डायरिया / दस्त रोग के कारण रोकथाम और इलाज

Last Updated on December 9, 2019 by admin

डायरिया / दस्त रोग क्या है ? : Diarrhea in Hindi

किसी भी कारण से, पतला, पानी जैसा किसी भी रंग का मल त्याग बार-बार होना दस्त रोग की स्थिति है। छोटे व कमजोर बच्चों में यह स्थिति विशेष खतरे का संकेत होती है इसलिए इसके बचाव व उपचार के प्रति सावधान रहना आवश्यक है।

डायरिया रोग कैसे होता है ? इसके कारण : Diarrhea ke Karan in Hindi

आम तौर पर दूषित या कीटाणु युक्त जल का सेवन इस रोग का कारण होता है । यह रोग विशेष किस्म के कीटाणु के शरीर में प्रवेश करने से होता है जो प्राय: किसी भी गन्दगी के माध्यम में शरीर में पहुंच कर आंतों में संक्रमण करते हैं। आमतौर पर डायरिया के निम्न कारण हो सकते हैं –

  • कीटाणु युक्त गन्दा पेय जल ।
  • अस्वच्छ बोतल से बच्चों को दूध पिलाना ।
  • गन्दे हाथों से भोजन करना, विशेष कर नाखून की सफाई न रखना ।
  • रहवासी क्षेत्र के आसपास मल त्याग करना, जिससे मक्खियों के माध्यम से गन्दगी खाद्य पदार्थों तक पहुंच कर उन्हें दूषित करती है ।
  • खाना पकाने व खाने के बर्तन स्वच्छ न होना ।
  • खुला हुआ, अधपका, बासी भोजन ग्रहण करना।

दस्त रोग तीव्र अथवा दीर्घ प्रकार का हो सकता है। तीव्र प्रकार के रोग में आराम के साथ ही रोगी के शरीर में पानी व लवणों का सन्तुलन बनाए रखना अत्यन्त ज़रूरी होता है जबकि दीर्घ प्रकार में आराम के साथ-साथ उचित आहार पर भी ध्यान देना आवश्यक हो जाता है।

दस्त रोग खतरनाक क्यों ? : Why is Diarrhea Dangerous

दस्त लगने पर शरीर में पानी तेजी से निकलने लगता है इससे शरीर में पानी के साथ खनिज लवणों की भी, कमी आ जाती है, परिणाम स्वरूप शरीर कमज़ोर हो जाता है यह स्थिति निर्जलन कहलाती है निर्जलन की स्थिति विशेष रूप से बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। निर्जलन की अवस्था में यदि शरीर में पानी की कमी को पूरा न किया जाए तो मृत्यु भी हो सकती है।

डायरिया का प्रभावी उपचार घर पर ही शुरू हो सकता है :

दस्त रोग प्रारम्भ होने पर इलाज तत्काल घर पर ही शुरू कर देना चाहिए । 90 प्रतिशत मामलों में घर पर तुरन्त उपचार शुरू किया जा सकता है जबकि केवल 10 प्रतिशत मामले ही गम्भीर होते हैं जिनमें रोगी को अस्पताल पहुंचाना आवश्यक होता है। सावधानी यह रखी जाना चाहिए कि एक बार भी पतला या पानी जैसा दस्त आ जाए तो उपचार तत्काल शुरू कर देना चाहिए।

डायरिया का इलाज : Dairiya ka Ilaj in Hindi

पेय पदार्थों से जल की कमी पूरी करें :

दस्त रोग से प्राय: छोटे बच्चे जल्दी प्रभावित होते हैं इन बच्चों को जलीय पदार्थ (तरल पदार्थों) की आवश्यकता, शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए काफ़ी अधिक होती है। ये पेय पदार्थ आमतौर पर घर में ही उपलब्ध हो जाते हैं, अथवा इन्हें माताएं घर में बड़ी आसानी से तैयार कर सकती हैं। इन पेय पदार्थों में शिकंजी, चांवल का मांड, नमकीन लस्सी, हलकी चाय, नारियल का पानी आदि विशेष रूप से लाभदायक हैं जो शरीर में पानी की पूर्ति बनाए रखते हैं।

शिशु को दस्त लगने पर उसे मां का दूध पिलाते रहना चाहिए। मां का दूध शिशु के लिए पूर्ण आहार होता है । छ: माह से बड़े शिशु को मां के दूध के अलावा अन्य तरल पदार्थ भी देना चाहिए इससे पानी की कमी शीघ्र दूर होती है।

डायरिया में इलेक्ट्रॉल का इस्तेमाल लाभदायक

बाजार में उपलब्ध इलेक्ट्रॉल के पैकेट से सभी परिचित हैं ही यह लवण युक्त चूर्ण होता है जिसको पानी में घोल कर रोगी को देने से उसके शरीर में जल व लवण की कमी को पूरा किया जा सकता है इसी प्रकार के अन्य तत्काल उपयोगी पैकेट जिन्हें ओ.आर.एस. के नाम से जाना जाता है शासकीय अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों पर नि:शुल्क भी उपलब्ध होते हैं। यदि किन्हीं कारणों से ये पैकेट्स उपलब्ध न हों तो घर में ही विशेष प्रकार का शरबत (नमक शक्कर युक्त) बना कर रोगी को पिलाना समान उपयोगी होता है।

