नाक की एलर्जी का आयुर्वेदिक इलाज – Naak ki Allergy ka Ayurvedic Ilaj in Hindi

Last Updated on October 27, 2020 by admin

नाक की एलर्जी रोग क्या है ? (Allergic Rhinitis in Hindi)

बार-बार छींकें आना, नाक बंद होना, नाक से पानी आना, कुछ देर बाद साँस लेने में कष्ट होना, गले में खराश ये लक्षण नियमित रूप से या सुबह के समय दिखाई देते हैं। इस कारण दैनिक जीवन के काम में परिवर्तन हो जाता है। इसे ही आधुनिक काल में एलर्जिक रायनाइटिस (नाक की एलर्जी) कहा जाता है। ये लक्षण 4-6 माह से 6-7 साल तक दिखाई दे सकते हैं। इसे ही पुराना जुकाम भी कहा जाता है।

नाक की एलर्जी (एलर्जिक रायनाइटिस) दीर्घकाल तक चलनेवाली बीमारी है। प्राथमिक जाँच करने से कई बार इसका पता नहीं चलता। नाक में शोथ, बहती नाक और छींकें सामान्य लक्षण हैं। इस बीमारी का प्रभाव दैनिक जीवनचर्या, काम की गुणवत्ता और नींद पर भी होता है।

हमारे देश में चालीस प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। जो लोग पुराने जुकाम से ग्रस्त हैं, उनमें से 10-20 प्रतिशत लोग नाक की एलर्जी से पीड़ित होते हैं।

( और पढ़े – एलर्जी क्या है ? कारण ,लक्षण और बचाव )

नाक की एलर्जी के जोखिम कारक क्या है ? (Allergic Rhinitis Risk Factors in Hindi)

नाक की एलर्जी को उत्तेजित करनेवाले कारण निम्नलिखित हैं।

  • धूलिकण
  • काकरोच
  • फफूंद
  • फूलों के परागकण
  • पालतू पशु – कुत्ते, बिल्ली
  • ठंडा वातावरण – एसी
  • तम्बाकू, सिगरेट का धुआँ
  • आद्रता, नमी
  • सामान्य पौधे – सदाबहार, मोगरा, गुडहल
  • धुआँ, कोहरा
  • कुछ दवाएँ – बीटा ब्लॉकर, एनसेड्स, एसी इ.
  • हेयर डाई, केमिकल्स
  • सौंदर्य प्रसाधन

ऋतु के अनुसार तीव्रता बढ़ानेवाले कारक :

  • शरद ऋतु (Ragweed)
  • ग्रीष्म ऋतु (घास)
  • वसंत ऋतु (वृक्ष परागण)
  • ग्रीष्म, शरद (पत्तियों पर जमी फफूंद)

सदा रहनेवाले तीव्रता कारक :

  • पालतू पशु और पशुओं का मल
  • धूल
  • घरेलू कीटाणु
  • वाल पेपर
  • घरेलू पौधे
  • धुआँ
  • कोहरा

जो पदार्थ शरीर में एलर्जी उत्पन्न करे उसे एलर्जन कहा जाता है। हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता घातक रोगाणु और विषाणु का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त होती है लेकिन धूल, धुआँ, परागकण आदि सामान्य पदार्थों का नाक में प्रवेश होने पर नाक की त्वचा का दाह होता है (inflammatory response) जिससे नाक की अंदरूनी त्वचा में खुजली, खाँसी, आँखें लाल हो जाना, पानी आना, छींकें आना, आदि लक्षण नाक की एलर्जी में दिखाई देते हैं।

निचले और ऊपरी श्वसन तंत्र रक्तवाहिनियों, श्लेष्मल त्वचा और नर्स से बना होता है। ऊपरी श्वसन तंत्र में एलर्जन का प्रवेश होने पर स्थानीय दाहक प्रक्रिया आरंभ होती है। इसीलिए नाक की एलर्जी और दमा एक साथ देखे जाते हैं। नाक की एलर्जी (एलर्जिक रायनाइटिस) में inflammatory cells sta foto mast cells, CD4-positive T cells, B Cells, macrophages, eosinophils का अत्यधिक मात्रा में निर्माण होता है। इससे नासिका शोथ होता है। फिर हिस्टामाइन और ल्यूकोट्राइंस का भी निर्माण होता है। खुजली, नाक से द्रव का बहना, खाँसी और मांसपेशियों का सिकुड़ना बढ़ता ही जाता है।

नाक की एलर्जी के प्रकार (Types of Allergic Rhinitis in Hindi)

नाक की एलर्जी (एलर्जिक रायनाइटिस) की तीव्रता के अनुसार इसका वर्गीकरण किया जाता है।

  1. कभी-कभी होनेवाला – लक्षण छः हफ्ते से कम दिखाई देते हैं।
  2. सौम्य – दिनचर्या, काम और नींद कम प्रभावित होती है। लक्षण कम दिखाई देते हैं।
  3. बार-बार होनेवाला – छः सप्ताह से अधिक दिनों तक लक्षण दिखाई देते हैं।
  4. लक्षण ज़्यादा और तीव्र प्रमाण में होना – दिनचर्या, काम और नींद सभी प्रभावित होते हैं।

