Last Updated on September 2, 2020 by admin
सर्वसाधारण के लिये, वह चाहे ग्रामीण क्षेत्रका हो या शहरी क्षेत्रका, अमीर हो या गरीब सभी के लिये दादी मां – नानी माँ के घरेलू नुस्खे निरापद रूप से प्रयोग किये जा सकने वाले तथा आसानी से अल्प मूल्य में घरेलू साधनों से तैयार हो जानेवाले कुछ उपयोगी प्रयोग यहाँ प्रस्तुत हैं। ये नानी माँ के घरेलू उपाय व प्रयोग कई बार के अनुभूत हैं। पाठकगण इन्हें प्रयोग कर लाभ उठा सकते हैं|
दादी नानी माँ के नुस्खे :Dadi Nani Maa ke Gharelu Nuskhe Hindi me
(१) आधासीसी-टंकण (फुलासुहागा) ३ ग्राम की मात्रा, घी-शक्कर के साथ प्रातः ५ बजे एक खुराक चटाये। इस प्रकार ३ दिन तक नित्य प्रातः एक बार चटाने से पूर्ण आराम हो जायगा।( और पढ़े – दादी माँ के घरेलू नुस्खे)
(२) कान का दर्द-बिना फोड़े-फुसीके यदि कान दर्द करता है तो उसके लिये ऑक (ऑकडा)के पके पत्तेके एक तरफ थोड़ा-सा घी लगाकर | गरम कर शरीरके तापमानानुसार उसका रस कानमें डालने से कानका दर्द तत्काल ठीक हो जाता है।( और पढ़े – कान दर्द के 10 देसी आयुर्वेदिक उपचार)
(३) दाँत में पानी लगना-पानी पीते समय दाँतमें टीस होने लगती है, जिससे कभी-कभी पानी पीना भी कठिन हो जाता है, उसके लिये पलास | (खॉकरा)-की कोमल टहनीकी दातौन करने से तथा उस दाँत के पास रस पहुँचाने से एक-दो बार के प्रयोग से लाभ हो जाता है।
(४) रक्त प्रदर-साधारण रक्तप्रदर में पुराने कम्बल की ऊन की भस्म ३-४ रत्तीकी मात्रा में दिन में ३ बार शहदके साथ चाटनेसे एक ही दिनमें लाभ हो जाता है। ( और पढ़े – रक्तप्रदर के रामबाण घरेलू उपचार)
(५) रक्तार्श-
(क) नीम की सूखी १०-१२ निबोली (फल)-की गिरीको पीसकर, गोली बनाकर दूध के साथ लगभग ५-७ दिनतक दिन में एक बार प्रयोग करनेसे लाभ हो जाता है। हलका सुपाच्य भोजन करे।
(ख) ५० ग्राम ताजे दही के साथ ३ ग्राम रसोत चूर्ण मिलाकर ३ से ५ दिनतक खानेसे रक्तार्श में | हमेशा के लिये लाभ हो जाता है। प्रयोग प्रातः भोजन के पूर्व दिन में एक बार करे। सुपाच्य भोजन करे।
(६) यकृत्-रोग (लीवर)-नागफनी थूहरका कच्चा गूदा लगभग १ तोला की मात्रा (१० ग्राम) ३ से ५ दिनतक प्रातः नित्य खिलानेसे बच्चोंका बढ़ा हुआ लीवर ७-८ दिनमें ठीक हो जाता है। खटाई एवं गरिष्ठ पदार्थ न दे।( और पढ़े –लिवर खराब होने के कारण,लक्षण और इलाज )
(७) आँव के दस्त-ठंडे-फीके दूध में लगभग आधा नीबू का रस डालकर पीने से आँवके दस्त एक दो बारके प्रयोगमें बंद हो जाते हैं। मीठा पदार्थ खाने को न दे।
(८) दाँत का दर्द-काले मरवे के पत्ते चबाने से दाँत-दाढ़का दर्द दूर हो जाता है।
(९) मुँह के छाले–
(अ) चमेली के पत्ते चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
