Last Updated on March 12, 2020 by admin
चन्द्रांशु रस क्या है ? : What is Chandranshu Ras in Hindi
चन्द्रांशु रस टैबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे स्त्री रोग संबंधी विकारों के उपचार में उपयोग किया जाता है। इस औषधि का उपयोग योनि शूल ,योनि में खुजली, श्वेत प्रदर और गर्भाशय संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।
चन्द्रांशु रस के घटक द्रव्य : Chandranshu Ras Ingredients in Hindi
शुद्ध पारद, शुद्धगंधक, अभ्रक भस्म 100 पुटी, लोह भस्म 100 पुटी, वङ्ग भस्म सभी समभाग
भावनार्थ : एलोवेरा (घृतकुमारी) स्वरस आवश्यकतानुसार
प्रमुख घटकों के विशेष गुण :
- कज्जली : योगवाही (औषध आदि मिलाकर खाने का माध्यम), जन्तुघ्न, रसायन।
- अभ्रक भस्म : मज्जाप्रसादक, बल्य, बृष्य (वीर्य और बल बढ़ाने वाला), स्नायुवलबर्धक।
- लोह भस्म : रक्तबर्धक, बल्य, बृष्य, रसायन ।
- वङ्गभस्म : अण्डकोष बल बर्धक, बल्य, बृष्य, रसायन।
- एलोवेरा (घृतकुमारी): रेचक, यकृत प्लीहोत्तेजक, रजः प्रसादक ।
चन्द्रांशु रस बनाने की विधि :
सर्व प्रथम पारद गंधक की निश्चन्द्र कज्जली करवाएँ फिर सभी भस्में मिलाकर खरल करवाऐं अन्त में घृतकुमारी स्वरस में मर्दन कर के 100 मि. ग्राम की वटिकाएं बनवा कर धूप में सुखा लें।
चन्द्रांशु रस की खुराक : Dosage of Chandranshu Ras
एक से दो वटिकाएं प्रातः सायं भोजन से पूर्व।
अनुपान :
जीरक क्वाथ, दूध, जल, अशोकारिष्ट ।
चन्द्रांशु रस के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Chandranshu Ras in Hindi
योनि शूल में चन्द्रांशु रस के प्रयोग से लाभ
योनि शूल (दर्द) से यहाँ अभिप्राय है रजः कृच्छ्र, इसका मूल कारण होता है, वायु की वृद्धि जिसके कारण गर्भाशय माँसपेशियों के आकुंचन (सिकुड़ना) में विषमता उत्पन्न हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में चन्द्रांशु रस दो-दो गोलियाँ कुमारी आसव (20 मि.ली. बराबर जल मिलाकर) से प्रात: सायं देने से अगामी रज: स्राव में वेदना नहीं होती है।
चिकित्सा रजः काल के समाप्त होते ही प्रारम्भ कर देनी चाहिए जिन महिलाओं को वेदना अति तीव्र होती हो उन्हें कुमारी आसव के साथ दशमूलारिष्ट भी मिला देना चाहिए।
सहायक औषधियों में कन्यालोहादि वटी पुननर्वादि मण्डूर, पुनर्नवादि गुग्गुलु, रजः प्रवर्तिनि वटी इत्यादि का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
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योनि कण्डू (योनि में खुजली) रोग में चन्द्रांशु रस का उपयोग लाभदायक
योनि में खुजली और जलन (योनि कण्डू) रोग यह एक अत्यन्त कष्टदायक रोग है । स्थानीय शुचिता (सफाई) का ध्यान रखते हुए एक से दो गोली प्रातः सायं शीतल जल या जीरक क्वाथ से देने से दो तीन दिन में ही लाभ मिलने लगता है। पूर्ण लाभ के लिए तीन सप्ताह तक औषधि सेवन करवाऐं ।
सहायक औषधियों में मूल रोग निवारक औषधियों की योजना करना आवश्यक है।
( और पढ़े – योनि में सूजन (योनिशोथ) के घरेलू उपचार )
स्मरोन्माद (कामजन्य उन्माद) रोग में लाभकारी है चन्द्रांशु रस का प्रयोग
कामवासना की आपूर्ती न होने के कारण होने वाले मानसिक लक्षणों में यह एक सफल औषधि है। इसकी एक वटिका प्रात: दोपहर सायं मांस्यादि क्वाथ या सारस्वतारिष्ट के साथ देने से लाभ होता है । चिकित्सा तीन से छः मास तक दें ।
सहायक औषधियों में चेतन्योदय रस, मनः प्रसादक (स्वानुभूत) का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
गर्भाशय का बाहर आना (योनि विक्षेपण / PROLAPSE OF UTERUS) रोग में चन्द्रांशु रस से फायदा
योनि विक्षेपण (गर्भाशय का बाहर आना) रोग में चन्द्रांशु रस का सेवन अवश्य करवाना चाहिए यह गर्भाशय की मांसपेशियों को दृढ़ता प्रदान करके रोग को नष्ट करता है दो-दो वटिकाएं प्रात: सायं दूध के साथ देने से लाभ होता है।
सहायक औषधियां प्रदरान्तक रस, अशोकारिष्ट, लोघ्रासव, लोघ्रामलकी (स्वानुभूत) का प्रयोग भी करवाना चाहिए। चिकित्सा कालवधि एक मण्डल।
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श्वेत प्रदर में लाभकारी है चन्द्रांशु रस का सेवन
चन्द्रांशु रस श्वेतप्रदर के लिए भी एक प्रभावी औषधि है एक गोली प्रातः सायं पके केले में रखकर खिला दें, एक सप्ताह में लाभ परिलक्षित होता है। पूर्ण लाभ के लिए तीन सप्ताह तक औषधि का प्रयोग करवाऐं ।
सहायक औषधियों में प्रदरारि रस, वसन्त कुसुमाकर रस, सुपारीपाक, अशोकारिष्ट इत्यादि का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
स्तनों को उन्नत आकार में लाने के लिए चन्द्रांशु रस के सेवन से लाभ
कुछ कन्याओं को 16 वर्ष की होने पर भी स्फिग स्तन इत्यादि में पर्याप्त वृद्धि नहीं होती जिससे उनमें हीन भावना आ जाती है, ऐसी स्थिति में चन्द्रांशुरस एक गोली प्रात: सायं दूध से देने से एक मास में ही सुधार होने लगता है पूर्ण लाभ के लिए तीन मास तक औषधि सेवन आवश्यक होता है।
सहायक औषधियों में पुष्पधन्वा रस, कन्यालोहादिवटी, ओजस्कर चूर्ण, (स्वानुभूत) चन्द्र प्रभावटी, ताप्यादि लोह का प्रयोग भी श्रेयस्कर होता है।
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चन्द्रांशु रस के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ : Chandranshu Ras Side Effects in Hindi
- चन्द्रांशु रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- चन्द्रांशु रस एक सौम्य योग है जिसके सेवन से किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती परन्तु इसके सभी घटक खनिज धातुओं पर आधारित है। अतः रस सेवन और धातुओं की भस्मों के सेवन काल में अपनाए जाने वाले सभी पूर्वोपाय इसमें भी अवश्य अपनाए जाने चाहिएं।
- चन्द्रांशु रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
चन्द्रांशु रस का मूल्य : Chandranshu Ras Price
- Baidyanath Chandranshu Ras 40 tab – Rs 105
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