नाक का बंद होना : लक्षण ,कारण और इलाज | Naak Band Hone ka Ilaj

Last Updated on June 24, 2020 by admin

बन्द क्यूं होती है हमारी नाक :

प्रायः कफ प्रकोप के कारण सर्दी-जुकाम से ग्रस्त होने पर नाक में श्लेष्मा जम जाती है और नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है तब व्यक्ति मुंह से सांस लेने पर विवश हो जाता है। नाक के बन्द होने का यह तो एक आम अहम कारण है पर इसके कुछ और भी कारण होते हैं। इन्हीं कारणों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए डॉ. विजय चौरड़िया से इण्टरव्यु लेकर यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।

प्रश्न – डॉक्टर साहब, यह तो प्रायः सभी जानते हैं कि सर्दी हो जाने से जब नाक ठस जाती है तो बन्द हो जाती है पर क्या इसके और भी कारण होते हैं ?

डॉ. विजय चौरड़िया – जी हां, और भी कारण होते हैं जैसे मेकेनिकल आब्स्ट्रक्शन यानी यान्त्रिक अवरोध या फंक्शनल आब्स्ट्रक्शन यानी गति अवरोध जो या तो रक्त-संचार की अनियमितता से या नेज़ल वाल्व के ठीक से काम न करने के कारण होता है। रोग के प्रभाव से भी यह स्थिति पैदा हो जाती है।

प्रश्न – कृपया नाक बन्द होने के कारणों की जरा खुलासा तौर पर चर्चा करें।

डॉ. विजय चौरड़िया – नाक बन्द होने के कुछ कारण इस प्रकार हैं-

पहला कारण तो वही है जो आपने अभी बताया था यानी सर्दी हो जाना। साधारणतः सर्दी-जुकाम, जिसे ‘कामन-कोल्ड’ कहते हैं।

  • सर्दी-जुकाम के अलावा इन्फ्लुएंज़ा हो जाना ।
  • वायरल या बेक्टीरियल इन्फेक्शन हो जाना भी इसमें कारण हो जाता है।
  • नाक की टी.बी. होना भी एक कारण होता है जो कि बहुत ही कम लोगों को होता पाया जाता है।
  • इसके अलावा कुछ प्रमुख कारण होते हैं जैसे एडिनाइड टांसिल्स बढ़ जाना । यह बच्चों में आमतौर से पाया जाता है।
  • साइनस में संक्रमण होने से नाक बन्द हो जाती है।
  • भोजन में लम्बे समय तक विटामिन ‘ए’ की कमी रहे तो नाक बन्द हो जाया करती है।
  • एट्रोफिक राइनाइटिस यानी पीनस रोग
  • हो जाने से नाक से गाढ़े-गाढ़े टुकड़े निकलते हैं और दुर्गन्ध आती है।
  • नाक के बीच की हड्डी आड़ी-टेढ़ी हो जाने से नाक बन्द हो जाती है।
  • नाक पर चोट लगने से या बच्चे के जन्म से ही ऐसी स्थिति होती है।
  • नाक पर लगी चोट से निकला हुआ खून जम जाए तो नाक बन्द हो जाती है।
  • नाक और साइनस में गठान या मस्से होने या कैंसर होने से नाक बन्द हो जाती है।
  • लम्बे समय तक नाक और साइनस के संक्रमण का इलाज न होने पर टर्बिनेट्स बढ़ जाने या मस्सा बन जाने से नाक बन्द हो जाती है।
  • नाक में कंकर बीज या कोई और चीज़ अन्दर जाकर फंस जाए और न निकले तो इसके आस पास मांस जमने लगता है जिसे रिनोलिथ कहते हैं। इसमें नाक से बदबू आने लगती है और पस बहता रहता है।
  • अज्ञात कारणों से ‘तंत्रिका तन्त्र’ के दोनों अवयवों- सिम्पेथेटिक और पेरासिम्पेथेटिक सिस्टम- में असन्तुलन हो जाने से नाक के अन्दर रक्त प्रवाह परिवर्तित हो जाता है और इसमें सूजन आ जाती है तथा म्यूकस यानी नाक की श्लेष्मा जिसे प्रचलित भाषा में नाक ही कहते हैं अधिक पैदा होने लगती है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसे वासोमोटर राइनाइटिस कहते हैं।

प्रश्न – यह दशा क्यों पैदा होती है ?

