Last Updated on October 27, 2021 by admin
कोलेस्ट्रॉल कम करनेवाले भोज्य पदार्थ :
कोलेस्ट्रॉल पीले रंगीय का वसीय पदार्थ होता है जो पित्त रस का प्रधान घटक होता है। यह एक तरह का कवच होता है जो तंत्रिकाओं और सेक्स हारमोंस प्रमुखतः एस्ट्रोजन और एंड्रोजन में पाया जाता है। यह वसा के संवहन, प्रतिरक्षा प्रणाली का नियमन, लाल रक्त वाहिकाओं की सुरक्षा और शरीर की मांसपेशियों की झिल्ली की सुरक्षा जैसे काम करता है।
शरीर में पाया जानेवाला अधिकांश कोलेस्ट्रॉल पित्ताशय में बनता है। इसके अलावा करीब 20 से 30 प्रतिशत कोलेस्ट्राल हमारे भोजन से आता है। कुछ कोलेस्ट्राल आंतों के मार्ग में भी पित्त के रूप में स्रावित होता है और भोजन से प्राप्त कोलेस्ट्रॉल में मिल जाता है। शरीर में लिए गए कोलेस्ट्राल की 40 से 50 प्रतिशत मात्रा ही अवशोषित की जाती है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल कुछ प्रोटीन्स, लिपोप्रोटीन से जुड़ा रहता है। जो रक्त के साथ आकर्षण का भाव रखते हैं और लिपिड कहलाते हैं। लिपो प्रोटीन दो तरह के होते हैं। एक कम घनत्व का अर्थात एलडीएल और दूसरा अधिक घनत्व का अर्था एचडीएल। एलडीएल शरीर के लिए हानिकारक होता है जो कि रक्त वाहिकाओं में जमा हो जाता है।
शरीर में संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल की तुलना में एलडीएल की मात्रा का अनुपात जितना अधिक होगा, धमनियों में रक्त प्रवाह रुकने और हृदयाघात की आशंका उतनी ही ज्यादा रहेगी। दूसरी एचडीएल धमनियों में से कोलेस्ट्रॉल के जमाव को दूर करने का काम करता है और हृदयाघात की आशंका को कम करता है। कुछ भोज्य पदार्थ हानिकारक एलडीएल की मात्रा को घटा सकते हैं और एचडीएल को बढ़ा सकते हैं। साथ ही ये एलडीएल के आक्सीकरण को भी रोक सकते हैं, जिसके कारण एलडीएल अधिक हानिकारक हो जाता है। दूसरी ओर कुछ पदार्थ जैसे जई आंतों के मार्ग में पित्त रस के प्रवाह को कम करती है जो कि कोलेस्ट्राल में बदलता है। भोजन जो एंटी आक्सीडेंट्स होते हैं, वे भी एलडीएल को आक्सीकृत होने और अधिक हानि पहुंचाने से बचाते हैं।
औषधियों के क्षेत्र में काम करनेवाले विस्किोसन विश्वविद्यालय के कृषि विभाग द्वारा किए गए अध्ययन के निष्कर्ष से यह सामने आया कि कुछ भोज्य पदार्थों में ट्रोकोट्रिनाल नामक पदार्थ होता है जो पित्ताशय में कोलेस्ट्राल के निर्माण को बाधित करता है। जिन कोशिकाओं को कोलेस्ट्राल की आवश्यकता होती हैं, वे इसे रक्त से अवशोषित कर लेती हैं, जिससे रक्त में कोलेस्ट्राल का स्तर घट जाता है। कुछ भोज्य पदार्थ ऐसे रसायन उत्पन्न करते हैं जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को रोकते हैं। कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम के लिए दी जाने वाली दवा मेवाकोर भी यही काम करती है।
भोजन जो कोलेस्ट्रॉल को घटाते हैं :
बादाम, सेब, आडू, सूखी हुई फलियां, गाजर, खड़ा धनिया, मेथीदाना, लहसुन, अंगूर, अंगूर के बीजों का तेल, इसबगोल, जई, जैतून का तेल, प्याज, सूरजमुखी का तेल, सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज और अखरोट
1-बादाम कोलेस्ट्रॉल में –
