मधुमेह के 25 रामबाण घरेलू उपचार | Madhumeh ke Gharelu Upchar
मधुमेह (डायबिटिज) क्या है ?: madhumeh / diabetes in hindi इस रोग की आजकल बहुतायत हो गई है। इस रोग में शर्करा (Sugar) बिना किसी रासायनिक परिवर्तन के मूत्र के साथ बाहर निकलती रहती है …
मधुमेह (डायबिटिज) क्या है ?: madhumeh / diabetes in hindi इस रोग की आजकल बहुतायत हो गई है। इस रोग में शर्करा (Sugar) बिना किसी रासायनिक परिवर्तन के मूत्र के साथ बाहर निकलती रहती है …
स्वामी शरनानन्द जी से आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी प्रश्न-महाराज जी ! शिक्षक का क्या कर्तव्य है? उत्तर–शिक्षक का काम है, अपनी योग्यता का सदुपयोग एवं | शिक्षार्थी का चरित्र-निर्माण। प्रश्न-स्वामी जी ! भगवान् हमारी चाह पूरी क्यों …
धर्मशास्त्रों ने हर एक गृहस्थ को पंचमहायज्ञ करना आवश्यक कर्तव्य कहा है। इस संबंध में मनुस्मृति में मनु ने कहा है | अध्यापनं ब्रह्मयज्ञः पितृयज्ञस्तु तर्पणम्।। होमो दैवो बलिर्मोतो नृयज्ञोऽतिथि पूजनम् ॥ -मनुस्मृति 3/70 अर्थात् …
मन क्या वस्तु है ? : man kya hai यह आत्म और अनात्म पदार्थ के बीच में रहने वाली एक विलक्षण वस्तु है। यह स्वयं अनात्म और जड़ है परन्तु बंध और मोक्ष इसी के …
कर्णशूल (kan dard) की विकृति किसी भी स्त्री-पुरुष, बच्चे व प्रौढ़ को शूल की अधिकता से बेचैन कर सकती है। शूल के कारण रोगी रात्रि में भी नहीं सो पाता।कर्णशूल की विकृति 3-4 महीने के …
अनुपान — जिस पदार्थ के साथ दवा सेवन की जाए। जैसे जल , शहद अपथ्य — त्यागने योग्य, सेवन न करने योग्य अनुभूत — आज़माया हुआ असाध्य — लाइलाज अजीर्ण — बदहजमी अभिष्यन्दि — भारीपन …
धारणा क्या है ? (श्री स्वामी शिवानन्द जी ) ★ देशबन्धश्चित्तस्य धारणा’-मन को किसी बाह्य विषय अथवा आन्तरिक बिन्दु पर एकाग्र करना धारणा है। एक बार एक संस्कृत के विद्वान् कबीर के पास गये और …
बार बार प्यास लगना (गला सुखना / तृषा रोग ) क्या है : शारीरिक श्रम करने पर तृषा अर्थात् प्यास की इच्छा होती है। तृषा होने पर सभी छोटे-बड़े के लिए जल पीना आवश्यक हो …
यज्ञ चिकित्सा : Yagya Chikitsa se Rog Nivaran ★ आदियुग से अब तक चिकित्सा प्रणाली खोजों के आधार पर कहीं से कहीं जा चुकी है। चिकित्सा प्रणालियों के क्रमिक विकास में वेद के अन्तर्गत ही …
श्री रमण महर्षि से बातचीत | Sri Raman Maharishi Se Baatcheet १. एक संन्यासी अपनी शंका का समाधान करने का प्रयास कर रहा था : “यह अनुभूति कैसे हो कि सारा जगत ही ब्रह्म है …