Bihi (Quince) in Hindi | बिही के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

Last Updated on March 21, 2020 by admin

बिही क्या है ? : What is Quince (cydonia oblonga) in Hindi

बिही के वृक्ष तरुणीकुल के मध्यमाकार वाले होते हैं। अमेरिका तथा यूरोप में इसके वृक्ष प्रचुर संख्या में होते हैं। भारत में काश्मीर-पंजाब में पर्वतों पर यह लगाये जाते हैं। इसके फलों तथा बीजों का आयात काबुल और ईरान से होता है। इसे काश्मीरी नाशपाती भी कहते हैं। अंग्रेजी में इसे क्विन्स तथा लैटिन में साइडोनिया आबलोंगा कहते हैं।

बिही का फल कैसा होता है ?

बिही के फल रूप रेखा में सेब की तरह होते हैं सुनहले रंग के सरस सुगन्धित तथा ऊपरी भाग में कठिन रोमश होते हैं। फल के भीतर पांच विभाग होते हैं। जिनमें प्रत्येक विभाग में दो लम्बी कतारों में अनेक बीज होते हैं। ये बीज लम्बे, गोल, चपटे, रक्ताभ भूरे रंग के होते हैं। इन्हीं बीजों को बिहीदाना कहते हैं। इन्हें जल में भिगोने से ये फूलकर लुआबदार हो जाते हैं। इसके पके फल खाये जाते हैं। फल तथा बीजों का उपयोग ओषधि के रूप में होता है। रसभेद से ये फल दो प्रकार के होते हैं। प्रायः ये फल खट्टे या खट-मीठे होते हैं। किन्तु ईरान आदि कुछ क्षेत्रों में लगाई गई जातियों में मीठे फल लगते हैं।

बिही का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Quince (cydonia oblonga) in Different Languages

Quince (cydonia oblonga) in–

  • हिन्दी (Hindi) – बिही, बही, काश्मीरी नाशपाती
  • संस्कृत (Sanskrit) – सिंचितका, अमृतफल
  • मराठी (Marathi) – बीही, मौंगाली, वेदाण
  • गुजराती (Gujarati) – मोगलाई वेदाण
  • बंगाली (Bangali) – बिहीदाना
  • अंग्रेजी (English) – क्विन्स (Quince)
  • लैटिन (Latin) – सायडोनिया ओबलोंगा (cydonia oblonga)

बिही का रासायनिक विश्लेषण : Quince Chemical Constituents

बिही का रासायनिक संगठन निम्न प्रकार से हैं –
प्रोटीन, वसा कार्बोहाइड्रेट खनिज द्रव्य, मेलिक एसिड (सेवाम्ल) तथा विटामिन सी होता है।
आर्द्रता प्रायः 85 प्रतिशत होती है। बीजों में एमिग्डेलिन नामक ग्लाइकोसाइड, टेनिन, म्युसिलेज, अम्ल तथा तैल होता है।

बिही फल के औषधीय गुण : Bihi Fal ke Gun in Hindi

  • बिही के फल के गुण प्राय: सेब के समान है ये पौष्टिक मूत्रल, घाव को भरने वाले कफ को बाहर निकालने वाले और बुखार को उतारने वाले हैं।
  • बिही दिमाग और जिगर को शक्ति प्रदान करते हैं।
  • बिही के सेवन से भूख बढ़ती है हृदय की कमजोरी दूर होती है बढ़ी हुई तिल्ली घटने लगती है और पेट की सूजन दूर होती है।
  • बिही श्वास कष्ट में भी लाभदायक है।
  • बिही फल के बीज (बिहीदाना) ठण्डे और स्निग्ध होते हैं।
  • बिही फल के बीज रक्तपित्त (नक्सीर) में विशेष रूप से उपयोगी हैं।
  • मुखपाक, सूखी खांसी, गले की खराबी, अधिक प्यास लगना, पेशाब में जलन और क्षय आदि रोगों में बिहीदाने का लुआब बड़ा उपकार करता है।
  • अरुचि, मन्दाग्नि, जी मिचलाना, पेट की रुक्षता, पेट का दर्द, खूनी दस्त, उल्टियां होना आदि शिकायतों में इसके फल और बीज दोनों ही लाभदायक है।

बिही बीजों की सेवन मात्रा (खुराक) : Dosage of Quince Seeds

बिहीदाना की उपयुक्त मात्रा 3 से 5 ग्राम है।

बिही फल के फायदे और उपयोग : Bihi Fal ke Fayde in Hindi

आन्त्र का सूखापन दूर करने में बिही का उपयोग फायदेमंद

आंतों की खुश्की को दूर करने के लिये बिही के बीजों को जल में भिगोकर लुआब (चिपचिपा गाढ़ा रस) निकालकर उसमें मिश्री मिलाकर पिलाते हैं।

मुँह के छाले मिटाए बिही का उपयोग

बिहीदाना (बिही के बीज) के लुआब (चिपचिपा गाढ़ा रस) से कुल्ला करने से मुखपाक ठीक होता है।

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सुजाक रोग में बिही के प्रयोग से लाभ

बिहीदानों को गर्म पानी में कुछ देर रखकर फिर पानी को छानकर पिलाने से पेशाब की जलन शान्त होकर पेशाब खुलकर लगता है और सुजाक धीरे-धीरे अच्छा हो जाता है।

आग से जलने पर बिही के इस्तेमाल से लाभ

आधा लीटर पानी में 15 ग्राम बिहीदाने मिलाकर उनका लुआब निकालकर आग से जले स्थान पर इसका लेप करने से जलन मिटती है और फफोले भी नहीं पड़ते हैं।