बादाम जो मेवों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, बहुत पौष्टिक होता है। इसमें मोनो सैचुरेटेड वसा पाया जाता है जिससे कोलेस्ट्रॉल घटता है। एक अध्ययन में डा. जीन स्पिलर ने ऐसे पुरुषों और स्त्रियों को जिनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल का प्रतिशत ज्यादा (करीब 6.24) था, तीन से नौ सप्ताह के लिए रोज़ 100 ग्राम बादाम खिलाए। दूसरे समूह को इतनी ही मात्रा में पनीर या जैतून के तेल से मिलने वाली वसा को दिया गया। शोध में यह देखा गया कि बादाम खानेवाले समूह का कोलेस्ट्रॉल दूसरे समूह की अपेक्षा 10 से 15 प्रतिशत तक कम हुआ था। बादाम और जैतून का तेल लगभग एक सा प्रभाव रखते हैं और इनमें उपस्थित पदार्थ कोलेस्ट्रॉल पर एक सा प्रभाव डालते हैं।
2-सेब कोलेस्ट्रॉल में –
सेब में पैक्टिन नामक रेशेदार पदार्थ होता है जो कोलेस्ट्राल को कम कर सकता है। हाल ही में किए गए शोध में फ्रेंच वैज्ञानिक ने मध्यम आयु वर्ग के कुछ पुरुषों और स्त्रियों को एक महीने के लिए उनके सामान्य भोजन के साथ दो या तीन सेब रोज़ दिए। यह देखा गया कि उनमें एलडीएल कोलेस्ट्राल की मात्रा 80 प्रतिशत तक घट गई जबकि एचडीएल की मात्रा बढ़ गई। मज़े की बात यह रही कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में सेब के सेवन से अधिक लाभ मिला। एक महिला का कोलेस्ट्राल 30 प्रतिशत घट गया।
दुसरे अध्ययन में सेन्ट्रल वाशिंगटन विश्वविद्यालय के डेविड गी ने जांच की कि सेब का रस निकालने की प्रक्रिया में सेब के रेशे खत्म हो जाते हैं। उन्होंने सेब के रेशों का इस्तेमाल बिस्किट बनाने में किया। जब 26 ऐसे व्यक्तियों ने जिनके रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा अधिक थी, सामान्य प्लेसिबो बिस्किट के स्थान पर सेब के रेशोंवाले तीन बिस्किट्स का नियमित सेवन किया तो उनका कोलेस्ट्राल 7 प्रतिशत कम हो गया। डेविड के अनुसार एक बिस्किट में 15 ग्राम रेशे मौजूद थे जो कि तीन या चार सेब में उपस्थित रेशों के बराबर हैं। अधिकतर लोग सेब में उपस्थित पैक्टिन को ही कोलेस्ट्राल घटाने के लिए उत्तरदायी मानते हैं मगर इसमें कुछ और भी पदार्थ हैं जो कोलेस्ट्राल को घटाते हैं, ऐसा फिलाडेल्फिया के विस्टर संस्थान के डा. डेविड क्रिचवेस्की का मानना है।
3-आडू कोलेस्ट्रॉल में –
आडू भी कोलेस्ट्राल को कम करने में बहुत उपयोगी है। इसमें भी जैतून के तेल और बादाम के ही सामान पदार्थ होते हैं जो कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक होते हैं। इसरायल में वैज्ञानिकों ने 12 व्यक्तियों पर किए गए अध्ययन में यह पाया कि यदि व्यक्ति बादाम, जैतून के तेल और आडू का तीन महीनों तक लगातार सेवन करें तो एलडीएल की मात्रा घटती है। आडू इसमें उपस्थित लाभदायक वसा के कारण कोलेस्ट्राल कम करने में सहायता करता है। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के वेस्टर्न मेडिकल संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञों ने भी अपने शोधों में यह पाया कि कोलेस्ट्राल कम करने के लिए कम वसा युक्त पदार्थों की तुलना में एक या डेढ़ आडू खाना अधिक उपयोगी होता है।
इस परीक्षण में पंद्रह महिलाओं ने तीन सप्ताह तक अधिक कार्बोहैडेट्स और कम वसा वाला भोजन लिया (20 प्रतिशत वसा) और अगले तीन सप्ताह तक अधिक वसामुक्त भोजन (37 प्रतिशत वसा) के साथ आडू का सेवन किया। आडू को सलाद के रूप में या ब्रेड पर लगाकर खाया गया। परीक्षण के अंत में देखा गया कि पहली स्थिति में कोलेस्ट्राल 4.9 प्रतिशत घटा जबकि दूसरे परीक्षण में यह मात्रा 8.2 प्रतिशत रही। हालांकि कम वसायुक्त भोजन भी एचडीएल की मात्रा को लगभग 14 प्रतिशत तक बढ़ाते हैं मगर मे एलडीएल को कम नहीं करते। दूसरी ओर आडू केवल एलडीएल पर ही आक्रमण करता है। परीक्षकों ने यह भी देखा कि आडू धमनियों में रक्त के आक्सीकरण की क्रिया भी रोकता है जो कोलेस्ट्राल के हानिकारक रूप धारण करने का प्रमुख कारण होती है।