रोगी को हर पतले दस्त के बाद पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ दिया जाना चाहिए । दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एक चौथाई से आधा गिलास अर्थात 50 से 100 मि.ग्राम उससे बड़े बच्चों को आधे से एक गिलास 100 से 200 मि. ग्राम, तक पेय पदार्थ दिये जाना चाहिए, वयस्कों को उनकी ग्रहण क्षमता के अनुसार पेय पदार्थ देते रहना चाहिए।

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दस्त के दौरान आहार बन्द न करें :

दस्त के दौरान रोगी का खाना बन्द नहीं करें, क्योंकि दस्त लगने से बच्चे के शरीर से पोषक तत्वों का उत्सर्जन हो जाता है उसे पूरा करने के लिए भोजन की अतिरिक्त मात्रा आवश्यक होती है। इस दौरान पीड़ित व्यक्ति / बच्चे के लिए कोई अतिरिक्त भोजन आवश्यक नहीं होता अपितु घर में प्रतिदिन बनने वाला सादा, सुपाच्य भोजन रोगी को दिया जा सकता है जैसे नरम खिचड़ी, दही, चावल, इडली, पतली दाल व दलिया आदि । भोजन मिर्च-मसाले युक्त नहीं होना चाहिए। बच्चों को मसला हुआ केला, मसला हुआ आलु भी नमक व थोड़ी शक्कर के साथ दिया जा सकता है ।

दस्त के कारण जो कमज़ोरी उत्पन्न हुई है उसे दूर करने के लिए बार-बार भोजन दिया जाना चाहिए भोजन पकाने, खाने-खिलाने, परोसने आदि के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि बच्चा निर्बलता या किसी बीमारी से ग्रसित न होने पाये।

डायरिया की रोकथाम कैसे करें ? : Diarrhea ki Roktham in Hindi

दैनिक जीवन में स्वच्छता सम्बन्धी छोटी-छोटी बातों को अपना कर इस रोग से बचा जा सकता है जैसे –

  1. जब तक हो सके शिशु को मां का दूध पिलाते रहना चाहिए।
  2. ऊपरी दूध देने के लिए बोतल का प्रयोग कदापि न करें। दूध पिलाने के लिए साफ कटोरी अथवा गिलास व चम्मच का उपयोग कीजिए। इनकी सफाई बोतल की तुलना में अत्यन्त ही आसान है। यह बात अनेक शोध कार्यों से उभर कर सामने आई है कि बोतल का दूध पीने वाले बच्चे कटोरी चम्मच से दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में डायरिया का शिकार अधिक व बार-बार होते हैं।
  3. पेयजल साफ स्रोत (नल, कुआ, तालाब) आदि से लें व उसे ढक कर रखें। भोजन ढक कर रखें, उसे मक्खियों से अनिवार्यत: बचाया जाना चाहिए।
  4. यथा सम्भव ताज़े भोजन का सेवन करें बच्चों के आहार में ताज़े भोज्य पदार्थ ही शामिल करें। गर्मी व वर्षा ऋतु में ताजे भोजन के सेवन की ही आदत बनाएं।
  5. खाना पकाने या खाने के पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें। रहवासी इलाके में घर के आसपास शौच नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए शौचालय का ही उपयोग करें । तंग बस्तियों में घर के आसपास खुले स्थानों पर, सड़कों पर शौच की आदत के कारण अधिकांश बच्चे डायरिया से ग्रस्त रहते हैं। शौचालय की अलग से व्यवस्था न हो तो शौच क्रिया के लिए गड्ढे तैयार करें और इस गड्ढे में शौच करके तत्काल उसे मिट्टी से भर दें ताकि शौच पर मक्खी -मच्छर न बैठ सकें जो उड़ कर घरों में और आस-पास के वातावरण में रोग के कीटाणु फैलाते हैं।

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डायरिया में डाक्टर की सहायता कब लें ?

आमतौर पर दस्त रोग 3-4 दिन या एक सप्ताह के अन्दर ठीक हो जाता है किन्तु यदि दस्त बन्द न हों और बच्चा कमज़ोर होने लगे या निम्न में से कोई भी लक्षण दिखे तो उसे तुरन्त डॉक्टर का परामर्श उपलब्ध कराएं।

दस्त के साथ बच्चा बार-बार उलटी कर रहा हो । बच्चे को बुखार हो, कमज़ोर अथवा थका दिखाई दे, सोता रहना चाहे, बच्चे की आंखें धंसने लगें व उनमें आसू न आएं, नमी न हो। जीभ सूखने लगे व बच्चा प्यास महसूस करता रहे, उसकी त्वचा ढीली पड़ने लगे व उसमें झुर्रिया पड़ने लगें। बच्चा तेजी से सांस लेने लगे। पेशाब करना बन्द कर दे, यदि करे भी तो अत्यन्त कम ।

डाक्टर के पास जाते समय रास्ते में भी पेय पदार्थ या ओ.आर.एस देते रहें अन्यथा बच्चे की जान को खतरा हो सकता है और तत्काल प्रयत्न से बच्चे की जान बच भी सकती है। इस प्रकार दस्त रोग एक अति सामान्य रोग होते भी हुए तत्काल प्रयत्नों के अभाव में जान लेवा साबित हो सकता है। इसका उपचार व बचाव घरेलू तौर पर आसानी से किया जा सकता है इसलिए रोग की गम्भीर स्थिति निर्मित न हो ऐसे प्रयास करना चाहिए।

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