Last Updated on August 15, 2020 by admin
फूड पॉइजनिंग (खाद्य विषाक्तता) क्या है ? (Food Poisoning in Hindi)
khad vishakta kya hota hai –
संसार में होने वाला सबसे अधिक रोग जुकाम के बाद खाद्य विषाक्तता (Food poisoning) को माना जाता है। प्रतिवर्ष हजारों लोग इसके शिकार होते हैं। भोजन करने के दो-तीन घंटों के बाद या खाना खाने के तुरंत खाद उलटी और दस्त होना, तबीयत खराब होना खाद्य-विषाक्तता के कारण होता है।
भोजन विषाक्त (विषैला) क्यों होता है ? –
आहार स्वयं विषाक्त नहीं होता, बल्कि उसमें विषाक्तता का प्रवेश जीवाणुओं, रोगाणुओं, रसायनों, धातुओं के गलत उपयोग या दूषित वातावरण द्वारा होता है। समारोह, शादी-विवाह, त्योहारों पर अकसर व्यंजन और मिठाइयां दो-तीन दिन पहले से ही बना ली जाती हैं। बड़ी तादाद में बने ये पकवान खुले पात्रों में रख दिए जाते हैं, जिन पर रोगाणुओं और जीवाणुओं का शीघ्र प्रभाव होता है और इसी कारण सैकड़ों व्यक्ति एक साथ रोग से पीड़ित हो जाते हैं।
फूड पॉइजनिंग (खाद्य विषाक्तता) के लक्षण व पहचान (Food Poisoning Symptoms in Hindi)
khad vishakta ke lakshan –
भोजन के तुरंत बाद कुछ घंटों में ही तीव्रता के साथ उदर में पीड़ा, दस्त, वमन, पसीना, ज्वर, सिर दर्द लिए लक्षण प्रकट हो, तो इन्हें खाद्य विषाक्तता (food poisoning) के कारण ही समझना चाहिए। इसके उपचार में देरी करना प्राणघातक भी सिद्ध हो सकता है।
फूड पॉइजनिंग (खाद्य विषाक्तता) के प्रकार (Types of Food Poisoning in Hindi)
khad vishakta kitne prakar ka hota hai –
खादय विषाक्तता (food poisoning) दो प्रकार की होती है – रासायनिक और जीवाणु जन्य।
रासायनिक फूड पॉइजनिंग (chemical food poisoning in hindi)
रसायनों का अंधाधुंध उपयोग होने के कारण हमारे प्राय: सभी खाद्य पदार्थ उससे प्रभावित होने लगे हैं।
- बरतनों में किए जाने वाले कलई (एनामिल) में ऐटीमनी नामक विषैले (जहरीले) पदार्थ का प्रयोग किया जाता है। कलई के निकल जाने पर अम्लीय खाद्य पदार्थों में यह विष आसानी से घुल जाता है। इसलिए कलई किए हुए बरतन भी कम हानिकारक नहीं होते।
- भोजन बनाने के बरतनों, विशेषकर तांबे और पीतल मे, जब देर तक दही, अचार, इमली, कच्चे आम, सिरका आदि रखते है, तो उसमें हई रासायनिक क्रिया से भोज्य पदार्थ विष तुल्य बन जाते हैं।
मिलावट का प्रभाव –
- आजकल बाजार में बिकने वाली अधिकांश खाद्य वस्तुएं मिलावट युक्त होती है। जैसे – दूध और इससे बने उत्पादों में सबसे अधिक मिलावट होती है। उसके बाद मसालों और अनाजों में मिलावट पाई जाती है। यहां तक कि चाय, कॉफी, मिठाई तथा मीठे पदार्थों में भी मिलावट की जाती है।
- अनेक हानिकारक रंग भी विभिन्न पेयों, केक, पेस्ट्री, चाकलेट, मिठाइयों आदि में उपयोग कर लिए जाते हैं, जो जांच में पकड़ में आते हैं।
