Last Updated on July 1, 2021 by admin
समय के साथ हर चीज बदल जाती है। यही हाल होता है स्वस्थ, सुकुमार, कोमल-सी गर्दन का। बेचारी का उम्र के साथ-साथ ऐसा हाल हो जाता है कि इधर से उधर घूमने और ऊपर-नीचे मुड़ने में ही उसे दर्द होने लगता है। उसकी हड्डियाँ और जोड़ जगह-जगह से घिस जाते हैं और कहीं-कहीं उनमें ऐसी चोंचें निकल आती हैं कि उनमें सुकून से रहनेवाली तंत्रिकाएँ और पास से गुजरने वाली धमनियाँ भिंचने लगती हैं।
पैंतीस-चालीस की उम्र के बाद सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस सचमुच आदमी को परेशानी में डाल देती है। समय से इलाज और गर्दन की मांसपेशियों को सशक्त बनाना ही इसका समाधान है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस क्या है ? (Cervical Spondylosis in Hindi)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस उम्र के साथ, गर्दन की हड्डियों और उनके आपस के जोड़ों में आया विकार है, जिससे उनके भीतर सुरक्षित मेरुरज्जु (स्पाइनल कॉड) और मेरुरज्जु से निकल रही तंत्रिकाओं (नर्व) पर जोर पड़ने लगता है। यह किसी तरह का संधि-शोथ नहीं है, बल्कि उम्र की टूट-फूट है जिसमें –
- हड्डियों के बीच की चक्रिका (डिस्क) या तो सूखकर छोटी हो जाती है या अपनी जगह से खिसक जाती है
- कशेरुकाओं (वर्टिब्रा) के पिछले और अगले हिस्से में नई हड्डी. बनने से नोकें बन जाती हैं,
- हड्डियों के जोड़ अपनी जगह से हिल जाते हैं और कहीं-कहीं हड्डी के बढ़ने से उनमें विकार आ जाता है, और नतीजतन दो कशेरुकाओं के बीच से निकलनेवाली तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ सकता है। किसी-किसी में मेरुरज्जु भी दबने लगती है। कुछ में पास से गुजरती धमनियों पर भी जोर पड़ने लगता है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के लक्षण (Cervical Spondylosis Symptoms in Hindi)
इससे क्या-क्या तकलीफें हो सकती हैं ?
- गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द हो सकता है।
- कौन-कौन सी तंत्रिकाएँ भिंचती हैं, इसके आधार पर सिर के पिछले हिस्से, कंधे, बाँह, हाथ और छाती में दर्द बना रह सकता है।
- यह दर्द गर्दन को हिलाने-डुलाने और ऊपर ले जाने पर बढ़ जाता है।
- गर्दन की सक्रियता कम हो जाती है और वह जकड़ सी जाती है।
- कुछ मामलों में हाथ-बाँह में चींटियाँ-सी रेंगती महसूस होती हैं, हाथ और बाँह सुन्न हो जाते हैं या उनकी ताकत भी कम होने लगती है।
- कुछ को चक्कर आने लगते हैं।
- चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का परीक्षण (Diagnosis of Cervical Spondylosis in Hindi)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर क्या-क्या जाँच कराते हैं ?
यों तो शारीरिक लक्षणों से ही काफी कुछ जानकारी मिल जाती है, पर अक्सर गर्दन का एक्स-रे तो कराया ही जाता है। कुछ मामलों में गर्दन का सी. टी. स्कैन या एम. आर. आई. भी कराया जाता है कि पता लग सके मेरुरज्जु और तंत्रिकाओं पर कहाँ, कितना और कैसा दबाव पड़ रहा है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस बीमारी के लिए डॉक्टर :
इसके इलाज के लिए किस विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए ?
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के मरीज को रिहैबिलिटेशन मेडिसिन के विशेषज्ञ या आर्थोपेडिक सर्जन के पास दिखाना सबसे अच्छा रहता है। फिर आगे के इलाज के लिए फिजियोथैरेपिस्ट का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण होता है।
( और पढ़े – सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का घरेलू उपाय )
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का इलाज (Cervical Spondylosis Treatment in Hindi)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का इलाज कैसे किया जाता है ?
- शुरू में जब तकलीफ ज्यादा होती है, आराम देना ही सबसे बड़ा लक्ष्य होता है। इसके लिए गर्दन को नरम कॉलर में बंद करके रखना होता है, ताकि गर्दन हिले-डुले नहीं । एक ही विश्राम की मुद्रा में रहे। इसके लिए कॉलर ठीक तरह से और सही मुद्रा में लगाना बहुत जरूरी है।
- दर्द और सूजन दूर करने के लिए साथ ही में दर्द व सूजन-निवारक दवा और मांसपेशियों की ऐंठन दूर करनेवाली दवा दी जाती है।
- जिन्हें चक्कर आने की परेशानी होती है, उन्हें मस्तिष्क में खून का दौरा बढ़ाने वाली दवा, जैसे सिननेरिज़िन दी जाती है।
- जैसे-जैसे लक्षणों की तीव्रता शांत होती है, गर्दन की सामान्य सक्रियता को धीरे-धीरे लौटाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है। जिन मरीजों में लक्षण तीव्र नहीं होते, उनमें शुरुआत ही इसी से की जाती है।
- तकलीफ पा रहे हिस्से को शार्ट वेव डायाथर्मी या गर्म पानी में भीगी चादर से सेंक दिया जाता है ताकि तनी हई मांसपेशियाँ शांत हो सकें।
- जरूरी होने पर अब कुछ विशेषज्ञ ट्रैक्शन भी देते हैं, ताकि कशेरुकाओं के बीच भिंच रही तंत्रिकाएँ दबाव से मुक्त हो सकें।
- जैसे-जैसे स्थिति और सुधरती है, गर्दन के हलके व्यायाम शुरू कर दिए जाते हैं, जिन्हें जीवनचर्या में ढालना सदा उपयोगी रहता है। ये व्यायाम बिलकुल सलीके से और बिना जोर-जबरदस्ती, बगैर किसी झटके के करना निहायत जरूरी होता है। गलत विधि से किए गए व्यायाम आराम देने की बजाय तकलीफ को बढ़ा और बिगाड़ सकते हैं।
- गर्दन के लिए उपयुक्त पतला तकिया और गर्दन का रोजाना के जीवन में सही इस्तेमाल सीखना-जानना भी जरूरी होता है।
- चंद मामलों में जहाँ मेरुरज्जु और तंत्रिकाओं पर से सामान्य रूप से दबाव दूर करना संभव नहीं दिखता, मेरुदंड का ऑपरेशन करने की भी जरूरत पड़ सकती है।