होली क्यों मनाई जाती है ,जानिये इस त्योहार से जुड़ी कथाएं
होली का आगमन इस बात का सूचक है कि अब जीवन में बहार ही बहार है। क्योंकि यह पर्व शिशिर ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का सूचक है। इस बीच ऋतुओं के …
होली का आगमन इस बात का सूचक है कि अब जीवन में बहार ही बहार है। क्योंकि यह पर्व शिशिर ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का सूचक है। इस बीच ऋतुओं के …
शिवरात्रि का महत्व : शिवरात्रि का अर्थ वह रात्रि है, जिसका शिवतत्त्व के साथ घनिष्ठ संबंध है । भगवान् शिवजी की अतिप्रिय रात्रि को ‘शिवरात्रि’ कहा गया है। शिवार्चन एवं जागरण ही इस व्रत की …
मन्त्र रूप औषध : १-धन्वन्तरिजी श्रीसुश्रुत से कहते हैं-‘ ओंकार‘ आदि मन्त्र आयु देनेवाले तथा सब रोगों को दूर करके आरोग्य प्रदान करनेवाले हैं। इतना ही नहीं, देह छूटनेके पश्चात् वे स्वर्गकी भी प्राप्ति करानेवाले …
दान देना मनुष्य जाति का सबसे बड़ा तथा पुनीत कर्तव्य है। इसे कर्तव्य समझकर दिया जाना चाहिए और उसके बदले में कुछ पाने की इच्छा नहीं रहनी चाहिए। अन्नदान महादान है, विद्यादान और बड़ा है। …
(१) शंख ध्वनि के अद्भुत लाभ – सन् १९२८ ई० में बर्लिन यूनिवर्सिटीने शंख-ध्वनि का अनुसंधान करके यह सिद्ध किया है कि शंख ध्वनि की शब्द-लहरें बैक्टीरिया नामक (संक्रामक रोग के) कीटाणुओं के नष्ट करनेमें …
शुभ संयोग : सोमवती अमावस्या वर्षभर में ऐसा एक या दो बार ही हो पाता है, जब अमावस्या सोमवार को पड़े। इस दिन ग्रहों-नक्षत्रों की स्थिति विशेष होती है। अमावस्या सोमवार को पड़ने पर यह …
पूजा में यंत्रों का महत्व क्यों ? विद्वानों का मानना है कि पूजा के स्थान पर देवी-देवताओं के यंत्र रख कर उनकी पूजा उपासना करने से अधिक उत्तम फल मिलता है, क्योंकि देवी-देवता यंत्र में …
💫 मम का आकर्षण और वास्तविकता की खोज अहम् रुपी अणु में ही विद्यमान है । प्रतीति के आकर्षण का अन्त होते ही अहंता वास्तविकता की खोज होकर वास्तविकता से अभिन्न होती है । अर्थात् …
💫 तत्त्वदृष्टि से जीव और ईश्वर एक है, फिर भी भिन्नता दिखती है। क्यों ? क्योंकि जब शुद्ध चैतन्य में स्फुरण हुआ तब अपने स्वरूप को भूलकर जो स्फुरण के साथ एक हो गया, वह …
महर्षि वेदव्यास ने कहा है सुरा मत्स्याः पशोर्मास द्विजातीनां बलिस्तथा। धूर्तेः प्रवर्तितं यज्ञे, नैतद् वेदेषु कथ्यते ॥ -महाभारत, शांतिपर्व 15 अर्थात् मद्य (शराब), मछली और पशुओं का मांस और यज्ञ में द्विजाति आदि मनुष्यों की …