चकोतरा के 23 लाजवाब फायदे व औषधीय उपयोग – Grapefruit Health Benefits

Last Updated on June 29, 2024 by admin

क्या है चकोतरा ? (Grapefruit In Hindi)

नींबू की जाति का यह फल है जो खरबूजे के बराबर तक बड़ा होता है। इसका छिलंका नारंगी से मोटा और खुरदरा होता है तथा इसका गूदा लाल होता है जो स्वाद में खट-मीठा होता है। फल के भीतर संतरे की तरह किन्तु बड़ी-बड़ी सफेद रंग की फाकें होती हैं। इसके बीज विजौरे नींबू जैसे ही, किन्तु उनके कुछ छोटे होते हैं। यह कच्ची अवस्था में हरा तथा पकने पर पीले रंग का हो जाता है।

यह मलेशिया और इन्डोनेशिया से सर्वत्र आया है। भारतवर्ष में अब यह प्रायः सर्वत्र पाया जाता है। हुगली (पं० बंगाल) का चकोतरा सबसे उत्तम होता है। उत्तराखण्ड, उ०प्र०, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में भी यह लगाया जाता है। इस फल में शर्करा तथा साइट्रिक एसिड (निम्बुकाम्ल) होता है और छिलकों में एक उत्पत् तैल पाया जाता है।

यह समस्त भारत में पाया जाता है। इसको संस्कृत में मधु कर्कटी, हिन्दी मेंचकोतरा, गगरिया नींबू तथा लेटिन में- साइट्रस मेक्सिमा (Citrus Maxima Mer.) कहा जाता है तथा यह जम्बीर कुल का होता है।

चकोतरा के औषधीय गुण (Chakotra ke Gun)

  • यह गुरु, शीतल, रुचिकर, वृष्य, रक्तपित्तशामक है।
  • यह क्षय, श्वास, खांसी, हिक्का और भ्रम (चक्कर) आदि रोगों में लाभदायक कहा गया है।
  • आचार्य चरक ने जिसका फलवर्ग में अम्लवेत के नाम से वर्णन किया गया है। वह इससे अलग है। कई व्यक्ति चकोतरे के सुखाये हुए गूदे को ही अम्लवेत के नाम से उपयोग में लाते हैं। वस्तुतः अम्लवेत तो बहुत खट्टा होता है इसलिए इसे ‘अम्लनामक’ नाम से जाना जाता है। जबकि चकोतरा खट्टा-मीठा होता है।
  • चकोतरा का वर्णन भावमिश्र ने मधु कर्कटी के नाम से किया है। द्रव्यगुण संग्रह के रचयिता चक्रपाणिदत्त ने भी मधुकर्कटी कहा है। इसकी टीका में शिवदास ने स्पष्ट किया है कि यह बिजौरा नींबू की अपेक्षा बड़ा और गूदे वाला होता है। इसके फल केशर बड़े और एक दूसरे से अलग होते हैं।
  • इन आचार्यों के वर्णन के अनुसार यह मधुर, पचने में भारी, ठण्डी तासीर वाला, रुचिकारक और पौरुष शक्ति वर्द्धक होता है। यह मूत्रल, अनुलोमक एवं आमदोषहर भी है।
  • कहते हैं कि जापान और जर्मनी में काली गाय को गुंवार, करेला, जामुन, चकोतरा; चना, बेलपत्र, आमपत्र, नीम-पत्र आदि खिलाकर उस दूध को मधुमेहारि दूध के नाम से मधुमेहियों के उपचार हेतु उपयोग में लाया जाता है।

चकोतरे में पाये जाने वाले तत्व :

तत्वमात्रातत्वमात्रा
प्रोटीन0.7 प्रतिशतकैल्शियमलगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
वसा0.1 प्रतिशतफॉस्फोरसलगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट7.0 प्रतिशतलौहलगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
पानी 92.0 प्रतिशतविटामिन-सीलगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम
लवण0.2 प्रतिशतविटामिन-पीअल्प मात्रा में
विटामिन-बी कॉम्प.अल्प मात्रा मेंविटामिन-एअल्प मात्रा में

चकोतरा के फायदे और उपयोग (Chakotra ke Fayde aur Upyog)

1. पित्त प्रकोप में : चकोतरे के रस में शक्कर मिलाकर सेवन करने से पित्त प्रकोप शांत होता है। ( और पढ़े –पित्त की वृद्धि को शांत करने वाले 48 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )

2. पागलपन में : गर्मी के कारण उत्पन्न पागलपन में इसके रस को प्रात:काल पिलाना हितकर होता है।

3. कटिशूल में : कमर के दर्द को दूर करने के लिए इसके रस में ५०० मि.ग्राम जवाखार और दो चम्मच शहद मिलाकर प्रयोग में लाते हैं। ( और पढ़े – कमर में दर्द के 13 सबसे असरकारक आयुर्वेदिक उपाय)

4. जुकाम में : फल के अंदर की फाकों का ऊपरी सफेद छिलका और बीजों को निकालकर ऊपर थोड़ी शक्कर बुटक कर उसे आग पर सेक कर चूसने से जुकाम दूर होती है।