- घी में निकिल धातु की कुछ मात्रा मिला देने से वह विषैला बन जाता है। यह बात लखनऊ के औदयोगिक विष-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र में किए गए अनुसंधानों से पता चली है। वनस्पति तेल को घी में बदलने के लिए एक किलो शुद्ध तेल में निकिल धातु (उरुप्रेरक के रूप में) की मात्रा अधिकतम 2.5 ग्राम तक हो सकती है। निकिल के दुष्परिणाम से होने वाले रोगों में खुजली, त्वचा मे सूजन और अल्सर प्रमुख हैं।
- साग-भाजी, फलों आदि पर छिड़काव किए जाने वाले कीटनाशकों तथा खादों में मरक्यूरेट्स, लैड आरसनेट होते हैं। इनकी अधिक मात्रा पतले दस्त और वमन उत्पन्न कर शरीरगत जल का अंश खत्म कर सकते हैं।
- आलू में हमें कभी-कभी हरा-सा हिस्सा दिखाई पड़ता है, जो सोलेनिन नामक रासायनिक विष होता है, जिसके खाने से दस्त और उल्टियां हो सकती है।
जीवाणु जन्य फूड पॉइजनिंग (bacterial food poisoning in hindi)
इसी प्रकार जीवाणुजन्य विषाक्तता मुख्यत: चार जाति के जीवाणुओं द्वाराउत्पन्न होती है। ये जीवाणु एक प्रकार का जीव विष (टाक्सिन) उत्पन्न कर हमारे खाद्य पदार्थों को विषाक्त कर देते हैं। जब ये आमाशय और आंतों पर अपना हमला बोलते हैं, तो रोग की उत्पत्ति होती है। इन्हें सामान्य आंखों से नहीं देखा जा सकता।
1). स्टैफिलोकॅाक्स जीवाणु द्वारा फूड पॉइजनिंग –
खादय विषाक्तता की सबसे अधिक घटनाएं स्टैफिलोकॅाक्स नामक जीवाणु की वजह से होती हैं। विशेषकर गर्मी और वर्षा ऋतु में ये जीवाणु दही, अंडा, चावल, मछली, मांस आदि पर अकसर मिलते हैं, जिनकी उपस्थिति का आभास सामान्यतया नहीं हो पाता। इनके लगने पर परत भी जमा हो जाती है। ये एक प्रकार का प्रोटीन निर्माण करते है, जो विषाक्तता उत्पन्न करता है। यह प्रोटीन जनित पदार्थ गर्म करने पर भी अपना असर नहीं छोड़ता, जबकि जीवाणु इससे मर जाते हैं।
लक्षण – विषाक्तता के लक्षणों में ये जीवाणु पेट में ऐंठन, मितली, सिर दर्द, उलटी, अतिसार और शरीर में पानी की कमी लाते हैं।
2). सेल्मोनेला जीवाणु द्वारा फूड पॉइजनिंग –
सेल्मोनेला नामक जीवाणु मनुष्यों, जानवरों, हवा, पानी सभी जगह रह सकते हैं। ये गर्म करने से मर जाते हैं। इनका कार्य आंतों में जाकर पाचन क्रिया में व्यवधान डालना है।
लक्षण – पीड़ित व्यक्ति को ज्वर के साथ वमन, दस्त सिर दर्द की शिकायत पैदा होती है।
3). क्लास्ट्रेडियम परफेरिंजेंस जीवाणु द्वारा फूड पॉइजनिंग –
अन्य प्रकार के जीवाणु क्लास्ट्रेडियम परफेरिंजेंस हैं, जिन पर ताप का प्रभाव नहीं होता, क्योंकि अनुकूल वातावरण न मिलने के कारण ये अपने चारों ओर एक कवच बना लेते हैं। मिट्टी में मिलने के कारण गंदे बरतनों, फलों, सब्जियों के माध्यम से यह हमारे पेट में जाकर स्टैफिलोकॉकस के विष जैसे लक्षण पैदा करते हैं।