4-सूखी हुई फलियां कोलेस्ट्रॉल में –
सूखी हुई फलियां कोलेस्ट्रॉल कम करने की दिशा में तीव्रता से काम करती हैं। अध्ययन बताते हैं कि वे लगातार कोलेस्ट्राल कम करने की दिशा में काम करते रहते हैं। केन्टकी कॉलेज आफ मेडिसिन के एमडी जेम्स एंडरसन के अनुसार यदि रोज 170 ग्राम पकी हुई फलियां खाई जाएं तो इनसे एलडीएल की मात्रा में 20 प्रतिशत तक कमी आती है। यह परिणाम तीन सप्ताह में सामने आता है। इसके लिए सभी प्रकार की फलियां उपयोगी होती हैं। 170 ग्राम सूखे हुए बीज या 340 ग्राम भुने हुए बीज खाने से भी एच डी एल का प्रतिशत बढ़ता है मगर इसके लिए साल-दो साल का समय लगता है। एक शोध के अनुसार फलियां दोनों ही तरह के कोलेस्ट्राल के अनुपात में सुधार करती है। डॉ. एंडरसन के अनुसार अच्छे परिणामों के लिए 85 ग्राम फलियां दोपहर और रात के खाने में शामिल करनी चाहिए। फलियों में कम से कम छह ऐसे पदार्थ होते हैं जो कोलेस्ट्राल को कम करते हैं। इनमें से घुलनशील रेशे सबसे महत्वपूर्ण हैं।
5-गाजर कोलेस्ट्रॉल में –
यह सब्ज़ी एलडीएल को कम करने और एच डी एल को बढ़ाने में मदद करती है। डॉ. फिलिप फैफर और पीटर हागलैंड, जो अमेरिका के कृषि विभाग के पूर्वी क्षेत्र में शोध वैज्ञानिक हैं, के अनुसार गाजर में कोलेस्ट्रॉल प्रतिरोधी घुलनशील रेशों की मात्रा बहुत अधिक होती है जिसमें पैक्टिन भी शामिल है।
डॉ. फैफर के अनुसार गाजर की थोड़ी मात्रा रोज लेने से उसमें उपस्थित रेशे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को 10 से 20 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं जिसके कारण कई लोगों के रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा अधिक से घटकर सामान्य पर आ सकती है। जब उन्होंने रोज़ गाजर खाना शुरू किया तो उनके रक्त में भी कोलेस्ट्राल की मात्रा 20 प्रतिशत तक घट गई।
कनाडा में हुए एक परीक्षण से यह सिद्ध हुआ कि जो लोग दो या ढाई गाजर रोज खाते हैं। उनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 11 प्रतिशत तक कम हुई। जर्मनी में हुए अध्ययन के अनुसार गाजर में उपस्थित बीटा केरोटिन भी एचडीएल को बढ़ाता है। गाजर को चाहे कच्चा खाया जाए, पकाया जाए, ठंडा किया जाए या जूस बनाकर पीया जाए, इसके गुण बने रहते हैं।
6- खड़ा धनिया कोलेस्ट्रॉल में –
खड़ा धनिया भारत में उपयोग में आनेवाले मसालों में प्रचलित मसाला है। बीजों को पकने के बाद सुखाया जाता है। इनमें मसालेदार स्वाद और तीव्र गंध होती है। इनमें भी कोलेस्ट्राल को कम करने के गुण होते हैं। इसलिए रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने पर इनका सेवन किया जाना उपयोगी है। दो चम्मच खडा धनिया एक गिलास पानी में उबालना चाहिए। इसे छानकर रखना चाहिए। इस काढ़े को दिन में दो बार लेने से कुछ ही महीनों में कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।
7-मेथीदाना कोलेस्ट्रॉल में –
