Last Updated on November 8, 2020 by admin
पोषण के अभाव में गर्भाशय से दुर्बल हो जाता है और इसकी कार्य क्षमता घट जाती है, जिसके फलस्वरूप मासिक भी कम आता है।तथा गर्भ ठहरने को सम्भावनाएँ भी कम हो जाती हैं ।
गर्भाशय की कमजोरी के कारण : garbhasay ki kamjori ke karn
जन्म से ही गर्भाशय में विकृत, पोषण का पूर्ण अभाव, हर समय उदासीनता और मनोमालिन्य के कारण शरीर सूखकर काँटा हो जाने,अत्यधिक चिन्ता तथा बाल्यावस्था में विवाह होने से गर्भाशय कमजोर हो जाता है।
गर्भाशय की कमजोरी दूर करने के देसी नुस्खे : garbhasay ki kamjori dur karne ke gharelu upay
रोगिणी को हर प्रकार से खुश रखें । पौष्टिक और सुमधुर स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ खिलायें । दुख चिन्ता, क्रोध से बचायें । सुख प्रदान करने वाले खेल, मनोरंजन तथा विभिन्न प्रकार के आमोद-प्रमोद में व्यस्त रखें ।
1- मूसली. पाक 1 तोला और अश्वगन्धादि चूर्ण 2 माशा एक साथ गाय के गरम दूध से सुबह-शाम सेवन कराना अत्यधिक लाभप्रद है। ( और पढ़े – गर्भवती महिला के लिए पुष्टिवर्धक संतुलित भोजन)
2- अतिबला, मुलहठी, बरगद की जटा, खिरैटी, मिश्री तथा नागकेशर प्रत्येक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण कर लें फिर इसे 3 माशा की मात्रा में 6 माशा मधु और 12 माशा गाय का घी और पाव भर गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करायें ।
3-दशमूलारिष्ट और बलारिष्ट 1-1 तोला की मात्रा में समान जल मिला कर भोजनोपरान्त दिन में 2 बार पिलाना भी अतीव गुणकारी है। ( और पढ़े – गर्भवती महिला रखे इन 15 बातों का ध्यान)
4- अश्वगन्धारिष्ट 2 तोला की मात्रा में | बराबर जल मिलाकर शाम को हल्के नाश्ते के बाद पिलाना लाभप्रद है।
5- तिल और जौ को 40-40 ग्राम की मात्रा में ले कर इसे बारीक पिस लें अब इसमें बारीक पीसी हुई 80 ग्राम की मात्रा में मिश्री मिला दें। इस चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा सुबह-शाम मधु (शहद) के साथ सेवन करने से गर्भ पुष्ट और मजबूत होता है। ( और पढ़े – बांझपन को दूर करेंगे यह 34 आयुर्वेदिक घरेलू उपचार )
6- सालम मिश्री ,समुद्रफल और पीपल पेड़ की जटा, को समान अनुपात ( मात्र ) में लेकर उसे बारीक़ पिस लें |अब इस चूर्ण को नित्य सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें |यह उपाय गर्भाशय को पुष्ट बना उसके दर्द को दूर करता है |
7- बेलगिरी चूर्ण की 20 ग्राम मात्रा को चावल के धोवन (चावल का मांड ) के साथ मिश्री मिला नित्य सुबह-शाम देने से गर्भवती स्त्री को उल्टी, हलका बुखार, पतले दस्त, हाथ-पैरों की थकावट होना आदि सभी रोग दूर हो जाते हैं। ( और पढ़े – गर्भरक्षा के आयुर्वेदिक उपाय)
8- गंभारी फल, मुलेठी और मिश्री को समान मात्रा 15-20 ग्राम मात्रा को सुबह-शाम दूध में उबालकर नियमित गर्भवती महिला को पिलाना चाहिए।
9- ताजे सिंघाड़े का नित्य सेवन करने से गर्भ का न ठहरना या गर्भस्राव जैसी समस्या में लाभ होता है।
सिंघाड़े की लपसी दिन में दो से तीन बार दूध के साथ लेने से गर्भाशय की कमजोरी दूर हो जाती है।
गर्भाशय की कमजोरी दूर करने की दवा : garbhasay ki kamjori dur karne ki ayurvedic dawa
गर्भाशय की कमजोरी में लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
- अश्वगंधा पाक (Ashwagandha Pak)
- शतावरी चूर्ण (shatavari churna)
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(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)