5. अरुचि में : इसके रस में नमक एवं काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पिलाने से अरुचि रोग दूर होता है। ( और पढ़े –अरुचि दूर कर भूख बढ़ाने के 32 अचूक उपाय )

6. मूत्राघात में : पेशाब नहीं उतरने पर इसके रस में जवाखार और कलमी शोरा एक-एक ग्राम मिलाकर सेवन कराते हैं।

7. मेद वृद्धि में : चर्बी के अधिक बढ़ने पर इसके रस में बराबर पानी और २-३ चम्मच शहद मिलाकर नियमित पिलायें।

8. प्लीहा वृद्धि में : इसके रस में आलू बुखारे का रस मिलाकर दें।

9. जी मिचलाने में : इसके छिलकों का शर्बत बनाकर प्रयोग में लें।

10. उल्टी में : इसके छिलकों को गर्म पानी में पीसकर छानकर पिलाने से उल्टी बंद होती है। ( और पढ़े –उल्टी रोकने के 16 देसी अचूक नुस्खे )

11. आमाशय विकारों में : इसके छिलकों के टुकड़ों का मुरब्बा बनाकर सेवन करायें।

12. सिर दर्द में : वायु के कारण उत्पन्न सिरदर्द में इसके छिलकों को पीस ललाट पर लगाने से लाभ होता है।

14. कीड़ों में : आंत में रहने वाले कीड़े इसके छिलकों के क्वाथ पीने से मर जाते है।

14. उंगुलियों का कांपना : 10 से 20 मिलीलीटर महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करते रहने से उंगुलियों का कांपना ठीक हो जाता है।25. गठिया रोग : गठिया के रोग को दूर करने के लिए नींबू, सन्तरा, मुसम्मी, चकोतरा आदि फलों के रस का सेवन करना लाभकारी होता है।

15. मधुमेह : मधुमेह रोग में चकोतरा का उपयोग करने से शरीर में स्टार्च की मिठास और वसा में कमी आती है। इससे शरीर में मधुमेह पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है। यह भूख को बढ़ाता है।

16. बुखार में प्यास लगने पर : चकोतरे के रस का थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीने से बुखार दूर हो जाता है और अधिक प्यास लगना बंद हो जाता है।

17. मलेरिया :

  • मलेरिया के बुखार में चकोतरे का रस पीना लाभकारी रहता है क्योंकि इसके रस में मलेरिया को समाप्त करने वाला तत्व कुनैन होता है।
  • चकोतरे का रस गर्म करके पीने से भी मलेरिया में लाभ होता हैं।
  • एक पका हुआ चकोतरा लें। बीच से काटें। आधा चकोतरा का गूदा निकालें। एक गिलास पानी में उबालें। निचोड़-छानकर रोगी को दें। जब तक जरूरत हो देते रहें।

18. जुखाम : जुखाम से बचने के लिए भी चकोतरा का सेवन बहुत ही उपयोगी होता है।

19. शरीर की थकावट:  चकोतरे के रस में समान मात्रा में नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर की थकावट दूर होती है।

20. पेशाब रुक-रुककर आना:

  • पेशाब के रुक-रुककर आने (मूत्रावरोध) पर रोगी को चकोतरे का 250-300 मिलीमीटर रस रोजाना देने से लाभ होता है। चकोतरा में विटामिन `सी´ व पोटैशियम अधिक मात्रा में होने के कारण यह इस रोग में लाभकारी होता है।
  • अन्य फलों के समान चकोतरे को बहुत ही कम खाया जाता है क्योंकि इसका स्वाद अटपटा होता है लेकिन इसका छिलका तथा फांकों की झिल्ली उतारकर इसका सेवन करके लाभ उठाया जा सकता है।

21. दमा व सांस रोग: चकोतरा के रस का शर्बत बना लें। यदि सर्दी या बरसात का मौसम हो तो पानी मत मिलाएं और अकेले ही शर्बत को चाटते रहें। इसका रस 5-5 ग्राम की मात्रा में आठ दिनों तक रोगी को दें। यदि खांसी, बलगम से ज्यादा परेशानी हो तो आम की गिरी के चूर्ण (पांच ग्राम) की फंकी चकोतरा के शर्बत की चाशनी में मिलाकर चटायें। गर्मियों में इसके रस में मटके का पानी मिलाकर शर्बत बनाकर पीने से खांसी नष्ट हो जाती है तथा दमा भी समाप्त होता है।

22. काली खांसी : आधा से 1 चम्मच महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस सुबह-शाम शहद के साथ रोगी को देने से बेहोशीयुक्त खांसी तथा कुकुर खांसी मिट जाती है। यह महानींबू (बिजौरा नींबू) से भी बड़ा 6 से 8 इंच के व्यास वाला होता है।

23. खांसी : बेहोशीयुक्त खांसी में महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस आधा से एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ मिलाकर देने से रोग में लाभ मिलता है।

चकोतरा के नुकसान (Grapefruit Side Effects)

  • इसकी अधिक मात्रा यकृत को नुकसान पहुँचाती है, इसके निवारण के लिए मधु और चीनी का सेवन हितकारी है।
  • इसका अधिक मात्रा में सेवन हृदय के लिए हानिकारक होता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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