सारी दुनिया के वैज्ञानिक मेथीदाने के औषधीय गुणों का पता लगाने में जुटे हैं। सॉल्ट लेक सिटी अमेरिका के फामटोथेरेपी रिसर्च सेंटर के डैनियल माऊरे का विश्वास है कि मेथीदाना कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। ये रक्त में शर्करा की मात्रा को भी कम करते हैं (यदि रोगी ने इन्सुलिन लेना शुरू न किया हो)।
भारतीय शोधकर्ताओं ने भी मेथीदाने के औषधीय गुणों पर खासा अध्ययन किया है। राष्ट्रीय पोषाहार संस्थान हैदराबाद में किए गए एक अध्ययन में मधुमेह के रोगियों को मेथीदाना क्रमशः 25 से 100 ग्राम की मात्रा में नियमित रूप से दिया गया। उनकी रक्त शर्करा की मात्रा को कम करने के साथ ही मेथीदाने से रक्त में कोलेस्ट्राल और ट्राई ग्लिसराइड की मात्रा भी कम हुई। मेथीदाने को काढ़े या चाय के रूप में लिया जा सकता है।
जेरुसलेम के हिब्रू विश्वविद्यालय के इजरायली वैज्ञानिकों ने बताया कि मेथीदाना मधुमेह के रोगियों और सामान्य मनुष्यों दोनों ही में रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम कर सकता है। उन्होंने मेथीदाने में एक सक्रिय घटक की खोज की जिसे गैलेक्टोमेनन कहा जाता है। यह जैल के समान घुलनशील रेशा होता है। जानवरों पर किए गए अध्ययन से यह जेल पित्त कणों के साथ जुड़ जाता है और कोलेस्ट्रॉल कम करता है, यह क्रिया ठीक वैसी ही होती है जैसे कोलेस्ट्रॉल कम करनेवाली दवाओं द्वारा की जाती है।
8-लहसुन कोलेस्ट्रॉल में –
लहसुन भी कोलेस्ट्रॉल कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लहसुन का नियमित उपयोग कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की अवस्था में लाभकारी पाया गया है। मनुष्यों पर किए गए करीब 20 शोधों के नतीजों के अनुसार ताज़ा लहसुन या लहसुनयुक्त खाद्य पदार्थ कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं। राबर्ट लिन पीएचडी, जो लहसुन के स्वास्थ्यवर्धक गुणों पर हुई संगोष्टी के अध्यक्ष थे, के अनुसार दिन में लहसुन की तीन कलियाँ खाने से कोलेस्ट्राल की मात्रा में 10 प्रतिशत तक की कमी होती है और यह मात्रा 15 प्रतिशत भी हो सकती है। इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि लहसुन कच्चा खाया जा रहा है या पकाकर। यह दोनों ही तरीकों से उपयोगी होता है। लहसुन में छह ऐसे पदार्थों की उपस्थिति को पहचाना गया है जो पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल के संश्लेषण को रोकते हैं।
हाल ही में एलटीएम मेडिकल कॉलेज में किए गए परीक्षण में 50 लोगों ने दो महीने तक कच्चे लहसुन की तीन कलियां दो महीने तक रोज खाई। उनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 5.54 से 4.68 हो गई अर्थात 15 प्रतिशत तक कम हुई। उनके रक्त में थक्का जमानेवाले पदार्थों में भी कमी आई। दूसरे अध्ययन में जो बेस्टायर कॉलेज सियाटल में किया गया, लहसुन की तीन कलियों से निकाले गए तेल के नियमित सेवन से एक महीने में कोलेस्ट्रॉल 7 प्रतिशत तक घट गया। इसके साथ ही एचडीएल की मात्रा 23 प्रतिशत तक बढ़ गई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोध वैज्ञानिक डा. क्रिस्टोफर सिलागाई और डा. एंड्रयू नील ने भी कोलेस्ट्रेल कम करने की लहसुन की क्षमता पर प्रयोग किए। उन्होंने देखा कि एक महीने तक लगातार लहसुन खाने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 12 प्रतिशत तक घटती है। अच्छे परिणामों के लिए लहसुन का प्रयोग तीन महीने तक करना चाहिए। इसके लिए 600 से 900 मिग्रा. लहसुन का चूर्ण नियमित रूप से लेना तय किया गया। विभिन्न परीक्षणों में लहसुन की कलियां, चूर्ण, तेल और अर्क सामान रूप से इस्तेमाल किया गया।
9-अंगूर कोलेस्ट्रॉल में –
अंगूर के गूदे में एक विशेष तरह का घुलनशील रेशा समाहित होता है जिसे गैलेक्टोरोनिक अम्ल कहा जाता है, जो रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करने में मदद करता है। यह रक्त वाहिकाओं में जमे पदार्थों को भी दूर करता है जिससे रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से होता है। डॉ. जेम्स सेरडा जो लोरिडा विश्वविद्यालय में गेस्ट्रो एंटेरोलोजी के प्राध्यापक हैं, द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला कि यदि 340 ग्राम अंगूर नियमित रूप से खाए जाए तो उनसे मिलनेवाले रेशे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को 10 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। यह जानना जरुरी है कि अंगूर के रस में रेशे नहीं होते अतः इसका कोलेस्ट्राल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। सूअर जिनका परिसंचरण तंत्र और हृदय मानव के सामान ही काम करता है, पर किए गए एक शोध से पता चला कि अंगूर के नियमित उपयोग से प्रतिरोधी क्षमता बढ़ी, धमनियों और महाधमनी के संकुचन में कमी आई। इसमें उपस्थित रेशों ने धमनियों में जमा पदार्थ को साफ़ करने का काम किया।
10-अंगूर के बीजों का तेल कोलेस्ट्रॉल में –
अंगूर के बीजों का तेल जो सामान्य ड्रेसिंग के लिए इस्तेमाल होता है, एचडीएल की मात्रा बढ़ाने के लिए उपयोगी पदार्थ है। डेविड टी नेश जो साइकास के न्यूयार्क स्वास्थ्य विज्ञान अनुसन्धान केंद्र में हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, 23 महिलाओं और पुरुषों को जिनके रक्त में एच डी एल की मात्रा 1.17 थी, चार सप्ताह तक अन्य कम वसायुक्त आहार के साथ दो चम्मच अंगूर का तेल नियमित रूप से दिया। उनके रक्त में एच डी एल की मात्रा 14 प्रतिशत की दर से बढ़ी। डा. नैश के अनुसार कुछ लोगों में इसका अधिक असर नहीं हुआ मगर अधिकांश लोगों में यह मात्रा बढ़ी। ऐसे लोग जिनके रक्त में एच डी एल अधिक मात्रा में था, उन पर इसका असर नहीं हुआ।
11-इसबगोल कोलेस्ट्रॉल में –
इसबगोल के बीजों में कोलेस्ट्रॉल घटाने की शक्ति होती है। कोलेस्ट्रॉल की बढ़ी हुई मात्रा के स्थिति में इनका उपयोग लाभ देता है। इस उद्देश्य के लिए इन बीजों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इस तेल में 50 प्रतिशत लिनोलेइक अम्ल होता है जो कि सूरजमुखी के तेल से भी अधिक गुणकारी होता है। इस तेल का एक चम्मच दिन में दो बार लेने से लाभ मिलता है।
12-जई कोलेस्ट्रॉल में –
जई खाने से भी कोलेस्ट्रॉल कम होता है। डच वैज्ञानिकों ने जई को कोलेस्ट्रॉल घटानेवाले गुणों की खोज चार दशक पहले ही कर ली थी। अब इसे हाल ही में हुए 20 से 25 शोधों द्वारा पुष्ट किया गया है, यह कहना है माइकल सी डेविडसन, एम डी का जो शिकागो के सेंट ल्यूक मेडिकल संस्थान में हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। डॉ. डेविडसन ने हाल ही के एक अध्ययन में देखा कि मध्यम आकार का कटोरा भर जई की भूसी पकाकर खाने या जई के आटे को खाने से कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है। उनके अनुसार किसी व्यक्ति को दिन भर में अधिक से अधिक 55 ग्राम जई की भूसी खाना चाहिए। इससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में 16 प्रतिशत तक कमी आती है। उनमें से कई लोगों का कोलेस्ट्रॉल 10 प्रतिशत तक घटता है। मगर जई की मात्रा बढ़ाने से कोलेस्ट्रॉल कम होने का प्रतिशत नहीं बढ़ता है। जई का आटा भी यही काम करता है मगर इसे चोकर की तुलना में दोगुनी मात्रा में लेना पड़ता है।
13-जैतून का तेल कोलेस्ट्रॉल में –
जैतून के तेल में मोनो सेचुरेटेड वसा अधिक मात्रा में होने से यह कोलेस्ट्रॉल कम करने और धमनियों को सुरक्षित रखने की दृष्टि से अच्छा भोजन है। यह एचडीएल को घटाए बिना एलडीएल को कम करता है। यह एलडीएल को उन विषैले पदार्थों में बदलने से भी बचाता है जिनके कारण धमनियां अवरुद्ध हो जाती हैं और हृदयाघात का खतरा रहता है। एक अध्ययन में यह भी सामने आया है कि जैतून का तेल अन्य कम वसायुक्त भोज्य पदार्थों से अच्छा है। इस अध्ययन में व्यक्तियों को कम वसायुक्त भोजन लेने और कुछ दिन जैतून का तेल युक्त भोजन लेने को कहा गया। यह देखा गया कि जैतून का तेल आहार में शामिल करने से एलडीएल की मात्रा कम वसायुक्त भोजन की तुलना में तेज़ी से घटी।
यह भी देखा गया कि एचडीएल की मात्रा भी जैतून के तेल के प्रयोग से बढ़ी मगर कम वसायुक्त भोजन की स्थिति में एचडीएल की मात्रा कम हुई। एक अन्य शोध में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डॉ. डैनियल स्टेनबर्ग ने देखा कि जैतून का तेल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के आक्सीकरण को चमत्कारिक रूप से कम करता है। इस अध्ययन में डॉ. स्टेनबर्ग और उनके सहयोगियों ने स्वस्थ लोगों के एक समूह को उनके कुल आहार में शामिल कैलोरीज का 40 प्रतिशत हिस्सा मोनोसेचुरेटेड वसा के रूप में दिया जो कि तीन चम्मच जैतून के तेल के बराबर था। दूसरों को सूरजमुखी का तेल दिया गया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने दोनों समूहों के एलडीएल का परीक्षण किया। उन्होंने देखा कि मोनो सेचुरेटेड वसा लेनेवालों के समूह में एलडीएल का आक्सीकरण केवल 50 प्रतिशत ही कम हुआ और उसमें धमनियों को नुकसान पहुंचाने की ताकत बनी रही। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि केवल मोनो सेचुरेटड वसा लेनेवाले लोगों के लिए जैतून का तेल बेहतर चुनाव हो सकता है।
14- प्याज कोलेस्ट्रॉल में –
प्याज से एलडीएल घटता है और एचडीएल बढ़ता है। विक्टर ग्यूरेविच जो हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में औषधि विज्ञान के प्राध्यापक और हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, के अनुसार कच्चा प्याज खाने से एचडीएल तेजी से बढ़ता है। उनके अनुसार हृदय रोगियों में कोलेस्ट्राल बढ़े हुए लोगों को आधा कच्चा प्याज या इसका रस देने से एचडीएल की मात्रा में 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। उन्होंने लोक औषधियों में प्याज के प्रचलन को देखते हुए अपने अस्पताल में यह प्रयोग किया था। यह प्रयोग सफल रहा अतः अब वे अपने मरीजों को प्याज खाने की सलाह देते हैं। वे कहते हैं कि प्याज को जितना पकाया जाएगा, उसके गुण उतने ही कम होते जाएंगे। प्याज चिकित्सा ने करीब 70 प्रतिशत मरीजों को लाभ पहुंचाया। यदि किसी व्यक्ति को आधा कच्चा प्याज खाने में दिक्कत हो तो यह मात्रा कम भी की जा सकती है। प्याज की थोड़ी मात्रा भी एचडीएल बढ़ाने में मदद कर सकती है।
