बच्चों में सांस से सम्बंधित रोगों की होम्योपैथिक दवा और इलाज – Bacho me Swas se Hone Wale Rogon ki Homeopathic Dawa aur Upchar

Last Updated on February 13, 2023 by admin

बच्चों में सांस से सम्बंधित रोगों का होम्योपैथिक इलाज : 

सांस से सम्बंधित विभिन्न रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-

1. बच्चों का दमा रोग :-  अधिक ठण्ड लगने के कारण खांसी उत्पन्न होती है और खांसी का उपचार ठीक से न करने से यह धीरे-धीरे दमा का रूप धारण कर लेती है। इस तरह दमा रोग के लक्षण यदि बच्चे में दिखाई दें तो बच्चे को इपिकाक औषधि की 2x या 6 शक्ति का सेवन कराएं। दमा रोग के ऐसे लक्षणों में लोबेलिया- 3x, आर्सेनिक- 3x, 30 शक्ति या सेनेगा- θ औषधि का प्रयोग करना अत्यधिक लाभदायक होता है।

2. बच्चों को सांस लेने में परेशानी :-  बच्चे में उत्पन्न ऐसे लक्षण जिसमें बच्चा अचानक हांफने व जल्दी-जल्दी सांस लेने लगता है। बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है और उसे कमजोरी महसूस होती रहती है। ऐसे लक्षणों में बच्चे को सैम्बुकस की 1x, क्यूप्रम-मेट की 6 शक्ति, लैकेसिस की 6 शक्ति या स्पंजिया की 3 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी होता है।

3. बच्चे का ब्रोंकाइटिस :- बच्चे को ब्रोंकाइटिस रोग होने पर विभिन्न लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे- बच्चे को बुखार हो जाता है, खांसी उत्पन्न होती है, छाती में दर्द होता है तथा गले से सांय-सांय की आवाज आती रहती है। सांस से सम्बंधित छोटी-छोटी नलियों की श्लैष्मिक झिल्ली रोगग्रस्त हो जाती है जिससे उसमें जलन होती रहती है। इस तरह की जलन व सूजन को दूर करने के लिए फेरम औषधि 12x शक्ति का चूर्ण या ब्रायोनिया औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

       ब्रोंकाइटिस रोग अधिक पुराना होने पर बच्चे को हिपर-सल्फर औषधि देनी चाहिए। इस रोग में लाइकोपोडियम- 12 शक्ति व एण्टिम-टार्ट- 6 शक्ति का भी प्रयोग लाभकारी होता है।

4. बच्चों का न्युमोनिया रोग :-  बच्चे को न्युमोनिया रोग मुख्य रूप से फेफड़ों की जलन के कारण होता है। फेफड़ों में जलन होने के साथ कभी-कभी वायुनली में भी जलन होने लगती है। इस तरह उत्पन्न रोग को न्युमोनिया रोग कहते हैं। यदि किसी बच्चे में न्युमोनिया रोग के शुरुआती लक्षण दिखाई दें तो बच्चे को फेरम-फास औषधि की 6x या फास्फोरस औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराने से लाभ होता है। यदि रोग का उपचार समय से न होने पर बच्चे में न्युमोनिया रोग के साथ टी.बी. के लक्षण दिखाई दें तो बच्चे को बैसिलिनम औषधि की 30 या 200 शक्ति की मात्रा का सेवन कराना अत्यधिक लाभकारी होता है। इस औषधि का प्रयोग सप्ताह में 1 बार करना चाहिए।

5. बच्चे की डिफ्थीरिया :-  डिफ्थीरिया रोग में विभिन्न प्रकार के लक्षणों से बच्चे पीड़ित रहते हैं। इस रोग में बच्चे को गले के अन्दर घाव हो जाता है, तालू के बगल की गांठ सूज जाती है और गांठ पर सफेद परत बन जाती है। इसके बाद बच्चे को कोई भी चीज निगलने में कठिनाई होती है, सांस लेने में परेशानी होती है और तेज बुखार हो जाता है। ऐसे लक्षणों में डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोग में आराम के लिए बच्चे को मर्क-सायानेटस औषधि की 6 शक्ति हर 1 घंटे के अंतर पर दें। इस तरह के डिफ्थीरिया रोग के लक्षणों से पीड़ित बच्चे को तुरंत उपचार कराना चाहिए।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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