Last Updated on November 18, 2022 by admin
गैस्ट्रिक अल्सर रोग क्या है ? (Gastric ulcer in Hindi)
जब किसी दबाव या जहरीले पदार्थ खा लेने की वजह से पेट की दीवारों को बचाने वाली मूकोसा परत नष्ट हो जाती है तो अल्सर बनना शुरू होता है। केला मूकोसा कोषों में बढ़ोत्तरी करता है जिससे पेट को रसायनों से बचाने के लिए दीवारे बनती हैं और गैस्ट्रिक अल्सर नहीं होता है।
गैस्ट्रिक अल्सर के कारण (Gastric ulcer ke Karan)
इस रोग में पक्वाशय (यह छोटी आँत के ही प्रारंभ का बारह अंगुल तक का भाग है जिसके तंतुओं में एक विशेष प्रकार की कोष्ठाकार ग्रथियाँ होती हैं) रोगग्रस्त हो जाता है जिससे पक्वाशय में रस की वृद्धि होती है। गैस्ट्रिक अल्सर दूषित व भारी खाना खाने, अलग-अलग स्थानों पर पानी पीने, मानसिक अघात और ´हेलिकोबेक्टर पायलोरी´ नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षण (Gastric ulcer ke Lakshan)
- गैस्ट्रिक अल्सर में जी मिचलना,
- उल्टी,
- ऊपरी भाग का दर्द,
- जलन,
- अम्ल की अधिकता,
- खट्टी डकारे,
- भूख के कारण पेट में दर्द होना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं।
गैस्ट्रिक अल्सर में भोजन और परहेज़ :
इनका सेवन करें –
दूध, मौसमी, चोकर समेत आटे की रोटी, चने की रोटी, सत्तू, नींबू, लौकी, परवल, पालक, बथुआ, पत्तागोभी, नाशपाती, आलूबुखारा, गाजर का मुरब्बा और मटर आदि का सेवन करना गैस्ट्रिक अल्सर के रोगियों के लिए हितकारी होता है।
इनसे परहेज रखें –
तेल, घी, डालडायुक्त, चटपटे, मसालेदा, भारी भोजन, भिंडी, करेला, आलू, फूलगोभी, अदरक का आचार, कालीमिर्च, कडुवा व खट्टे खाद्य पदार्थ, शहद, नशीले पदार्थ, सड़ी-गली चीजे, चाय-कॉफी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से यह पेट रसों के साथ मिलकर हाइड्रोक्लोरिक एसिड अधिक पैदा करता है जिससे पेट में अल्सर बन जाता है।
विभिन्न औषधियों से गैस्ट्रिक अल्सर का इलाज (Gastric ulcer ka Ilaj in Hindi)
1. आंवला : आंवला के रस को शहद के साथ चाटने से गैस्ट्रिक अल्सर में लाभ मिलता है।
2. आम : पके व मीठे आम का रस निकालकर प्रतिदिन सेवन करने से गैस्ट्रिक अल्सर ठीक होता है।
3. ईसबगोल : ईसबगोल की भूसी 5 से 6 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ खाने से कब्ज के कारण होने वाले गैस्ट्रिक अल्सर में आराम मिलता है।
4. पत्तागोभी : पत्तागोभी का रस पीने और गोभी के बीच के भाग का सलाद बनाकर खाने से गैस्ट्रिक अल्सर और पेप्टीक अल्सर में लाभ मिलता है।
5. केला और दूध : केला और दूध को सेवन करने से पेट का अल्सर ठीक होता है।
6. केला : केला खाने से आंतों की सूजन, आमाश्य का जख्म, जठरशोथ, कोलिटिस की सूजना और अतिसार आदि रोगों में लाभ मिलता है।
7. कुल्थी : एक मिट्टी के बर्तन में 50 ग्राम कुल्थी की दाल को 250 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें और यह पानी सुबह-शाम लगातार 1 से 2 महीने तक पीने से गैस्ट्रिक अल्सर में बेहद आराम मिलता है।
8. तुलसी : तुलसी का पत्ता खाने या रस को पीने से पैप्टिक अल्सर और तनाव से पैदा होने वाले रोगों में आराम मिलता है।
9. बर्फ : बर्फ के छोटे टुकड़े चूसने से मुंह में खून का आना, अधिक प्यास लगना कम होता है।
10. खरबूजा : खरबूजे का रस खाली पेट पीने से गैस्टिक अल्सर में आराम मिलता है।
11. खजूर : पिंड खजूर खाना से गैस्ट्रिक अल्सर के दर्द व सूजन में लाभ मिलता है।
12. चना : चने का सतू पीने से गैस्ट्रिक रोग में आराम मिलता है।
13. छेने का पानी : छेने के पानी को दोपहर के बाद पीने से गैस्ट्रिक की बीमारी में आराम मिलता है।
14. दूध : दूध को एक बार ही उबालकर 2-2 घंटे के अन्तर पर पीने से जख्म ठीक होता है। ध्यान रहें कि खूनी उल्टी में दूध का सेवन न करें।
15. नारियल : कच्चे नारियल का पानी पीने से गैस्ट्रिक अल्सर और मुंह से आने वाले खून बंद होता है।
16. गेहूं : गेहूं के छोटे पौधो का रस कुछ समय तक सेवन करने से गैस्ट्रिक अल्सर के रोग ठीक होता है।
17. मौसमी : मौसमी और नींबू का रस मिलाकर पीने से अमाशय की सूजन दूर होती है।
18. लहसुन : खाना खाने के बाद चार कच्चे लहसुन की फली खाने से आमाशय का जख्म ठीक होता है।
19. गाजर :
- गाजर का रस शहद के साथ प्रतिदिन 3 बार पीने से पक्काशय (Duodenum) में होने वाले घाव व दर्द ठीक होता है।
- गाजर का रस पीने से अल्सर की उल्टी बंद होती है।
- गाजर के रस में किशमिश का रस मिलाकर पीने से गैस्ट्रिक अल्सर में आराम मिलता है।
20. नींबू :
- 1 गिलास गर्म पानी में 1 कागजी नींबू को निचोड़कर पीने से गैस्ट्रिक अल्सर में लाभ मिलता है।
- 1 गिलास में नींबू का रस निकालकर 2 से 3 चम्मच शहद मिलकार प्रतिदिन 3 से 4 बार पीना से आमाशय का जख्म ठीक होता है।
21. सेब :
- एक सेब के टुकड़े-टुकड़े करके 250 मिलीलीटर गर्म पानी में डालकर ढ़क दें। 15 मिनट बाद इसे निचोड़कर छानकर इसमें 2 चम्म्च शहद मिलाकर सेवन करें। इससे गैस्टिक अल्सर ठीक होता है।
- सेब का रस पीने से शरीर की पाचन अंगों पर एक पतली परत बन जाती है जिससे संक्रमण व सड़न से बचाव होता है और पेट में गैस नहीं बनती। इससे मलाशय और आन्तों के निचले भाग की दुर्गन्ध दूर होती है। सेब का रस पीने के बाद गुनगुना पानी पीने से आन्तों में होने वाले घाव व सूजन दूर होती है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)