Last Updated on February 14, 2022 by admin
आयुर्वेद से करे डेंगू से बचाव :
डेंगू मुख्य रूप से बरसात के बाद जुलाई से अक्टोबर के महीने में जब मौसम में बहुत गर्मी और उमस होती है ऐसे समय में मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इस मौसम में एडीज मच्छरों के बढ़ने का सबसे अनुकूल समय होता है। इनके काटने से डेंगू का वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है और यह बीमारी हो जाती है।
क्या है एडीज की पहचान ?
इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। इसलिए इन्हें टाइगर मोस्क्विटो भी कहते है। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं।
कैसे फैलता है डेंगू ?
डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून को जब मच्छर पीता है तब खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।
कितने दिनों में डेंगू के लक्षण दिखते है ?
मच्छर के काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। इसके लक्षण बीमारी के आधार पर अलग अलग होते है । डेंगू तीन तरह का होता है।
- क्लासिकल (साधारणडेंगू बुखार)
- डेंगू हैमरेजिक बुखार(DHF)
- डेंगू शॉक सिंड्रोम(DSS)
साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन DHF या DSS होने पर उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाय तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है, DHF है। या DSS है।
डेंगू के मुख्य लक्षण क्या-क्या है?
- ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना
- सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है।
- शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लालगुलाबी रंग के रैशेज होना।
- डेंगू शॉक सिंड्रोम और हेमरैजिक फीवर की अवस्था मे मुख और नाक से रक्त आने लगता है।
- समय से इलाज नहीं मिलने से कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। ( और पढ़े – डेंगू बुखार के सफल घरेलु उपचार)
क्या है डेंगू में प्लेटलेट्स की भूमिका ?
सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से तीन लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती।
( और पढ़े – मलेरिया में अचूक घरेलू उपचार)
क्या इलाज़ कर सकते है डेंगू में ?
डेंगू के लक्षण दिखने पर किसी अच्छे फिजिशियन के पास जाना चाहिए। अगर डेंगू शॉक सिंड्रोम और डेंगू हेमोरराजिक फीवर है तो ICU युक्त चिकित्सालय में जितनी जल्दी हो सके दिखाए। अगर इस टाइप का डेंगू नही है तो पैनिक होने की जरूरत नहीं है। आयुर्वेद में इसके इलाज और बचाव नीचे लिखे तरीको से कर सकते है –
डेंगू का आयुर्वेदिक इलाज इन हिंदी : dengue ka ayurvedic upchar in hindi
1. गिलोय – एक कप पानी में एक चम्मच 10 मिली गिलोय का रस, दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 50 मिली लें।
2. हल्दी – सुबह और रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध के साथ लें।
3. तुलसी और शहद – तुलसी के पत्तों का 20 मिली रस शहद के साथ मिलाकर लें।
4. चिरायता – चिरायता बुखार उतारने की आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि है। इसका 20 मिली काढ़ा लें या 2 ग्राम चूर्ण पानी से लेने से बुखार उतरने लगता है।
5. पपीता – विभिन्न शोध में पपीते की पत्तियों के रस को डेंगू में बहुत उपयोगी पाया गया है। इसके लिये कुछ पत्तों को पानी से अच्छी तरह धोकर और छानकर 10 -20 मिली जूस को में तीन चार बार पिलाया जाता है। इससे शरीर मेंप्लेटलेट्स की मात्रा तेजी से बढ़ती है।
6. गेहूं का ज्वारा – गेहू का ज्वार, पपीते के पत्ता और गिलोय इन सबका रस मिलाकर 50 मिली की मात्रा में पीने से भी प्लेटलेट काउंट बढ़ता है।
7. आँवला – नीम, तुलसी,गिलोय ,पिप्पली, पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के ज्वारों का रस, आँवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है। (और पढ़े –बुखार के कारण ,लक्षण और इलाज)
8. तुलसी – तुलसी के 10 पत्तों को 1 गिलास पानी में उबालें, और छानकर पानी को पीएं।
यहां ध्यान देने की बात है कि डेंगू की कोई विशिष्ट चिकित्सा अभी तक उपलब्ध नहीं है। सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा ही की जाती है। यदि लक्षणों में जल्दी आराम ना दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिये।
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(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)