नाक की एलर्जी के क्या लक्षण होते हैं ? (Allergic Rhinitis Symptoms in Hindi)

एलर्जन का प्रभाव होते ही दिखाई देनेवाले लक्षण –

  • नाक, मुँह, आँखें, गला और त्वचा पर खुजली
  • नाक से पानी आना
  • गंध का ज्ञान न होना
  • छींकें आना
  • आँखों से पानी आना

बाद में दिखाई देनेवाले लक्षण –

  • नासिकाशोथ
  • खाँसी
  • गंध का ज्ञान न होना
  • कान बंद हो जाना
  • थकान
  • चिड़चिड़ापन
  • आँखों के नीचे काले घेरे

रोगी का परीक्षण :

रोगी का परीक्षण और इतिहास निदान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

  1. रोगी के निवास और काम की जानकारी।
  2. रोगी को मुँह में छाले, दमा, मुख से साँस लेना, सायनस की तकलीफ बार-बार होना, पॉलिप्स, कान में शोथ और खर्राटे आदि की जानकारी।
  3. सर्दी कब-कब और कितनी कालावधि तक होती है इस बात की जानकारी।
  4. रोगी की वर्तमान में और पहले से चल रही दवाओं की जानकारी।
  5. लक्षणों में समय और ऋतु के अनुसार बदलाव की जानकारी।
  6. घर में पालतू जानवरों के बारे में जानकारी।
  7. आहार में परिवर्तन की जानकारी।

निदान के लिए की जानेवाली जाँचें (Diagnosis of Allergic Rhinitis in Hindi)

  1. स्किन प्रिक टेस्ट : यह जाँच तीव्रता कारक का पता लगाने के लिए की जानेवाली प्राथमिक जाँच है।
  2. संभावित एलर्जी कारक की एक बूंद पीठ या हाथ की त्वचा पर रखकर एक सुई चुभोई जाती है। 15-20 मिनट में उस स्थान पर सूजन या लाली आ जाती है।
  3. CBC
  4. IGE (RAST) test
  5. Eosinophils count

( और पढ़े – नाक की एलर्जी के घरेलू उपाय )

नाक की एलर्जी का आयुर्वेदिक उपचार (Allergic Rhinitis Ayurvedic Treatment in Hindi)

नाक की एलर्जी के आयुर्वेदिक इलाज में निम्न उपाय किए जा सकते हैं –

1). स्नेहन कर्म (शिरोअभ्यंग और स्नेह पान) : वातहर द्रव्यों के प्रयोग से शिरोअभ्यंग किया जाना चाहिए। आभ्यंतर स्नेहपान – रास्नादि घृत 10 मिली सुबह
विदारिगंधादि घृत – 10 मिली सुबह

2). स्वेदन कर्म : सिर दर्द हो तो उपनाह स्वेद करवाएँ।

3). स्निग्ध धूमपान (धूमनस्य) : एरंड, बला, बिल्व, आरग्वध, वासा और घृत से धूमपान किया जाना चाहिए।

4) स्नेह नस्य : तिल तेल, बकरी का दूध और यष्टिमधु चूर्ण से नस्य करना चाहिए।

नाक की एलर्जी की आयुर्वेदिक दवा (Allergic Rhinitis Ayurvedic Medicine in Hindi)

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंतर्गत निम्न औषधियों का प्रयोग चिकित्सक परामर्शानुसार प्रयोग करने पर लाभदायक है।

  1. त्रिभुवनकीर्ति रस 125 मि. ग्राम दिन में तीन बार
  2. चंद्रकला रस 250 मि. ग्राम तीन बार
  3. लक्ष्मीविलास रस 250 मि. ग्राम तीन बार
  4. नारदीय लक्ष्मीविलास रस 125 मि. ग्राम तीन बार
  5. नाग गुटी 125 मि. ग्राम तीन बार
  6. Cap.Nilsin (Phytopharma) तीन बार
  7. Tab. Septilin (Himalaya wellness) तीन बार
  8. वासावलेह 5 मि. ग्राम दो बार
  9. चित्रक हरीतकी अवलेह 5 मि. ग्राम दो बार
  10. कण्टकारी अवलेह 5 मि. ग्राम दो बार

नाक की एलर्जी से बचाव (Prevention of Allergic Rhinitis in Hindi)

निम्न निर्देशों का पालन करके एलर्जिक रायनाइटिस के जोखिम को कम कर सकते हैं –

  • एलर्जन से दूर रहें।
  • पालतू पशु, धूल, फफूंद से बचें।
  • यही सबसे अच्छा तरीका है।
  • घर में नमी 50 प्रतिशत रखें।
  • खिड़कियाँ बंद रखें। हर सप्ताह घर की बहुत अच्छी तरह सफाई करें।
  • रोगाणु नाशक दवा का छिड़काव करवाएं।
  • विटामिन सी से भरपूर भोजन, फल, सब्ज़ी का सेवन करें। जैसे आँवला, अमरूद आदि।
  • चादरें, बिस्तर, खिलौने हर सप्ताह पानी से धोएँ।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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