Last Updated on July 22, 2019 by admin
घरेलू नुस्खे और उपाय :
1-शीत पित्त –
1. 20 ग्राम गाय के घी में 5 कालीमिर्च का चूर्ण बनाकर, मिलाकर प्रतिदिन सुबह ही खाने से शीतपित्त में आराम हो जाता है।
2. नीम के पत्ते 5-7 नग और एक आंवला पीस कर और घी मिलाकर प्रतिदिन खाने से विस्फोट, खुजली, कृमि, शीतपित्त, कोढ़ और कफनष्ट हो जाते हैं।
3. (अ) हरिद्राखंड 6-6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम भूखे पेट दें।
(ब) सारिवाद्यासव+खदिरासव 4-4 चम्मच बराबर मात्रा में पानी मिलाकर सुबहशाम भोजन के बाद दें।
(स) मंजिष्ठादि चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सोते वक्त दें। रोगी को भोजन में दूध, दही का प्रयोग एक बार बंद करवा देना चाहिए। गरम पानी से स्नान करना चाहिए।
2-एक्जीमा –
1. आरोग्यवर्धनी वटी 2 रत्ती, बंग भस्म 2 रत्ती, गंधक रसायन 2 रत्ती, त्रिफला चूर्ण एक माशा, मंजिष्ठादि चूर्ण एक माशा-सभी मिलाकर पुड़िया बना लें। एक-एक दिन में तीन बार जल के साथ सेवन करें।
2. त्रिफला गुगुल 2 गोली-कैशोर गुगुल 2 गोली दिन में तीन बार जल के साथ सेवन करें । महामंजिष्ठादि क्वाथ उबालकर सुबह-शाम सेवन करें।
3. एक्जीमा में व्रष्ठाराक्षस तेल अथवा मरिच्यादि तेल+तुबरक तेल+नीम का तेल लगाएं।
3-अल्सर –
1. आंवले का चूर्ण एक चम्मच, पिसी हुई सोंठ आधा चम्मच, पिसा हुआ जीरा आधा चम्मच, मिश्री एक चम्मच- सबको मिलाकर दो खुराक करें। सुबह-शाम एक-एक खुराक सेवन करें।
2. केले में अम्ल कम करने तथा घाव को भरने की शक्ति होती है। अत: प्रतिदिन भोजन के बाद तीन केले सेवन करें।
3. एक चम्मच आंवले का रस और एक चम्मच शहद, दोनों को मिलाकर दिन में सुबहशाम सेवन करें।
4-उच्च रक्तचाप –
1. आंवले का चूर्ण आधा चम्मच, गिलोय का चूर्ण आधा चम्मच तथा दो चुटकी सोंठतीनों को मिलाकर गर्म पानी से सेवन करें।
2. एक कप तरबूत के रस में एक चुटकी सेंधा नमक डालकर पीने से रक्तचाप कम हो जाता है।
खाने के बाद पपीता का सेवन करना चाहिए।
3. एक चम्मच प्याज का रस शहद के साथ दिन में सुबह-शाम सेवन करने से उच्च रक्तचाप में बहुत लाभकारी है।
5-मानसिक अवसाद –
1. प्राकृतिक स्नान, संगीत, धैर्य, मनोविनोद, प्रसन्नता आदि अवसाद को दूर करने के कारगर उपाय हैं। भय, लोभ, क्रोध तथा चिन्ताओं को छोड़ दें।
2. आंवले का मुरब्बा प्रतिदिन सेवन करें। ब्राह्मीवटी तथा स्मृतिसागर की एक-एक गोली मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें।
3. सारस्वतारिष्ट 4-4 चम्मच समान मात्रा पानी मिलाकर भोजन के बाद सुबह-शाम सेवन करें। सुबह-शाम घास पर नंगे पाव आधा घंटा तक टहलना चाहिये।
6-अनिद्रा (नींद न आना) –
1. आधा चम्मच नींबू का रस तथा एक चम्मच शहद मिलाकर रात में सोने से पहले सेवन करें। रात को सोने से पहले दोनों पैरों में घुटनों तक सरसों का तेल भलीभांति मलें, पैरों के तलवे में भी तेल मलें।
2. चार मुनक्के, आंवला चूर्ण आधा चम्मच तथा चुटकी भर शंखपुष्पी, तीनों की चटनी की तरह पीसकर रात को सोते समय सेवन करने से नींद अच्छी आती है।
3. सिर पर शुद्ध चंदन का तेल मसलने से नींद अच्छी आएगी।
7-अम्ल पित्त –
1. नींबू के रस में आधा चम्मच भुना जीरा तथा एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें। भोजन के बाद लौंग चूसें । लौंग अम्लपित्त को नष्ट करती है।
2. निशोथ 100 ग्राम, पीपर 10 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम- तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें। भोजन से पहले सुबह-शाम आधा चम्मच शहद के साथ लें।
3. अविपतिकर चूर्ण आधा चम्मच दिन में तीन बार भोजन से पहले या बाद, दोनों तरह से उपयोग कर सकते हैं। अम्लपित्त में लाभकारी है।
8-खांसी (कास रोग) –
1. एक चम्मच अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटें । यह खांसी की पुरानी तथा प्रसिद्ध घरेलू दवा है।
2. सूखी खांसी को दूर करने के लिए हरे पान के पत्ते पर दो चुटकी अजवायन रखकर पान को चबाएं । रस धीरे-धीरे कंठ के नीचे उतारते रहें।
3. कफ वाली खांसी के लिए इलायची का चूर्ण तथा आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण लेकर शहद में मिलाकर दिन में तीन-चार बार चाटें।
9-मुंह में छाले –
1. मुलहटी का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से छाले ठीक होते हैं।
2. आंवला 25 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, सफेद इलायची 5 ग्राम तथा मिश्री 25 ग्राम-सबको मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच मात्रा में सुबह-शाम पानी से सेवन करें।
3. खदिरादि वटी 2 गोली 3 बार पानी से लें तथा इरिभेदादि तेल छालों पर लगाएं।
10-मूत्र विकार –
1. पिसी हल्दी 100 ग्राम, काली तिल 250 ग्राम, पुराना गुड़ 100 ग्राम-तीनों को कूट-पीस कर तवे पर सूखा भून लें। इसमें से प्रतिदिन एक चम्मच चूर्ण सुबह के समय लें। सभी प्रकार के मूत्र विकारों में बहुत लाभदायक है।
2. पत्तागोभी बिना मिर्च-मसाले के घी में भूनकर खाने से पेशाब के विकार दूर हो जाते हैं। आधा कप ककड़ी का रस पीने से पेशाब खुल कर आता है।
3.चंद्रप्रभावटी 2-2 गोली सुबह-शाम लें। नीरी टेबलेट 2-2 गोली दिन में तीन बार लेने से मूत्रदाह, मूत्रकच्छ एवं मूत्र में रक्त का आना बंद हो जाता है।
11-अतिसार –
1. एक ग्राम जायफल का चूर्ण आधा कप पानी के साथ सुबह-शाम लेने से पेट दर्द, पेट फूलने तथा बार-बार पतले दस्त लगने में काफी आराम मिलता है।
2. जीरा व चीनी, दोनों को पीस कर चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण छाछ के साथ पीने से दस्त लगने बंद हो जाते हैं।
3. जातिफलादि चूर्ण या गंगाधर चूर्ण में से एक चूर्ण आधा चम्मच तीन बार ताजे जल से देने से दस्त बंद हो जाते हैं।
12-वमन (उल्टी) –
1. तुलसी की चार पत्तियों का रस शहद मिलाकर चाट लें । लौंग का पानी पीने से भी उल्टियां रुक जाती हैं।
2. अमृतधारा की चार बूंदें पानी में डालकर तीन-तीन घंटे से दें। कपूरधारा या अर्कपुदीना का सेवन उल्टी में तुरंत लाभ करता है।
3. मयूरचंद्रिका भस्म शहद के साथ चाटने से उल्टी या वमन तुरंत रुक जाती है।
नोट :- ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।