ग्राम आधा भुना हुआ सुहागा लेकर बकरी के दूध में पीसकर बाजरे के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसकी एक या दो गोली मां के दूध के साथ बच्चे को देने से पसली चलना रुक जाती है।
- 10-10 ग्राम अपामार्ग, क्षार, नागरमोथा, अतीस, सुहागा और बड़ी हरड़ को थोड़े पानी में मिलाकर बच्चों को चटाने से डब्बा रोग (पसली चलना) समाप्त हो जाता है।
4. भांगरा : भांगरे के रस में असली घी मिलाकर 3 दिनों तक बच्चे को पिलाने से डब्बा रोग (पसली चलना) ठीक हो जाता है।
5. अमलतास : अमलतास की एक फली लेकर उसे जला लें और बारीक पीसकर शीशी में भरकर रख लें। जब बालक की पसली चल रही हो, तो उस समय एक चुटकी चूर्ण चटा दें। इससे जल्दी आराम मिल जायेगा।
6. अरण्डी : बच्चे के पेट पर अरण्डी के तेल की मालिश करके ऊपर से बकायन की पत्ती गर्म करके बांधने से डब्बा रोग (पसली चलना) ठीक हो जाता है।
7. सोनामक्खी : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सोनामक्खी, बड़ी हरड़, छोटी हरड़ और तसुम्बक की जड़ का काढ़ा बनाकर उसे हल्का सा गुनगुना हो जाने पर पिलाने से डब्बा रोग (पसली चलना) में आराम आता है।
8. रेवन्दचीनी : रेवन्दचीनी और गोलमिर्च बराबर लें, फिर इन्हें पानी में घिसकर गर्म करके देने से बच्चों का डब्बा रोग (पसली चलना) मिट जाता है।
9. गोमूत्र : गोमूत्र (गाय का पेशाब) में सेंधानमक मिलाकर 3-3 ग्राम दिन में 4-5 बार देने से बच्चे की पसली चलना रुक जाती है।
10. अदरक : 30 ग्राम सौंठ को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर रख लें। इस पानी को छानकर दिन में 4 बार बच्चों को पिलाने से पसली का दर्द खत्म हो जाता है।
11. आक :
- मदार के पत्ते के 10 बूंद रस में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सैंधानमक मिलाकर पिला देने से उल्दी-दस्त होकर बालकों का डब्बा रोग शीघ्र शांत हो जाता है।
- छोटे बच्चों को जिन्हें कफ, सर्दी ज्यादा हो जाये और कोई भी दवा न दी जा सके (शिशु इतना छोटा हो), तब आक रूई से भरे गद्दे तकिए पर लिटाने से ही बालकों का सर्दी जुकाम दूर हो जाता है।
12. जमालगोटा : शुद्ध जमालघोटा की दो दालें, कौड़ीभर बादाम की एक बीजी (गिरी) पीसकर पानी में मिलाकर मूंग के बराबर गोली बना लें। एक गोली बच्चे को दूध से दें तो दस्त के साथ कफ (बलगम) बाहर निकल जायेगा। मल जमा हुआ दूध निकल जायेगा बाद में मूंग बराबर अभ्रक भस्म दें, सुबह-शाम दोनों समय मां को दोनों वक्त हिंग्वाष्टक चूर्ण 6-6 ग्राम गर्म दूध से खिलायें। इससे दूध का दोष खत्म हो जायेगा, दूध पीने से ही बच्चों को डिब्बा रोग होता है। अभ्रक भस्म, भुना सोहागा, मूंग के दाने के बराबर दूध से पिलायें, इससे भी बच्चों का डब्बा रोग दूर हो जायेगा। इडोरन की सूखी जड़ को पीसकर चूर्ण बना लें। इसके चौथाई ग्राम चूर्ण को चौथाई ग्राम सेंधानमक के साथ पानी में घोलकर बच्चे को पिला दें तो दस्त से जमा हुआ दूध कफ (बलगम) बाहर निकल जाएगा।
13. रीठा : रीठे के छिलके को पीसकर इसका चूर्ण बना लें। आधा ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण शहद में मिलाकर बच्चे को पिलायें। इससे दस्त के साथ कफ (बलगम) बाहर निकल जाएगा और डब्बा रोग समाप्त हो जायेगा। मूंग के बराबर अभ्रक दूध में घोलकर पिला दें। इससे कफ (बलगम) शीतांग होना, दूध न पीना, मसूढ़े जकड़ जाना आदि सभी रोग दूर हो जाएंगे तथा पसलियों का दर्द भी दूर हो जायेगा। पसलियों में सरसों का तेल, हींग, लहसुन पकाकर मालिश कर लें, पर छाती में मालिश न करें।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)