डिटर्जेंट पाउडर के दुष्प्रभाव और बचाव

Last Updated on May 5, 2021 by admin

वर्तमान में कांच, चीनी मिट्टी से निर्मित बर्तनों और कपड़ों की साफ-सफ़ाई के लिए डिटर्जेंट के अलावा और कोई विकल्प दिखाई नहीं पड़ता। रोजमर्रा की वस्तु होने के कारण हम इससे होने वाली हानियों से प्राय: अनभिज्ञ ही रहते हैं। वास्तव में डिटर्जेंट जितने सुविधाजनक हैं, उतने अधिक नुकसानदेह भी। इनके अंधाधुंध उपयोग से अनेक तरह की गंभीर बीमारियों के होने के खतरे बढ़ गए है।

डिटर्जेंट पाउडर का निर्माण :

आम डिटर्जेंटों में प्रमुख रूप से सरफेक्टेन्ट्स रहता है, जिसमें ए.बी.एस. (अल्काइन बेंजीन सल्फोनेट) व एल.ए.बी.एस. (लाइनर अल्काइन बेंजीन सल्फोमेट) तत्व होते हैं।

अच्छी क्वालिटी के डिटर्जेंट में सोडियम कोर्बोनेट, मिथाइल सेल्युलोस होता है जो कपड़ों पर गंदगी को जल्दी जमने नहीं देता। हार्ड वाटर में से मैग्नीशियम और कैल्शियम निकाल कर साफ्ट वाटर बनाने के लिए डिटर्जेंट में एस.टी.पी. (सोडियम ट्राइपॉली फास्फेट) भी मिलाया जाता है। इनके अतिरिक्त डिटर्जेंट में सुगंध, तरंग, फ्लोरेसर ओर फिलर्स का भी प्रयोग किया जाता है।

हर निर्माता की ऐसी कोशिश होती है कि उपरोक्त वस्तुओं का ऐसा संतुलित मिश्रण तैयार किया जाए, जिससे कपड़े व त्वचा को नुकसान न पहुंचे, न ही स्वास्थ्य को हानि पहुंचे।

डिटर्जेंट पाउडर से हानियां :

अनेक निर्माता डिटर्जेंट की कीमत घटाने के चक्कर में उसका सही मिश्रण तैयार नहीं करते और अल्कली की मात्रा काफी बढ़ा देते, जिसका दुष्परिणाम कपड़ों व त्वचा पर पड़ता है।

  • सस्ते डिटर्जेंटों में कुछ तत्व ऐसे भी होते है, जो हाथ की त्वचा को नुकसान पहुंचाते है।
  • लम्बे समय तक इनका इस्तेमाल करने से त्वचा खुरदरी होकर फटने लगती है।
  • सर्दियों में त्वचा रूखी व शुष्क होकर हाथों में सूजन तक ला देती है।
  • इनमें मिले रसायनों से एलर्जी भी हो जाती है। परिणाम स्वरूप त्वचा पर खुजली, फफोले यहां तक कि एक्ज़िमा की शिकायत भी हो सकती है।
  • त्वचा पर मौजूद प्राकृतिक तेल की सुरक्षा परत का सफाया होने पर हाथ लाल होना, चमड़ी का छिलना जैसे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
  • कपड़े धोने के बाद कभी-कभी डिटर्जेंट के हानिकारक रसायन के अंश उन पर रह जाते हैं, जो पहनने वाले को त्वचा पर फुंसियां पैदा का सकते है।

शैम्पू से बालों को नुकसान :

एक सर्वे के अनुसार डिटर्जेंट से बने साबुन और शैम्पू के इस्तेमाल से सिर के बाल कमजोर होकर गिरने लगते हैं। रसायनों से युक्त इन उत्पादों के प्रयोग से सिर के चर्म रोग भी हो सकते हैं। ये रसायन गर्भवती महिलाओं की चमड़ी के माध्यम से गर्भ में पहुंच कर गर्भस्थ शिशु को पैदा होने से पहले ही बीमार कर सकते हैं।

टूथपेस्ट में भी इस्तेमाल :

मुंह में झाग पैदा करने के लिए टूथपेस्टों में थोड़ा सोडियम लॉरिल सस्फेट नामक रसायन मिलाया जाता है, जो दांतों की सफाई नहीं करता। सफाई का काम सिलिकेट जैसे रगड़ने वाले पदार्थ करते हैं। झाग को देखकर लगता है कि दांतों की सफाई अच्छी तरह हो रहीं है, लेकिन ऐसा नहीं होता। टूथपेस्ट मुंह की झिल्ली, जिसे म्यूकस मेम्ब्रेन कहते हैं, को भी नुकसान पहुंचाकर स्वाद कलिकाओं को भी नष्ट कर सकता है। यदि पेट में टूथपेस्ट पहुच जाये तो पेट व आंतों पर भी अपना प्रभाव दिखाता है।

खतरों से कैसे बचें :

  • आप जो भी डिटर्जेंट खरीदे, स्टैण्डर्ड कम्पनी का बना हुआ ही लें। उससे कम से कम दुष्परिणामों से तो बचेंगे।
  • डिटर्जेंट का प्रयोग करते समय रबड़ के दस्ताने पहनें।
  • बचा हआ डिटर्जेंट का पानी पेड़-पौधों में न डाले। वरन् उसका इस्तेमाल फर्श की सफाई में करें। डिटर्जेंट का प्रयोग कम-से-कम करें।

Leave a Comment

Share to...