( और पढ़े –आग से जलने पर 79 घरेलू उपचार )

दस्त में बिही के इस्तेमाल से फायदा

बिहीदानों का काढ़ा बनाकर देने से लाभ होता है।

बिही के प्रयोग से दूर करे सूखी खांसी

बिहीदानों के लुआब में मिश्री मिलाकर थोड़ा-थोड़ा दिन में चार-पांच बार पिलाने से सूखी खांसी का वेग रुकता है।

आंतों का घाव ठीक करने में बिही फायदेमंद

बिहीदानों का लुआब पिलाने से आंतों का घाव जल्दी ठीक हो जाता है। यह लुआब ईसबगोल लुआब की तरह आंतों की झिल्ली पर लिपट जाती है। इससे बिना किसी तकलीफ के आंत्र के घावशीघ्र ठीक हो जाते हैं।

पेचिश में लाभकारी है बिही का सेवन

बिही बीज और ईसबगोल की भूसी को 3-3 ग्राम लेकर पानी में भिगोकर इसमें शक्कर मिलाकर सेवन करें।

सर्दी-जुकाम मिटाए बिही का उपयोग

बीजों के लुआब में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर सेवन करायें। यह जुकाम में लाभ करता है।

प्रदर में बिही का उपयोग लाभदायक

बीज 10 ग्राम को रात भर पानी में भिगोकर सुबह उसमें 15 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करने से रक्त प्रदर, रक्तातिसार, प्रमेह, मूत्राघात आदि बहुत से रोगों का शमन होता है। यह बार-बार प्यास लगने और जलन में भी हितकारक कहा गया है।

बिही से निर्मित विशिष्ट योग :

शर्बत बिही – निर्माण विधि और फायदे

बिही खटमीठी के छिलके और दाने दूर कर एक लीटर रस निकालकर उसमें 3 किलो ग्राम शक्कर मिलाकर पकायें। शर्बत की चाशनी हो जाने पर उतार कर रख लें। मात्रा 25 से 50 मिली. तक पानी में मिलाकर पिलाने से वमन और अतिसार रोगों में लाभ होता है। यह शर्बत आमाशय और हृदय को बल प्रदान करता है।

मुरब्बा बिही – निर्माण विधि और फायदे

बिही के छिलके हटाकर आंवलों के मुरब्बे की तरह मुरब्बा तैयार कर लें यह मुरब्बा अजीर्ण और अतिसार में लाभप्रद है। यह भी हृदय और दिमाग को बल देने वाला है।

बिही बीज कल्प – निर्माण विधि और फायदे

प्रारम्भ में इसके सात बीजों को कूटकर रात के समय 60 मिली. जल में कांच के पात्र में भिगोकर प्रात: उसमें 125 मिली. गरम किया हुआ दूध और 30 ग्राम मिश्री मिलाकर अच्छी तरह धीरे-धीरे चबाते हुए सेवन करें। इसी प्रकार सुबह भिगोकर रात में सेवन करें। दस दिनों तक यही क्रम लें। इसके बाद दो बीजों को और बढ़ायें तथा इसी क्रम से दस दिनों तक चालू रखें। इस प्रकार तीन महीनों तक बीजों की वृद्धि क्रम से बढ़ायें। बीजों की संख्या 24 तक हो जाने पर कुछ दिनों तक उसी संख्या में लेते रहें। बीजों के वृद्धि क्रम के साथ ही साथ जल, दूध और मिश्री को भी बढ़ायें इसके बाद घटाते हुए सात बीजों पर आ जायें। इस कल्प प्रयोग से अफारा, अरुचि, मन्दाग्नि, हिचकी, पेट दर्द, जलन, कब्ज, थकान, अनिद्रा, विस्मृति, वीर्य की दुर्बलता आदि बहुत से रोग धीरे-धीरे समाप्त होते हैं।

इस प्रकार वात पित्त रोगों से बचे रहने के लिये तथा शरीर को पुष्ट बनाये रखने के लिये बिही का सेवन उपयोगी है। बल-वीर्य की वृद्धि के लिये, जलन को मिटाने के लिये इसके बीजों को उपयोग में लाना लाभदायक है। बहुत से पौष्टिक प्रयोगों में ये बीज उपयोग में लाये जाते रहे हैं। इसका प्रयोग पेचिश, अतिसार, प्रदर, प्रतिश्याय, कास आदि में भी उपयोगी पाया गया है।

बिही के दुष्प्रभाव : Bihi ke Nuksan in Hindi

अधिक मात्रा में बिही के फल खाने से हिचकी, कम्पवात, खांसी, पेट का दर्द आदि शिकायतें हो जाने की संभावना रहती है। इसके हानिकारक प्रभाव को शहद दूर कर देता है।
बिही के बीजों की उपयुक्त मात्रा 3 से 5 ग्राम है। इसकी अधिक मात्रा आमाशय को दुर्बल बनाती है। चीनी और सोंफ का सेवन बीजों के हानिकारक प्रभाव को समाप्त करते हैं।

बिही का मूल्य : Quince Price

  • YUVIKA Beedana | Bidana Seeds – Pyrus Cydonia – Quince Seeds (100 GM) – Rs – 549
  • Pickled Quince Fruit – Rs 110
  • CACTUS SPICES Homemade Behi Murabb (Safarjal Murabba) (Quince Murabba) 800 Grams – Rs 449

कहां से खरीदें :

अमेज़न (Amazon)

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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