Last Updated on December 12, 2020 by admin
लौकी और हृदय रोग का उपचार :
आप सोचेंगे क्या यह संभव है कि इस सब्जी में अमूल्य गुण मौजूद हैं जो हृदय रोग जैसे रोग को मात कर पाते हैं। जी हाँ! यह पूर्णतः सत्य है कि डॉक्टरों ने जिन हृदय रोगियों को बायपास एन्जीयोग्राफी वगैरह की सलाह दी थी, उन लोगों ने ‘लौकी रस प्रयोग’ का सहारा लिया और परिणाम यह आया कि उन्हें न बायपास की जरूरत पड़ी और न ही एन्जीयोग्राफी की, वे लोग अब स्वस्थ हैं।
हृदय रोग की बीमारी में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। इसके इलाज के लिए बायपास, एन्जीओप्लास्टी वगैरह का खर्च दो से तीन लाख रुपये होता है। सामान्य इंसान इतना खर्चा करने में असमर्थ होता है इसलिए इस पर पर्यायी उपचार पद्धति को ढूँढ़ना आवश्यक हो गया है। योगासन, प्राणायाम, डीन ऑर्नीश प्रोग्राम ऑफ रिवर्सिंग हार्ट डिसीज, आयुर्वेदिक औषधियाँ, किलेशन उपचार ऐसे अनेक पर्यायी उपचार विकसित होने लगे हैं। कुछ रुग्णों पर इनका फायदा भी होने लगा है परंतु इन पर्यायी उपचारों पर भी 20 से 25 हजार रुपये खर्च होते हैं।
इन सबसे कम खर्च एवं असरदार उपचार पर ध्यान दिया गया है और वह उपचार है ‘लौकी रस प्रयोग’। इस प्रयोग के संशोधक हैं मुंबई के डॉ. मनु कोठारी । आप यह प्रयोग घर में ही कर सकते हैं और इसमें खर्च भी बहुत कम होता है।
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इस प्रयोग के फायदे :
1). लौकी में 90 प्रतिशत पानी होता है । इसमें एन्टी ऑक्सीडंटस होते हैं, इसका रस अल्कलाईन है।
2). इसके शरीर पर गलत परिणाम (साईड इफेक्टस्) नहीं होते।
3). जिन रुग्णों को मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल होता है उन्हें यह रस अवश्य लेना चाहिए।
4). जिन रुग्णों को दम लगता है, छाती में दर्द होता है और जिन्हें शस्त्रक्रिया न करवानी हो, उन्हें यह रस अवश्य लेना चाहिए।
5). इससे वजन कम होने में सहायता होती है।
6). खून की अम्लता कम होती है।
7). यह रस हृदय स्नायु के प्लेटफॉर्म को (ट्रायगोनम फाइब्रोसम कारडिस) सक्षम बनाता है, जिससे हृदय के स्नायु अधिक समर्थता से कार्य करते हैं। यह हृदय की मांसपेशियाँ और बाह्य आवरण के बीच जो द्रव होता है (पेरिकार्डियल फ्लुइड) उसकी अम्लता कम करके पी. एच. वैल्यू बढ़ाकर हृदय को आराम देता है।
लौकी का रस बनाने की विधि :
सर्वप्रथम यह देखें कि लौकी कड़वी तो नहीं है, अगर कड़वी है तो उसे न लें।
- लौकी के 450 से 600 ग्राम के टुकड़े करें और उन्हें तीन हिस्सों में विभाजित कर दें। (एक समय में 150 से 200 ग्राम लौकी लें।)
- लौकी को छिलके के साथ कद्दूकस कर लें या छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर मिक्सर में डालकर पीस लें और उसका रस निकालें।
- कद्दूकस करते वक्त इसमें 5-6 तुलसी के पत्ते, 5-6 पुदीना के पत्ते डालें। इस मिश्रण को छान लें।
- छानने के बाद, लौकी में से जितना रस निकले उतना ही पानी उसमें मिलाएँ।
- इस मिश्रण में 4-5 ग्राम काली मिर्च पाउडर और 5 ग्राम सेंधा नमक मिलाएँ और पी लें। इस तरह यह मिश्रण दिन में तीन बार पीएँ।
जिन लोगों को डॉक्टर ने एन्जीओप्लास्टी या बायपास सर्जरी की सलाह दी है उन्हें इसका सेवन दिन में तीन बार करना चाहिए। सुबह खाली पेट, दोपहर खाने के आधे घंटे बाद और रात में खाना खाने के आधे घंटे बाद इसका सेवन करें। हर बार लौकी का ताजा रस निकालें । फ्रिज में रखा हुआ रस न लें।
जिन्हें हृदय की ज्यादा तकलीफ है उन्हें दिन में दो बार यह रस लेना चाहिए। जिन्हें कुछ तकलीफ
नहीं है उन्हें दिन में एक बार रस का सेवन करना चाहिए।
इस उपचार पद्धति से हमारी अवरूद्ध धमनियाँ खुल जाती हैं ऐसा दावा नहीं किया जा रहा किंतु शायद इससे हमारी हृदय की स्नायु व्यवस्था बलवान बनकर हृदय अधिक सहजता से कार्य करने हेतु सक्रिय होता होगा। इसके लाभ के लिए नित्य नियम से ३ से ६ महीने तक इस रस का सेवन करना आवश्यक है। इस उपचार के साथ आप अपनी दवाइयाँ लेना अवश्य जारी रखें।
लौकी रस के प्रयोग से अनेक लोग अपने हृदय रोग से मुक्त हो चुके हैं, उनके अनुभव हमारे पास प्रमाण के साथ मौजूद हैं । इसकी उपयोगिता के बारे में संशोधन होना जरूरी है।