Last Updated on April 10, 2021 by admin
बेचारी नाक भी मुश्किल में पड़ जाती है। जरा-सा मौसम बदला नहीं कि वह पानी-पानी हो जाती है। छींकें बंद नहीं होतीं, आँखें और नाक चैन नहीं ले पाते और उनसे पानी टप-टप बहता रहता है। दोष होता है निगोडी एलर्जी का, जो किसी की झोली में आ जाए तो फिर जाने का नाम नहीं लेती।
एलर्जिक राइनाइटिस क्या है ? :
यह एक आमफहम व्याधि है, जिसमें एलर्जी के कारण बार-बार जुकाम हो जाता है। कुछ को यह किसी खास मौसम में ही तंग करती है, कुछ में छोटे से दौरे के रूप में प्रकट होती है, तो कुछ में यह पुरानी होकर इतनी ढीठ हो जाती है कि हर समय परेशान किए रखती है।
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यह क्यों होती है ? :
इसमें नाक कुछ जरूरत से ज्यादा तुनकमिजाज हो जाती है। उसकी अंदरूनी सतह कुछ चीजों के संपर्क में आते ही अपना विरोध प्रकट करने लगती है, जिससे नाक से पानी चूने लगता है। यह एक जटिल जैव-रासायनिक क्रिया है, जिसकी कई कड़ियाँ हैं। लेकिन खास बात यह कि सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह यह वायरस से नहीं होती कि हाथ मिलाते ही दूसरे को हो जाए और उसके भी पाँच-सात दिन चौपट कर जाए।
यह एलर्जी (एलर्जिक राइनाइटिस) किन-किन चीजों से हो सकती है ? :
यह बता पाना मुश्किल है। कुछ को कुछ खास पेड़-पौधों और फूलों के पराग कण से ही एलर्जी होती है, कुछ को हवा की नमी और वातावरण का तापमान तथा उसका घटना-बढ़ना नहीं सुहाता।
कुछ को धूल, फफूंद और पक्षियों के पंख से ही तकलीफ हो जाती है,कुछ बिल्ली, कुत्ते और दूसरे पालतू जानवरों का साथ नहीं सह पाते।
कुछ को खाने-पीने की चीजों से ही एलर्जी होती है। दूध, अंडे, मछली या कोई एक चीज लेते ही उनकी नाक विद्रोह कर जाती है। कुछ को कोई एक दवा नहीं रुचती। दर्द-निवारक एस्प्रिन और ऐंटिबॉयटिक दवाएँ खासकर दोषी पाई गई हैं।
यह किस उम्र में शुरू होती है ? :
अधिकतर मामले बीस से तीस साल की उम्र में शुरू होते हैं, ताउम्र बने रहते हैं, लेकिन कुछ को यह रोग बचपन में ही हो जाता है।
क्या एलर्जिक राइनाइटिस आनुवंशिक रोग है ? :
अधिकतर मामलों में अन्य परिवारजनों में भी कोई न कोई एलर्जी-जन्य रोग होता है, जिससे इसके आनुवंशिक होने की पुष्टि होती है।
एलर्जिक राइनाइटिस में क्या लक्षण पाए जाते हैं ? :
यह व्याधि जब दौरे के रूप में प्रकट होती है, तो अक्सर शुरू में नाक में खुजली होती है। फिर छींकें चालू हो जाती हैं और नाक से पानी बहने लगता है। आँखें लाल हो जाती हैं और उनसे भी पानी टपकने लगता है। यह दौरा कभी तो कुछ घंटे, कभी कुछ दिनों के लिए आता है, मगर जाने से पहले मरीज की हालत पतली कर जाता है।
कुछ में व्याधि पुरानी होकर हमेशा चिपकी रहती है। ऐसे में नाक अधिकतर समय बंद रहती है और उससे गाढ़ा स्राव गिरने लगता है, पर बीच-बीच में छींकें और नाक से पानी टप-टप गिरने के दौर भी आते हैं।
क्या एलर्जिक राइनाइटिस से निजात पाई जा सकती है ? :
ऐलोपैथी में इसे जड़ से दूर करने की कोई दवा नहीं है, पर दवाओं की सहायता से राहत पाई जा सकती है। अगर तकलीफ किसी खास मौसम में ही होती हो, तो बचने के लिए फिंटाल या इफिराल नेजल स्प्रे आजमा कर देखा जा सकता है। इसके कामयाब न होने पर एलर्जी से लड़नेवाली स्टीरॉयड नाक की दवा जैसे बैकलेट नेजल स्प्रे या राइनोकॉर्ट नेजल स्प्रे की सुबह और शाम डॉक्टरी सलाह के मुताबिक खुराक ली जा सकती है जिससे आराम मिल जाता है। अधिक तकलीफ होने पर साथ में ऐंटिहिस्टामीन दवाएँ जैसे ऐस्टीमाजोल, फिनाइलएफरीन, फेनरामिन मैलीएट, स्यूडॉफेडरीन वगैरह ली जा सकती है।
इन दवाओं में एक ही बड़ी कमी है कि लेने से नींद और सुस्ती छाई रहती है। लेकिन कोशिश की जाए तो अक्सर एक न एक ऐसी दवा मिल ही जाती है जो किसी व्यक्ति को माफिक आ जाती है और सुस्ती नहीं पैदा करती।
कुछ डॉक्टर नाक को सुखाने के लिए भी नाक में डालनेवाली दवा दे देते हैं, जो आराम तो देती है लेकिन लंबे समय तक डालते रहने से भविष्य के लिए मुश्किल खड़ी कर देती है। इसीलिए उसे डालने में कोई फायदा नहीं। इन डीकंजेस्टेंट दवाओं के साथ यह कमी भी है कि इन्हें बंद करते ही नाक में खून का दौरा बढ़ जाता है और नाक तेजी से टपकने लगती है।
ई.एन.टी. विशेषज्ञ या समझदार फेमिली डॉक्टर यह गलती नहीं करता। उससे इलाज लेने से रोग बहुत जल्दी सँभल जाता है।
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क्या होम्योपैथी में एलर्जिक राइनाइटिस का स्थायी उपचार है ? :
कुछ लोगों को अवश्य आराम मिला है, जिससे यह आजमाइश निश्चित ही सार्थक हो जाती है।
क्या ऐलोपैथी में किए जानेवाले एलर्जन टेस्ट और डीसेंसीटाइजेशन चिकित्सा निजात दिलाने में कामयाब नहीं ? :
यह एक बहुत मुश्किल काम है। पहले तो एलर्जन ही इतने हैं कि हरेक के लिए टेस्ट कर पाना नामुमकिन नहीं तो बहुत मुश्किल जरूर है। फिर डीसेंसीटाइजेशन चिकित्सा की कामयाबी भी सदा संदेहास्पद ही रही है।
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क्या किसी तरह का परहेज फायदा दे सकता है ? :
हाँ, अगर यह पता चल जाए कि किस चीज से एलर्जी है, तो उससे बचने की कोशिश की जा सकती है। जैसे किसी खानपान या दवा से, धूल-भरी आँधी से, कूलर की हवा से, पालतू जानवर से, सर्द-गर्म से, वगैरह।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)