Last Updated on June 24, 2020 by admin
बेलपत्र क्या है ? : Bel Patra in Hindi
बेल का पेड़ बहुत प्राचीन है। इस पेड़ में पुराने पीले लगे हुए फल दुबारा हरे हो जाते हैं तथा इसको तोड़कर सुरक्षित रखे हुए पत्तों को 6 महीने तक ज्यों के त्यों बने रहते हैं और गुणहीन नहीं होते। इस पेड़ की छाया शीतल और आरोग्य कारक होती हैं। इसलिए इसे पवित्र माना जाता है।
बेलपत्र के दिव्य औषधीय प्रयोग और फायदे : Bel Patra ke Fayde
1). जब कभी आपको बुखार हो जाए तो बेल की पत्तियों (Bel patra)का काढ़ा बना लें और फिर उसे पी जाए। ऐसा करने से आपका बुखार तुरंत ठीक हो जाएगा। यही नहीं, मधुमक्खी, बर्र अथवा ततैया के काटने पर बहुत जलन होती है, यह हम सभी जानते हैं, ऐसी स्थिति में काटे गए स्थान पर बेलपत्र का रस लगाना बहुत उपयोगी साबित होगा।
2). जान लें कि हृदय (heart) रोगियों के लिए भी बेलपत्र (Bel patra) का प्रयोग बेहद असरदार है। बेलपत्र का काढ़ा रोजाना बनाकर पीने से आपका हृदय हमेशा मजबूत रहेगा और हार्ट अटैक का खतरा भी कम होगा। वहीं, श्वास रोगियों के लिए भी यह बेलपत्र किसी अमृत से कम नहीं है। इन पत्तियों (Bel patra) का रस पीने से श्वास रोग में काफी लाभ होता है।
3). शरीर में जब कभी गर्मी बहुत बढ़ जाए या मुंह में गर्मी के कारण छाले हो जाएं, तो बेल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाते रहे। इससे लाभ जरूर मिलेगा और छाले समाप्त हो जाएंगे।
4). इन दिनों बवासीर नामक बीमारी बहुत ही आम हो गई है। सबसे ज्यादा तकलीफ देह होती है खूनी बवासीर। बेल की जड़ का गूदा पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर, इस चूर्ण को रोज़ सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ खा लें। अगर बवासीर का दर्द बहुत अधिक है तो दिन में तीन से चार बार लें। इससे आपकी बवासीर की समस्या तुरंत ठीक हो जाएगी।
5). वहीं अगर किसी कारण से बेल की जड़ उपलब्ध न हो सके तो बेस्ट ऑप्शन होगा कि आप कच्चे बेलफल का गूदा, सौंफ और सौंठ मिलाकर उसका काढ़ा बना कर सेवन कर लें। यह बेहद लाभदायक है।
6). बरसात (monsoon) आता नहीं कि सर्दी, जुकाम और बुखार की समस्याएं तैयार रहती हैं लोगों पर अटैक करने के लिए। अगर आप बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीएंगे तो बहुत फायदा पहुंचेगा। वहीं विषम ज्वर हो जाने पर इसके पेस्ट की गोलियां बनाकर गुड़ के साथ खाई जाती हैं।
7). अकसर छोटे-छोटे बच्चों के पेट या आंतों में कीड़े हो जाते हैं या फिर बच्चें में दस्त लगने की समस्या हो जाती है तो आप बेलपत्र का रस पिलाए, इससे काफी फायदा होगा और यह समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
8). एक चम्मच रस पिलाने से बच्चों के दस्त तुरंत रुक जाते हैं।
9). संधिवात में पत्ते गर्म करके बाँधने से सूजन व दर्द में राहत मिलती है।
10). बेलपत्र पानी में डालकर स्नान करने से वायु का शमन होता है, सात्त्विकता बढ़ती है।
11). बेलपत्र का रस लगाकर आधे घंटे बाद नहाने से शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है।
12). पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से अम्लपित्त (Acidity) में आराम मिलता है।
13). स्त्रियों के अधिक मासिक स्राव व श्वेतस्राव (Leucorrhoea) में बेलपत्र एवं जीरा पीसकर दूध में मिलाकर पीना खूब लाभदायी है। यह प्रयोग पुरुषों में होने वाले धातुस्राव को भी रोकता है।
14). तीन बिल्वपत्र व एक काली मिर्च सुबह चबाकर खाने से और साथ में ताड़ासन व पुल-अप्स करने से कद बढ़ता है। नाटे ठिंगने बच्चों के लिए यह प्रयोग आशीर्वादरूप है।
15). मधुमेह (डायबिटीज) में ताजे बिल्वपत्र अथवा सूखे पत्तों का चूर्ण खाने से मूत्रशर्करा व मूत्रवेग नियंत्रित होता है।
16). बेलपत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है ।
17). बेलपत्र के सेवन से मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है ।
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18). बेलपत्र के सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है ।
19). बेलपत्र के पत्तों का काढा पीने से ह्रदय मज़बूत होता है ।
20). बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है । बेल पत्रों का रस आँखों में डालने से लेप करने से लाभ होता है ।
21). बेलपत्र के पत्तों के 10 ग्राम रस में 1 ग्रा. काली मिर्च और 1 ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह दोपहर और शाम में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है ।
22). बेलपत्र , धनिया और सौंफ सामान मात्रा में ले कर कूटकर चूर्ण बना ले , शाम को 10 से 20 ग्रा. चूर्ण को 100 ग्रा. पानी में भिगो कर रखे , सुबह छानकर पिए । सुबह भिगोकर शाम को ले, इससे प्रमेह और प्रदर में लाभ होता है । शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर होती है ।
23). बरसात के मौसम में होने वाले सर्दी , खांसी और बुखार के लिए बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर ले ।
24). बेल के पत्तें पीसकर गुड मिलाकर गोलियां बनाकर रखे । इसे लेने से विषम ज्वर में लाभ होता है ।
25). दमा या अस्थमा के लिए बेल पत्तों का काढा लाभकारी है।
26). सूखे हुए बेल पत्र धुप के साथ जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।
27). पेट के कीड़ें नष्ट करने के लिए बेल पत्र का रस लें।
28). संधिवात में बेल पत्र गर्म कर बाँधने से लाभ मिलता है ।
29). महिलाओं में अधिक मासिक स्त्राव और श्वेत प्रदर के लिए और पुरुषों में धातुस्त्राव हो रोकने के लिए बेल पत्र और जीरा पीसकर दूध के साथ पीना चाहिए।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)