लक्षण – सिर दर्द, उलटी, पेट में ऐंठन, मितली, अतिसार और शरीर में पानी की कमी जैसे लक्षण प्रगट होते है ।
4). क्लास्ट्रीरेडियम बोट्लीनम जीवाणु द्वारा फूड पॉइजनिंग –
क्लास्ट्रीरेडियम बोट्लीनम मिट्टी और पानी में रहते है और सभी जीवाणुओं में सबसे खतरनाक हैं। जहां हवा भी न हो, वहां तक इनकी पहुच होती है। खादय पदार्थों के बीच घुसकर ये फैलते है और अपना विष पैदा करते हैं। इसे खाना गरम कर नष्ट किया जा सकता है। जो पदार्थ खाने से पूर्व गर्म न करके ठंडे ही खाए जाते है उनमें ये ज्यादा रहते हैं।
फफूंद भी बन सकती है फूड पॉइजनिंग का कारण :
कुछ फफूंद भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। डबल रोटी या चपाती पर रुई की तरह लगी फफूंद राइजोपस नामक कवक से पैदा होती है। एस्मरजिलस फ्लेवस नामक फफूंद लगने से दूषित अनाज में ‘एस्मरजिलस’ नामक खतरनाक स्राव पैदा होता है जो जानलेवा हो सकता है।
लक्षण – फफूंद लगी चीजें खाने से आमाशय और आंतों की तकलीफें, उलटी, दस्त सिर दर्द, बुखार, चक्कर आना आदि शिकायते हो सकती हैं।
फूड पॉइजनिंग (खाद्य विषाक्तता) के कुछ अन्य कारण :
- हमारे कुछ भोजन ऐसे भी होते है जो असमान मात्रा में सेवन करने पर तो अमृत का काम करते है, लेकिन समान मात्रा में लेने पर विष तुल्य प्रभाव रखते हैं जैसे शहद और घी। इसी प्रकार मट्ठा और शहद ।
- कांसे के बर्तन में रखा घी (दस दिन से ज्यादा समय तक रखने पर) ।
- कटहल खाने के बाद पान खाना ।
- घी और शहद के किसी भी परिणाम के साथ सेवन।
- शहद के साथ चिकनाई का सेवन ।
- फल और ऊपर से जल का सेवन भी कम हानिकारक नहीं है।
इस प्रकार की खाद्य विषाक्तता से भी बचने का प्रयत्न करना चाहिए।
( और पढ़े – विरुद्ध आहार : अनेक रोगों का मूल कारण )
फूड पॉइजनिंग (खाद्य विषाक्तता) से बचने के उपाय (Preventive Measures to Avoid Food Poisoning in Hindi)
khad vishakta se bachne ke upay
रोकथाम के सुझाव –
- रोग से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खाद्य सामग्री को तैयार करने, पकाने, उठाने और रखने में कार्यरत व्यक्तियों को सफाई और स्वच्छता पर सख्ती से ध्यान देना चाहिए। इनका पालन करके घर में और सार्वजनिक भोजन में विषाक्तता से काफी हद तक बचा जा सकता है।
- बासी, फफूंद लगी, खुली पड़ी हुई खाद्य सामग्री खाने से बचे।
- खाद्य विषाक्तता से बीमार व्यक्ति को चिकित्सा सहायता तुरंत दिलवाएं अन्यथा परिणाम प्राणघातक भी हो सकता है।
- खुली मिठाइयों, खुले फलों का सेवन न करें।
- यदि कोई चीज़ ज्यादा हो तथा उसे रखना हो, तो उसे बिना पानी के एवं तेल या घी में फ्राई करके ही रखें।
- रखने वाली चीजों में टमाटर या अन्य खट्टे पदार्थ न मिलाएं।
- विषाक्त हुए भोज्य पदार्थ को लालचवश कदापि न खाएं।