Last Updated on July 22, 2019 by admin
गर्भपाल रस क्या है ? Garbhapal Ras in Hindi
गर्भपाल रस के गुण इसके नाम से ही प्रकट हो रहे हैं। गर्भवती और गर्भस्थ शिशु- दोनों के लिए यह आयुर्वेदिक योग अत्यन्त गुणकारी है। जिन महिलाओं को बार-बार गर्भपात होता हो या एक बार भी हो चुका हो उनको गर्भ की स्थापना होते ही गर्भपाल रस का सेवन शुरू कर देना चाहिए और पूरे गर्भकाल तक सेवन करते रहना चाहिए।
गर्भपाल रस के घटक द्रव्य : garbhapal ras ingredients in hindi
✦शुद्ध सिंगरफ- 10 ग्राम
✦नाग भस्म शतपुटी- 10 ग्राम
✦बंग भस्म- 10 ग्राम
✦दालचीनी- 10 ग्राम
✦तेजपान- 10 ग्राम
✦ इलायची छोटी- 10 ग्राम
✦सोंठ- 10 ग्राम
✦पीपल- 10 ग्राम
✦काली मिर्च- 10 ग्राम
✦धनिया- 10 ग्राम
✦कालाजीरा- 10 ग्राम
✦चव्य- 10 ग्राम
✦मुनक्का- 10 ग्राम
✦देवदारु- 10 ग्राम
✦लोह भस्म 5 ग्राम
गर्भपाल रस बनाने की विधि : preparation method of garbhapal ras
इन सब द्रव्यों को घोट पीस छान कर महीन चूर्ण कर लें और सबको ठीक से मिला कर सफ़ेद अपराजिता के रस में सात दिन तक खरल में घुटाई कर के 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें। घटक द्रव्यों एवं निर्माण विधि का वर्णन जिज्ञासु पाठकों की जानकारी के लिए प्रस्तुत किया गया है वैसे यह योग इसी नाम से बाज़ार में कम्पनियों द्वारा बनाया हुआ मिलता है।
मात्रा और अनुपान : garbhapal ras dosage
2-2 गोली सुबह-शाम मुनक्का के पानी के साथ गर्भवती को सेवन कराएं। 25 ग्राम मुनक्का आधा गिलास पानी में डालकर थोड़ी देर रखें फिर मसल लें और निचोड़ कर छान लें। यह मुनक्का का पानी है।
आइये जाने garbhapal ras benefits in hindi,garbhapal ras ke labh in hindi
गर्भपाल रस के फायदे : garbhapal ras ke fayde in hindi
1-यह योग गर्भस्राव और गर्भपात को रोकता है, गर्भाशय और गर्भस्थ शिशु को बल देता है। ( और पढ़े – गर्भपात से रक्षा व सुंदर पुत्रप्राप्ति के लिये उपाय)
2- जिन स्त्रियों का गर्भाशय शिथिल और कमज़ोर हो गया हो, शरीर में उष्णता बढ़ी हुई हो, पति के वीर्य में विकार हो तो इन निज कारणों से गर्भपात हो जाने की सम्भावना रहती है। पहले 1-2 बार गर्भपात हो चुका हो तो भी गर्भपात होने की सम्भावना रहती है। यदि स्त्री की बीज (डिम्ब) -वाहिनी शक्ति निर्बल हो गई हो या गर्भाशय की विकृति के कारण गर्भ स्थापित न होता हो तो त्रिवंग भस्म एक रत्ती के साथ गर्भपाल रस का सेवन कराने से गर्भ की स्थापना में सहायता मिलती है।
3-गर्भधारण के बाद प्रायः गर्भवती को जी मचलाना, उलटी होना, ऐंठन होना, सिरदर्द, कमरदर्द, आदि की शिकायत होती हैं। प्रवाल भस्म या स्वर्णमाक्षिक भस्म एक रत्ती और गर्भपाल रस की 2 गोली सेवन करने से ये शिकायते दूर हो जाती हैं।
4-गर्भाशय को शक्ति देने, गर्भ की रक्षा करने के अलावा इस योग का सेवन करने से गर्भिणी के अतिसार, ज्वर, प्रदर, श्वास, खांसी, अरुचि, वात प्रकोप और क़ब्ज़ आदि विकार भी दूर होते हैं।
5-गर्भकाल में गर्भवती के सेवन योग्य यह श्रेष्ठ और विश्वसनीय योग है। ( और पढ़े – मासानुसार गर्भवती महिला की देखभाल )
गर्भपाल रस के नुकसान : garbhapal ras ke nuksan in hindi
1-गर्भपाल रस केवल चिकित्सक की देखरेख में लिया जाना चाहिए।
2-गर्भपाल रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
3-बच्चों की पहुंच और दृष्टि से दूर रखें।