Last Updated on March 14, 2021 by admin
यत्न करने के बावजूद सो न पाना, रात में बार-बार नींद टूटना या सुबह प्रजल्दी नींद खुल जाना जैसी स्थितियां अनिद्रा रोग (इंसोम्निया / Insomnia) के अंतर्गत आती हैं। अनिद्रा रोग में उचित समय पर या पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं आती है।
अनिद्रा (नींद न आना) के कारण :
नींद न आने के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें –
- अधिक मानसिक परिश्रम करना,
- मानसिक तनाव,
- मानसिक उत्तेजना बढ़ाने वाले पदार्थ-चाय, कॉफी, मदिरापान, धूम्रपान, गुटखा, तंबाकू आदि का अधिक मात्रा में सेवन,
- भय, ईर्ष्या, चिंता, क्रोध, प्रतिशोध की भावना,
- आकांक्षा की पूर्ति न होना तथा आत्मग्लानि आदि मनोविकार,
- श्रम बिल्कुल न करना,
- बैठे रहकर आरामतलब जीवन गुजारना,
- अधिक भोजन करना,
- कब्ज, गैस, अपच, दमा, खांसी, बदन दर्द जैसी तकलीफें आदि प्रमुख हैं।
- बिस्तर का अनुकूल न होना,
- मच्छर और खटमलों का काटना आदि कारण भी नींद खराब करते हैं।
अनिद्रा (नींद न आना) के लक्षण :
कुछ लक्षणों से इंसोम्निया (Insomnia) का अंदाजा लगाया जा सकता है –
- नींद न आने से किसी काम में मन न लगना,
- चिड़चिड़ापन,
- थकान,
- कमजोरी,
- याददाश्त की कमी,
- सिर दर्द जैसे कष्ट के लक्षण उत्पन्न होते हैं।
- आवश्यक ध्यान न दिए जाने पर ये गंभीर रोगों में बदल जाते हैं।
अनिद्रा (नींद न आना) में क्या खाएं :
- भोजन में रेशे (फाइबर) युक्त पदार्थों जैसे-चोकर युक्त आटे की रोटी, दलिया,
- दालें, केला, आम, अमरूद, अंगूर, अंजीर, खजूर, पालक, गाजर, शलगम, पत्ता गोभी, आलू, कद्दू चुकंदर का अधिक सेवन करें, ताकि कब्ज की समस्या पैदा न हो।
- करमकल्ला की सब्जी घी में छौंक कर सुबह-शाम कुछ दिन खाएं।
- सोने के समय से एक घंटे पूर्व एक गिलास मीठे दूध में एक चम्मच शुद्ध घी मिलाकर पिएं।
- सोने से पूर्व आम या गाजर का रस आधा गिलास पिएं।
- सेब का मुरब्बा भोजन के साथ दोनों समय सेवन करें।
अनिद्रा (नींद न आना) में क्या न खाएं :
- रात का भोजन अत्यधिक वसा युक्त और अधिक मात्रा में न खाएं।
- सोने से पूर्व गुटखा, तंबाकू, पान मसाले, मदिरा, चाय, कॉफी का सेवन न करें।
- भोजन में मांस या मिर्च-मसालों के अधिक सेवन से बचें।
अनिद्रा (नींद न आना) रोग निवारण में सहायक उपाय :
क्या करें –
- सोने के समय से 2-3 घंटे पूर्व ही भोजन कर लें।
- सोने से पूर्व मनपसंद संगीत सुनें, रोचक पुस्तक पढ़ें या भगवान का ध्यान करें।
- शाम को टहलने की आदत बनाएं।
- रोजाना कुछ-न-कुछ श्रम का कार्य करें
- पैर के तलवों पर सोने से पूर्व सरसों के तेल की मालिश करें।
- गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म पानी से पैर धोकर सोएं।
- सोने से पहले शौच या पेशाब से निवृत्त हो लें।
- बिस्तर आरामदायक एवं कमरा शांत, स्वच्छ व हवादार हो, इसका ध्यान रखें।
- सोने से पूर्व संभोग करने से शीघ्र और गहरी नींद आती है।
- सिर पश्चिम दिशा में रखकर सोने से शांत और सुखमय नींद आएगी।
- पीठ के बल लेटने की बजाय बाईं करवट सोने की आदत डालें।
क्या न करें –
- बिस्तर पर लेटकर दिन भर के काम-काज का लेखा-जोखा, किसी प्रकार की चिंता या परेशानियों पर विचार न करें।
- सोने से पूर्व बिस्तर पर लेटकर टी.वी. न देखें।
- सोने के कमरे की रोशनी खुली न छोड़ें।
- सोने का स्थान रोज-रोज न बदलें।
- ‘मुझे नींद नहीं आएगी’ जैसे विचार मन में न लाएं।
- नींद लाने वाली गोलियां अपनी मर्जी से सेवन न करें।
- सिर को पश्चिम या उत्तर दिशा की तरफ रख कर न सोएं। सोते समय अपना सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।
सोते समय दक्षिण दिशा में हो सिर
दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ के साथ सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिशा में पैर करके सोने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं इस दिशा में पैर करके सोने से धन हानि, मृत्यु और रोग का भय रहता है। इसलिए उत्तर दिशा में भूलकर भी सिर रखकर नहीं सोना चाहिए। सोते समय ध्यान रहे कि आपका सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में हो तथा पैर उत्तर या पश्चिम दिशा में हों।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों के अनुसार दो धनात्मक प्रवाह या दो ऋणात्मक प्रवाह जब आपस में मिलते हैं, तो यह एक दूसरे से दूर भागते हैं। इसलिए यदि आप दक्षिण में पैर करके सोते हैं तो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। साइंस के सिद्धांतों के आधार पर यह सही साबित होता है। दरअसल सौरमंडल की चुम्बकीय तरंगे, दक्षिण से उत्तर दिशा में में चलती हैं। जब हम उत्तर दिशा में सिर करके सोते हैं, तो ये तरंगे सिर से होते हुए पैरों की तरफ गुज़र जाती हैं।
एक जगह पश्चिम दिशा में सोने की सलाह दी जा रही है और दूसरी जगह पश्चिम दिशा में सोने की मनाही की जा रही है।
किस दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए?