कांटेक्ट लेंस क्या है ? इसके प्रकार, फायदे और नुकसान – Contact Lens in Hindi

Last Updated on November 20, 2020 by admin

आँखों के विषय में लेंस शब्द का प्रयोग कई बार होता है। लेंसेस कई प्रकार के होते हैं। जैसे मोतियाबिंद शस्त्रक्रिया में लगनेवाले लेंस, चश्मे के लेंस, आँखें चेक करने के लिए लगनेवाले लेंस और कांटेक्ट लेंस।

कांटेक्ट लेंस क्या होते है ? (What are Contact Lenses in Hindi)

कांटेक्ट लेंस सॉसर के आकार के गोल, बहुत ही पतली डिस्क की तरह होते हैं, जो सीधे आँख की पुतली पर लगाए जाते हैं। उनका आकार, लंबाई, चौड़ाई आँखों के काली पुतली से थोड़ा सा बड़ा होता है।

कांटेक्ट लेंस कितने प्रकार के होते है ? (Types of Contact Lenses in Hindi)

कांटेक्ट लेंस अलग-अलग प्रकार के होते हैं। इसे निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है।

A) कांटेक्ट लेंस बनाने में उपयोग में लायी गई सामग्री पर निर्धारित हार्ड लेंसेस और सॉफ्ट लेंसेस :

1) हार्ड लेंसेस (Rigid Gas Permeable Lenses) :

यह लेंसेस एक प्लास्टिक जैसे मटेरियल से बनाए जाते हैं (PMMA), जिसकी वजह से यह थोड़े हार्ड होते हैं। बहुत पहले इसका मटेरियल ऐसा था कि उसमें से पुतली को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता था। इसलिए यह लेंसेस ज़्यादा दिन तक नहीं चले। अब जो हार्ड लेंसेस बनते हैं उसका मटेरियल ऐसा है कि थोड़ा ऑक्सीजन पुतली को मिल सकता है। जिनका आँखों का नंबर बड़ा होता है, जिसके सॉफ्ट लेंसेस मॅन्युफॅक्चर नहीं होते ऐसे लोगों को RGP Lenses उपयोग में आते हैं। यह लेंसेस 1 साल से ज़्यादा चलते हैं और जल्दी खराब नहीं होते। इन लेंसेस से आनेवाली नजर ज़्यादा शार्प होती है। मगर सॉफ्ट लेंसेस की तुलना में इसका comfort कम होता है।

2) सॉफ्ट लेंसेस :

यह इस तरह के मटेरियल से बने होते हैं, जिसकी वजह से इनकी कन्सिस्टन्सी बहुत सॉफ्ट होती है और यह फ्लेक्जिबल होते हैं। (Hydrogel & Silicon Hydrogel) इन लेंसेस में से पुतली को बहुत सारा ऑक्सीजन मिल पाता है, जिस वजह से इनका comfort बहुत ज़्यादा होता है।

B) पहनने के दिनों के अनुसार वर्गीकरण :

  • Daily wear : सुबह दिनभर पहनकर फिर रात को निकालकर वापस सुबह पहननेवाले रोज के लेंसेस।
  • Extended wear : इन लेंसेस का मटेरियल कुछ ऐसा होता है कि जिस वजह से यह लेंसेस 6 से 30 दिनों तक बिना रात को निकाल पहने जा सकते हैं।

C) नाकाम होने के दिनों के अनुसार वर्गीकरण (Time of Disposal)

  • Daily Disposable : सुबह पहने लेंस रात को निकालकर सीधा फेंक देने हैं।
  • Biweekly Disposable : 2 हफ्ते के बाद जिसे फेंक देना है, मगर हर रात रोज निकालकर सोना है।
  • Monthly Disposable : महीने के बाद जो नाकाम हो जाते हैं।
  • Quarterly Disposable : 3 महीने बाद जो नाकाम हो जाते हैं।
  • Yearly Disposable : 1 साल बाद जो नाकाम हो जाते हैं।

D) कांटेक्ट लेंस के डिज़ाइन के अनुसार वर्गीकरण :

  • टोरिक लेंसेस (Toric Lenses) : जिनका नंबर Cylindrical होता है और वह 1 या उससे ज़्यादा होता है, ऐसे लोगों को यह लेंसेस पहनने पड़ते हैं।
  • Spherical Lenses : Spherical नंबर के लिए।
  • Multifocal Lenses : जिन्हें नज़दीक का और दूर का दोनों नंबर होते हैं।
  • कलर लेंसेस : यह लेंसेस जिन्हें नंबर हैं और जिन्हें नंबर नहीं हैं ऐसे दोनों लोग पहन सकते हैं। यह कॉस्मेटिक हेतु के लिए होते हैं। यह अलग-अलग रंगों में उपलब्ध होते हैं, जैसे बैंगनी, ग्रे, हरा, नीला, ब्राउन इत्यादि और हर एक कलर में भी अलग-अलग शेड्ज़ मिलते हैं। फिल्मों में इस तरह के लेंस इस्तेमाल होते हैं।

इसके अलावा कुछ कांटेक्ट लेंसेस विशेष रूप से निर्मित होते हैं। जिनका नंबर बहुत ही बड़ा होता है या जिनकी आँखों को keratoconus जैसी बीमारी होती है उनके लिए खास तौर पर उनकी आँखों का नाप लेकर यह लेंसेस बनाए जाते हैं। इसके अलावा Rose K, Scleral Lenses ये भी इसके प्रकार हैं।

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कांटेक्ट लेंस के उपयोग (Uses of Contact Lenses in Hindi)

1) जिन्हें चश्मे का नंबर है और चश्मा पहनना अच्छा नहीं लगता, ऐसे लोग चश्मे की जगह पर कांटेक्ट लेंस उपयोग में ला सकते हैं।

2) कलर लेंसेस : कॉस्मेटिक हेतु से कुछ लोग पार्टी या फंक्शन में अच्छा या कुछ अलग दिखने के लिए पहन सकते हैं।

3) फिल्मों के कलाकार फिल्म के ज़रूरत के अनुसार कांटेक्ट लेंस इस्तेमाल करते हैं।

4) BCL (Bandage Contact Lens) करके एक कांटेक्ट लेंस आती है, जो आँखों की पुतली को कोई बड़ी जख्म हुई हो, पुतली पर किसी वजह से टाँके लगे हों या ऑपरेशन के बाद पुतली पर कुछ सूजन आई हो तो होनेवाली चुभन को टालने के लिए कांटेक्ट लेंस उपयोग में आते हैं।

5) Keratoconus नामक पुतली की बीमारी में पुतली कोन जैसे होने लगती है, ऐसे में विशिष्ट प्रकार के कांटेक्ट लेंस होते हैं जिससे इस कोन को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।

6) कुछ कांटेक्ट लेंस ऐसे होते हैं, जिन्हें रातभर लगाकर रखा जाता है तो पुतली का आकार बदलकर नंबर में घटौती होती है और चश्मे का नंबर धीरे-धीरे निकाला जा सकता है।

7) किसी के आँख को अगर trauma, injury की वजह से पुतली सफेद हो गई है तो दोनों आँखें एक जैसी दिखें इसलिए सफेद पतली पर दूसरी आँख जैसी कलर का कांटेक्ट लेंस लगाकर सफेदी ढक जाए ऐसा किया जा सकता है।

8) चश्मे का नंबर पूरी तरह निकालनेवाली शस्त्रक्रियाओं में PRK करके एक पद्धति है, जिसके होने के बाद 2 से 3 दिन तक कांटेक्ट लेंस लगाया जाता है।

9) अगर किसी इन्फेक्शन की वजह से पुतली में छेद हुआ हो तो उसे एक मेडिकल ग्लू से सील करके ऊपर से कांटेक्ट लेंस लगाया जाता है।

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कांटेक्ट लेंस पहनने के फायदे क्या है ? (Benefits of Wearing Contact Lenses in Hindi)

कांटेक्ट लेंस पहनने के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं –

1) पूरा व्यू – कांटेक्ट लेंस से चश्मे से ज़्यादा व्यू आता है यानी चश्मे की फ्रेम की वजह से हमें बाएँ और दाएँ बाजू का view compromise होता है। कांटेक्ट लेंस पूरी तरह पुतली पर होने की वजह से 360 डिग्री पूरा व्यू आता है।

2) चोट से बचाव – खिलाड़ियों को चश्मा पहनकर खेलना इंजुरी को बुलावा दे सकता है, जो कांटेक्ट लेंस के साथ नहीं होता।

3) कोहरे में भी लाभदायक – बारिश में या फॉग में चश्मा पहनना मुश्किल हो सकता है, कांटेक्ट लेंस के साथ कोई दिक्कत नहीं आती।

4) चश्मे की दिक्कतों से छुटकारा – चश्मे का वज़न नाक और कान पर आता है, कांटेक्ट लेंस का वैसा नहीं है।

5) धूप में भी कारगर – चश्मे का नंबर हो तो धूप में गॉगल नहीं पहन सकते। कांटेक्ट लेंस लगाने पर ऊपर से गॉगल पहना जा सकता है।

6) चश्मे की फ्रेम हर ड्रेस पर मैच होगी, ऐसा नहीं होता। कांटेक्ट लेंस में ऐसा कोई सवाल नहीं रहता।

कांटेक्ट लेंस उपयोग के दौरान बरतनेवाली सावधानियाँ (Contact Lens Precautions in Hindi)

1) Daily wear कांटेक्ट लेंस रात को निकालकर ही सोना चाहिए, अन्यथा आँखों में इन्फेक्शन हो सकता है।

2) कांटेक्ट लेंस को आँखों में डालने से पहले और निकालने के बाद उसके साथ जो सोल्युशन होता है उससे अच्छे से आँखों के डॉक्टर ने जिस प्रकार बताया है उस प्रकार साफ करना चाहिए अन्यथा इन्फेक्शन हो सकता है।

3) साफ करते वक्त बहुत ज़्यादा रगड़ने से भी कांटेक्ट लेंस का नुकसान हो सकता है। वह फट सकता है।

4) सॉफ्ट लेंस को कभी भी सूखा यानी बिना कांटेक्ट लेंस सोल्युशन में भिगोए नहीं छोड़ना चाहिए वरना सूखकर लेंस टूट सकता है।

5) कांटेक्ट लेंस स्टोर और साफ करने के लिए कभी भी पानी का इस्तेमाल न करें। हमेशा कांटेक्ट लेंस सोल्युशन का ही इस्तेमाल करें।

6) लेंस केस हर ३ महीने के बाद फेंकनी चाहिए और जब तक उपयोग में है रोज अच्छे से साफ करनी चाहिए।

7) लेंस केस के ढक्कन, सोल्युशन के ढक्कन हमेशा अच्छे से बंद करें और उसके tip को हाथ ना लगाएँ।

कांटेक्ट लेंस पहनने के नुकसान (Side Effects of Wearing Contact Lenses in Hindi)

1) लेंस मटेरियल या सोल्युशन से एलर्जी : अगर एलर्जी के कुछ भी लक्षण जैसे आँखें लाल होना, खुजलाना, पानी आना महसूस हो तो तुरंत आँखों के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ये लक्षण इन्फेक्शन के भी हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर आपको अलग मटेरियल के लेंस या अलग प्रकार का लेंस सोल्युशन बदलकर दे सकते हैं।

2) इन्फेक्शन का खतरा : अगर लेंस और लेंस केस की हाइज़ीन को अच्छे से नहीं रखा तो इन्फेक्शन हो सकता है।

3) आँखों में सूखापन : बहुत सालों के इस्तेमाल से आँखें ड्राइ हो सकती हैं। इसके लिए डॉक्टर आपको विशिष्ट ड्रॉप्स लिखकर देंगे।

4) पुतली पर खरोंचें : डैमेज लेंस पहना या बहुत ही टाइट लेंस पहना या एक्सपायरी के बाद भी पहना तो पुतली पर खरोंचे आ सकती हैं। इस तरह के लक्षण दिखते हैं तो तो तुरंत अपने आँखों के डॉक्टर से मिलें।

अगर कांटेक्ट लेंस का हाइजीन अच्छे से रखा और डॉक्टर द्वारा बताई हुई सारी बातें अच्छे से फॉलो की तो जिन्हें चश्मा है लेकिन पहनना अच्छा नहीं लगता ऐसे लोगों के लिए कांटेक्ट लेंस पहनना सुरक्षित भी है और फायदेमंद भी।

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