देहाती घरेलू नुस्खे | Dehati Gharelu Nuskhe

Last Updated on August 9, 2019 by admin

गांवों में, जहां अभी भी चिकित्सा सेवा की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहां बुजुर्ग और अनुभवी स्त्री-पुरुषों के अनुभूत घरेलू नुस्खे ही काम आते हैं और छोटी मोटी तकलीफ़ के लिए ग्रामीणजन भागदौड़ और खर्च करने से बच जाते हैं। ऐसे ही कुछ लाभकारी घरेलू नुस्खे –

1- बादी या खूनी बवासीर का इलाज :

बवासीर रोग दो प्रकार का होता है बादी बवासीर और खूनी बवासीर। जिस बवासीर रोग में, मस्से फूलने के साथ खून भी गिरता है उसे खूनी बवासीर कहते हैं।

नुस्खा-

मिट्टी का एक कोरा (नया) छोटा घड़ा ले कर इसमें आधा या एक किलो बारीक रेत भर दें जो धोबी घाट पर नदी किनारे होती है। इस रेत को उत्तर भारत में ‘रे’ कहते हैं। अब इस घड़े को पानी से भर दें। इस घड़े को शौचालय के पास रखें। दिन 8-10 बार इस घड़े के पानी से गुदा के मस्सों को धोना है। घड़े से पानी लेने से पहले, घड़े को हिला कर पानी लें और जितना पानी लें उतना पानी, धोने की प्रक्रिया करने के बाद, घड़े में डाल दें। इस उपाय से आराम तो 15-20 दिन में ही हो जाएगा लेकिन यह प्रयोग लगातार 60 दिन तक अवश्य करें ताकि फिर लौट कर यह रोग हो ही नहीं।

परहेज़-

क़ब्ज़ बिल्कुल न रहने दें। सुबह सूर्योदय से पहले शौच और स्नान कर लिया करें और रात को सोते समय भी शौचालय जाया करें। तले हुए भारी, तेज़ मिर्च मसाले वाले और बेसन के बने पदार्थों का सेवन इलाज के दौरान बन्द रखें।

2- बर्र या मधुमख्खी के काटने का उपचार :

कभी बर्र (ततैया-भिरड़) या मधुमख्खी काट ले तो बहुत कष्ट होता है।

नुस्खा-

जहां बर्र या मधुमख्खी ने काटा हो वहां तुरन्त कच्चे प्याज़ को काट कर अच्छी तरह रगड़ें ताकि प्याज का रस वहां अच्छी तरह लगे। तुरन्त आराम होगा और सूजन भी नहीं आएगी।

3- मुंह के छाले दूर करने का उपाय :

अपच, अजीर्ण और क़ब्ज़ रहने के अलावा, शरीर की गर्म तासीर, गर्म तासीर वाले पदार्थों का अति सेवन आदि कारणों से उदर में गर्मी बढ़ती है और मुंह में छाले हो जाते हैं। इन सब कारणों का त्याग करके निम्नलिखित सफल सिद्ध प्रयोग करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
दिन में 1-1 गिलास करके 7-8 गिलास पानी ज़रूर पीना चाहिए। सोते समय शौच करके सोना चाहिए।

प्रयोग-

चमेली के साफ़ सुथरे हरे ताज़े पत्ते पानी से धो लें और इन्हें खूब अच्छी तरह चबाएं ताकि पत्तों का रस छालों में लगे । यह प्रयोग सुबह शाम करें।

4- पेचिस का उपचार :

बार-बार थोड़ा मल विसर्जन होना और मल विसर्जन होने के बाद ऐसा लगना कि पूरा मल नहीं निकला, इसे पेचिस कहते हैं। इस रोग को शीघ्र दूर करने वाला सफल सिद्ध घरेलू नुस्खा ।

नुस्खा-

सफेद राल 100 ग्राम और मिश्री 10 ग्राम- दोनों को अलग-अलग पीस कर मिला लें और तीन बार छान कर शीशी में भर लें। दिन में तीन बार 2-2 ग्राम चूर्ण ताज़ी छाछ के साथ लें। पेचिस ठीक होने पर प्रयोग बन्द कर दें।

5- हिचकी दूर करने के नुस्खे :

लगातार चलने और बन्द न होने वाली हिचकी को बन्द करना बड़ा कठिन होता है। जनकल्याण हेतु स्वयं मेरे द्वारा परीक्षित नुस्खा ।

नुस्खा-

(1) तुलसी के 4-5 पत्ते और मिश्री का छोटा टुकड़ा मुंह में रख कर रस चूसने से हिचकी चलना बन्द हो जाती है।
(2) मोर पंख की सफ़ेद डण्डी में जो रेशे होते हैं उन्हें कैंची से काट कर डण्डी से अलग कर लें। इन रेशों को एक पात्र में रख कर जला कर भस्म कर लें और बारीक पीस लें। यह भस्म 2 रत्ती शहद में मिला कर 3-3 घण्टे से चाटने पर हिचकी चलना बन्द हो जाती है। यह भस्म आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता की दुकान पर ‘मयूरपिच्छ भस्म के नाम से मिलती है।

6- घमोरियां का इलाज :

त्वचा पर घमौरियां यानी बारीक-बारीक फुसियां हो जाती हैं जिनसे बड़ा कष्ट होता है। इसका एक सफल सिद्ध घरेलू इलाज ।

इलाज-

स्नान के बाद हथेली पर सरसों का तैल आधा चम्मच और आधा चम्मच ठण्डा पानी डाल कर दोनों हथेलियों को मिला कर इतनी देर तक रगड़ें कि तैल पानी का रंग सफ़ेद हो जाए। बस, इसे घमौरियों पर लगा दें और सूखने दें। एक बार में ठीक न हों तो दूसरे दिन फिर इसी तरह प्रयोग करें। घमौरियां गायब हो जाएंगी।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

आगे पढ़ने के लिए कुछ अन्य सुझाव :
• दादी माँ के घरेलू नुस्खे
• रोग निवारण के फकीरी नुस्खे
साधुओं के अचूक आयुर्वेदिक नुस्खे

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