(ब) बकरी के दूध की सीड़ मुँह में लगाने से मुँहके छाले मिट जाते हैं।( और पढ़े –मुह के छाले दूर करने के 101 घरेलु उपचार )
(१०) शक्ति-वृद्धि-सफेद प्याजका रस लगभग ६ ग्राम में समान भाग शहद मिलाकर नित्य सबेरे २१ दिनतक चाटने से वीर्य की वृद्धि होती है। संयम से रहे।
(११) रक्तशुद्धि एवं वीर्यपुष्टि-तुलसी के बीज १ ग्राम पीसकर सादे या कत्था-चूना लगे पान के साथ नित्य सुबह-शाम खाली पेट खानेसे वीर्य पुष्ट एवं रक्त शुद्ध होता है।
(१२) पेशाब की रुकावट-पलास के फूल (टेसू) गीले या सूखे पानीके साथ थोड़ा-सा कलमी शोरा मिलाकर, पीसकर नाभिके नीचे पेड़पर लगानेसे ५-१० मिनट में पेशाब खुलकर आने लगता है।
(१३) मलेरिया ज्वर–इसके आने के एक घंटे पूर्व ही पीपल के पेड़ की टहनी से दातून करे, चाहे तो रस एक-दो बार निगल ले। परमात्मा की कृपा से ज्वर नहीं आयेगा।
(१४) अकतरा-एक दिन छोड़कर आनेवाला ज्वर-अपामार्ग (चिरचिरा)-की ताजी जड़ लाकर सफेद धागेसे एक भुजापर बाँधनेसे ज्वर नहीं आयेगा।
(१५) स्तन्य वृद्धि-कभी-कभी प्रसूता स्त्रीके स्तनमें दूध की कमी हो जाती है या आते-आते रुक जाता है। उसके लिये सफेद जीरा, सौंफ एवं मिस्री तीनों को समान भाग में पीसकर रख ले। इसे एक चम्मचकी मात्रा में दूधके साथ दिनमें दो या तीन बार लेनेसे स्तनमें दूध खूब बढ़ता है।
(१६) जले स्थान पर-
(क) जले स्थान पर ग्वारपाठे (घृतकुमारी)-का गूदा लगाने से जलन शान्त होती है तथा फफोले (छाले) भी नहीं उठते हैं।
(ख) जले स्थान पर आलू काटकर लगाने से भी आराम होता है।
(१७) मूत्र-सम्बन्धी विकार–पेशाब में जलन हो, बूंद-बूंद पेशाब लगातार आता हो, हाथ-पैरों के तलवों में जलन होती हो या चर्मरोग हो, सभी की एक दवा है देशी गीली मेंहदी के साफ पत्ते लाकर पत्थर पर पीसकर रस निचोड़े। यह रस अवस्थानुसार १०-१२ ग्राम की मात्रा में ताजा दूधमें मिलाकर प्रातः ३-५ या ७ दिन पीने से लाभ हो जाता है। रोग की अवस्थाके अनुसार १५ दिन बाद फिर दिया जा सकता है।
(१८) वातरोग (जोड़ों का दर्द)-अरंडी-तेल (केस्टर आयल)-में लहसुन की कली धीमी आँचपर जलाकर तेल तैयार कर ले। ठंडा करके छानकर शीशी में भर ले। आवश्यकता होने पर जोड़ों के दर्दमें मालिश करने से दर्द में लाभ होता है।
(१९) उपदंश (सुजाक)-कच्ची फिटकरी को पीस, समान भाग गुड़ में बेर-बराबर गोली बनाकर ताजा छाछ के साथ प्रातः खाली पेट दिन में एक बार लगभग २१ दिनतक प्रयोग करने से उपदंश में शर्तिया लाभ होता है। गोलीके साथ ही छाछ दे, फिर दिनभर छाछ न दे। | हलका भोजन करे, तेल, मसालेवाली चीजें, मिर्च आदि न ले, गरम पदार्थ (चाय आदि) न ले।
(२०) दाद –सत्यानाशीकी जड़ (पीले फूलवाली कंटकारी) प्रातः पानीके साथ घिसकर लगाने से दाद नष्ट हो जाते हैं।
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(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)