चर्म रोगों के अनुभूत चमत्कारी आयुर्वेदिक उपचार
फोड़े-फुँसी / दाने : गंधक रसायन 2 रत्ती, मजिष्ठादि चूर्ण एक माशा, आरोग्यवर्धनी वटी 2 रत्ती, बंग भस्म 2 रत्ती और त्रिफला चूर्ण एक माशा खरल में मिलाकर एक-एक माशा सुबह-शाम शहद के साथ सेवन …
फोड़े-फुँसी / दाने : गंधक रसायन 2 रत्ती, मजिष्ठादि चूर्ण एक माशा, आरोग्यवर्धनी वटी 2 रत्ती, बंग भस्म 2 रत्ती और त्रिफला चूर्ण एक माशा खरल में मिलाकर एक-एक माशा सुबह-शाम शहद के साथ सेवन …
स्वप्नदोष क्या है ? इसके मुख्य कारण : स्वप्नदोष नामक व्याधि मुख्यत: दो कारणों से होती है। पहला कारण क़ब्ज़ रहना और पेट ठीक से साफ़ न होना है जिससे कोठे में उष्णता के प्रभाव …
मालिश के गुण व कार्य : यदि मालिश को माँसपेशियों की ‘कसरत’ कहा जाए तो गलत न होगा। माँसपेशियों के लिए मालिश उतनी ही आवश्यक है जितनी रक्त को सूक्ष्मातिसूक्ष्म नाड़ियों में प्रवाहित होने के …
औषधियों के धूम्र को पान करने की एक चिकित्सा पद्धति भी आयुर्वेदिक ग्रन्थों में वर्णित है। यज्ञों द्वारा अग्निकुण्ड से निकले पवित्र होतव्य द्रव्य से उद्दीप्त वायु द्वारा सम्पूर्ण वायुमण्डल की पवित्रता सर्वविश्रुत ही है। …
प्राचीन काल में लोक-जीवन वनस्पतिमय था। उस समय मनुष्य के योग क्षेम में वनस्पतियों का महत्त्वपूर्ण स्थान था। यही कारण है कि वैदिक वाङ्मय में औषधि-वनस्पतियों की स्तुति में अनेक मन्त्र उपलब्ध होते हैं। ऋग्वेद …
शिशु के दांत – उभरने का क्रम पृष्ठभङ्गे विडालानां बर्हिणां च शिखोद्गमे।दन्तोद्भवे च बालानां न हि किञ्चिन्न दूयते ॥ ‘बिल्ली की पीठ पर चोट लगने के समय, मोर की चोटी उत्पन्न होने के समय तथा …
नकसीर को आयुर्वेदिक चिकित्सा में नासा रक्तस्राव कहते हैं। ग्रीष्म काल में शरीर में अधिक ऊष्मा संचय के कारण रक्तवाहिनियों में रक्तका तीव्र संचार होने लगता है। दबाव असहनीय होनेपर यही रक्त नाक के माध्यम …
दमा (श्वास) एक बहुत कष्टदायक रोग है। यह मनुष्य को शारीरिक तथा मानसिक रूपसे अपङ्ग बना देता है। ऐसी मान्यता है कि दमा रोग मृत्यु के साथ ही जाता है, परंतु रोगी अगर अपने स्वास्थ्य …
लू-लगना क्या होता है ? : lu lagna kya hota hai ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं, जिसके कारण पृथ्वी तथा उसके सम्पर्क की वायु अत्यधिक गर्म हो जाती है। ऐसे में …
आयुर्वेद के अचूक नुस्खे : (१) मधुमक्खी काटने की दवा-आक (मदार) के दूध में लौंग, गोल मिर्च, शुद्ध कड़वा तेल या सरसों का दाना एक में रगड़कर तेल में फेंटकर लगाये। पीड़ा समाप्त हो जायगी। …