Last Updated on January 14, 2024 by admin
आज कल घुटनों, पिंडली, कमर, पीठ एवं पसली आदि में दर्द होना आम बात हो गयी है। इसकी चिकित्सा हेतु सस्ता, सरल, अचूक और अनुभूत घरेलू उपाय जन कल्याणार्थ प्रस्तुत है
दर्दहर तेल का अनुभूत नुस्खा :
- सरसों का तेल 250 ग्राम,
- तारपीन का तेल 100 ग्राम,
- लहसुन की कलियाँ 50 ग्राम,
- रतनजोत 20 ग्राम,
- पुदीनासत्त्व (आसमान तारा) 10 ग्राम,
- अजवायन का सत्त्व 10 ग्राम,
- कपूर देशी 10 ग्राम।
तेल निर्माण विधि : dard ka tel banane ki vidhi
सर्वप्रथम एक साफ बोतल लेकर उसमें पुदीना सत्त्व डाल दें। अजवायन सत्त्व और कपूर को पीसकर पुदीना सत्त्व की बोतल में डालकर ढक्कन लगाकर हिला दें। थोड़ी देर बाद तीनों वस्तुएँ मिलकर द्रवरूप हो जायँगी। इसे ‘अमृतधारा’ कहते हैं।
सरसों का तेल किसी पतीली या कड़ाही में डालकर, गरम करके नीचे उतार लें। लहसुन की कलियाँ छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें । सरसों का तेल ठंडा हो जाने पर उसमें लहसुन की कलियाँ डालकर तेल को फिर से तीव्र और मंदी आँच करते हुए गरम करें। तेल को इतना पका यें कि लहसुन की कलियाँ जलकर काली हो जायँ। तेल के बरतन को चूल्हे परसे नीचे रखें और उसी गरम तेल में रतनजोत डाल दें, इससे तेल का रंग लाल हो जायगा। (रतनजोत एक वृक्षकी छाल होता है।)
तेल के ठंडा होने पर कपड़े से छानकर किसी बोतल में भर लें। अब इस पकाये हुए तेल में अमृतधारा और तारपीन का तेल मिलाकर अच्छी तरह हिला दें। बस, मालिश के लिये दर्दहर लाल तेल तैयार है।
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