15- सूरजमुखी का तेल कोलेस्ट्रॉल में –
सूरजमुखी के तेल में एलडीएल को घटाने के गुण होते हैं। इसमें लिनोलेइक अम्ल की मात्रा बहुत अधिक होती है, औसतन 72 प्रतिशत। यह सबसे अधिक बहुअसंतृप्त रसायनों में से एक है। लिनिलेइक अम्ल के औषधीय गुणों का पता सबसे पहले 1960 में कुछ शोध वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित चिकित्सा रिपोर्ट के और जर्नल्स के द्वारा लगा। इनसे यह पता चला कि यह अम्ल प्रयोगशाला में मानवों और जानवरों के रक्त पर किए गए परीक्षणों में कोलेस्ट्राल को घटाने में उपयोगी साबित हुआ है। इसके इस उपयोग के चलते ही बीते कुछ वर्षों में सूरजमुखी का तेल भोज्य पदार्थ के रूप में बहुत लोकप्रिय हुआ है।
16- सोयाबीन कोलेस्ट्रॉल में –
सोयाबीन भी कोलेस्ट्रॉल कम करने हेतु महत्वपूर्ण पदार्थ है। यह गुण इसमें बहुतायत में उपस्थित लेसिथिन के कारण आते हैं। लेसिथिन एक वसीय पदार्थ है जो फास्फो लिपिड्स का महत्वपूर्ण भाग होते हैं। यह पदार्थ बढ़े हुए कोलेस्ट्राल को कम करने में उपयोगी है। इसमें कोलेस्ट्राल को छोटे-छोटे कणों में बाँटने की क्षमता होती है, जिन्हें शरीर के द्वारा आसानी से निराकरित किया जा सकता है। सोयाबीन इसमें उपस्थित लेसिथिन के कारण
कोलेस्ट्राल घटाने हेतु महत्वपूर्ण भोज्य पदार्थ है। लेसिथिन का सेवन पर्याप्त मात्रा में करने पर कोलेस्ट्रॉल धमनियों और शिराओं की दीवारों पर जमा होकर उन्हें मोटा नहीं होने देता। यह कोलेस्ट्रॉल के विघटन से बननेवाले पित्त रस के संश्लेषण की गति को बढ़ाता है। जिससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती जाती है। सोयाबीन के अलावा लेसिथिन के अन्य स्त्रोत हैं- तेल, साबुत अनाज और ताज़ा बिना पाश्चरीकृत दूध।
17-सूरजमुखी के बीज कोलेस्ट्रॉल में –
सूरजमुखी के बीज खाने योग्य बीजों में सर्वाधिक प्रचलित हैं। ये सूरजमुखी के फूल के अन्दर धंसे रहते हैं। इनमें प्रोटीन, लौह तत्व और फॉस्फोरस बहुतायत में पाया जाता है, साथ ही ये विटामिन बी के भी अच्छे स्रोत होते हैं। सूरजमुखी के बीज कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। इन बीजों में लिनोलेइक अम्ल भारी मात्रा में पाया जाता है। यह अम्ल धमनियों और शिराओंकी दीवारों पर जमे कोलेस्ट्रॉल को खत्म करता है। अतः मक्खन और क्रीम के स्थान पर सूरजमुखी के बीजों के वसा का उपयोग करने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है, साथ ही स्वास्थ्य सुधरता है।
18- अखरोट कोलेस्ट्रॉल में –
अखरोट भी कोलेस्ट्रॉल कम करने में बहुत ही उपयोगी है। हाल ही में लो मालिंडा विश्वविद्यालय की डॉ. जोन सोबेट द्वारा किए गए अध्ययन में भी यह बात सामने आई। उन्होंने अपना अध्ययन उन व्यक्तियों पर किया जिनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सामान्य थी और वे सभी कम वसायुक्त भोजन ले रहे थे। उन्होंने उन व्यक्तियों के नियमित आहार में ली जा रही 1800 कैलोरी के लिए करीब 55 ग्राम अखरोट शामिल किए और ऐसा महीने भर तक किया गया। जब उनके आहार में अखरोट शामिल नहीं किए गए थे तब उनके कोलेस्ट्रॉल में 6 प्रतिशत की कमी आती थी मगर अखरोट लेने के बाद यह कमी करीब 18 प्रतिशत हुई। औसत कोलेस्ट्रॉल .57 प्वाइंट्स से कम हुआ। इस तरह यह सामने आया कि कम वसायुक्त भोजन में अखरोट शामिल करने पर वे कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करते हैं।