डॉ. विजय चौरड़िया – इसके भी कुछ कारण होते हैं जैसे –

  • अचानक तापमान में परिवर्तन होने का शरीर पर प्रभाव पड़ना जैसे बार-बार एयर कण्डीशण्ड स्थान में जाना आना, अचानक ठण्डे फर्श पर नंगे पैर रखना आदि।
  • मानसिक स्थिति की कुछ स्थितियां भी कारण बन जाती हैं जैसे गुस्सा करना, ज्यादा डरना या चिन्ता करना, हीनभावना, बहुत बोलना या वाद-विवाद करना, स्त्रियों की गर्भावस्था आदि ।
  • शरीर में हारमोनल सन्तुलन बिगड़ जाना जो कि थायरायड ग्रन्थि के ठीक से काम न करने, गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने और गर्भावस्था में होने वाली कुछ परिस्थितियों के कारण होता है।
  • एक स्थिति एलर्जिक राइनाइटिस होना होती है जिसमें धूल, पोलेन यानी फूल-पत्ती आदि, जानवरों की त्वचा या ऊन, दूध, अण्डे, चाकलेट, सूखे फल, मूंगफली आदि से नाक में विभिन्न परिवर्तन होते हैं जो नाक बन्द होने या बहने या छींकने आने का कारण बन जाते हैं। ऐसा होना एलर्जी कहा जाता है।
  • एक कारण लम्बे समय तक नाक में नेज़ल ड्रॉप्स की बूंदें डालना होता है। इससे जो स्थिति बनती है उसे राइनाइटिस मेडिकामेण्टोसा कहते हैं।
  • कुछ कारण जन्मजात होते हैं जैसे नाक की बनावट मे खराबी होना, टर्बिनेट्स की असंगतियां, नाक के छिद्रों का आधा या पूरा बन्द होना जिसे एट्रेशिया कहते हैं और जिसका इलाज शीघ्र होना चाहिए।
  • कभी-कभी नाक के आपरेशन के बाद तब यह स्थिति पैदा होती है जब आपरेशन ठीक से न किया गया हो, ज्यादा हड्डी निकाल ली गई हो।

प्रश्न – नाक के बन्द रहने के शरीर पर क्या-क्या कुप्रभाव पड़ते हैं ?

डॉ. विजय चौरड़िया – नाक बन्द होने से –

  1. बेचैनी होती है ।
  2. मन में उच्चाटन होने से काम में चित्त नहीं लगता जिससे कार्यक्षमता में कमी होती है ।
  3. मस्तिष्क में आक्सीजन कम पहुंचता है और बार-बार संक्रमण होता है।
  4. कान में खुजली या दर्द होना।
  5. कान से मवाद आना ।
  6. कान का पर्दा चिपक जाना या बहरापन होना आदि।इसीलिए कई बार कान का आपरेशन करने से पहले नाक या एडिनाइड के आपरेशन की सलाह दी जाती है।
  7. सोते समय नाक से खर्राटे या विचित्र प्रकार की आवाज़ आना।
  8. कुछ मरीज़ो को ‘स्लीप एपनिया’ हो सकता है जिसमें 10 से 30 सेकण्ड के लिए सांस रुक जाती है और सोया हुआ व्यक्ति घबरा कर जाग जाता है। ऐसे व्यक्ति रात को ठीक से सो नहीं पाते और दिन में सोने की कोशिश करते हैं या आलस्य का अनुभव करते हैं।
  9. हृदय पर और ब्लड प्रेशर पर भी कुप्रभाव पड़ता है।
  10. नाक बन्द होने पर मुंह से सांस लेना पड़ता है जिससे मुंह और कण्ठ सूख जाता है, आवाज़ बदल जाती है, गले और फेफड़ों में संक्रमण यानी इन्फेक्शन हो जाता है।
  11. कोई-कोई रोगी ठीक से सूंघ नहीं पाता और स्वाद का सही अनुभव नहीं कर पाता। इससे अरुचि हो जाती है और भूख में कमी हो जाती है।
  12. नाक से बदबू आने लगती है, स्वर बिगड़ जाता है, साइनस और स्वर यन्त्र में विकार होने से आवाज़ बैठी से मालूम देती है।

प्रश्न – इन सबकी रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए ? (नाक का बंद होना – बचाव के उपाय)

डॉ. विजय चौरडिया – नाक और गले में कोई विकार पैदा हो तो लापरवाही न करके तुरन्त उचित इलाज करना चाहिए।

  • बच्चों को एडिनाइड टांसिल्स में संक्रमण होने पर शीघ्र इलाज करना, सर्दी-जुकाम होने पर पर्याप्त आराम, गर्म पदार्थों का सेवन, ठण्डी चीज़ों से परहेज़ करना आदि ज़रूरी होता है।
  • नाक और मुंह से बफारा लेने से इसमें आराम होता है।
  • एलर्जी के कारणों का पता लगा कर उन कारणों से बचाव करना चाहिए।
  • अचानक ताप परिवर्तन से और अत्यन्त ठण्डे फर्श पर नंगे पैर चलने से बचना चाहिए।
  • लम्बे समय तक नाक में नेज़ल ड्रॉप्स न डालें।
  • भोजन में पर्याप्त पोषक तत्व वाले द्रव्यों का सेवन करना चाहिए।
  • हर तरह से शीत से बचाव करना चाहिए। उन सभी कारणों से बचना चाहिए जिनकी चर्चा मैं अभी कर चुका हूँ ।

प्रश्न – इस व्याधि का इलाज क्या है ? (नाक बंद होने का इलाज)

डॉ. विजय चौरड़िया – खान पान और रहन सहन में सुधार करना, परहेज़ का सख्ती से पालन करना और उचित इलाज करने से यह व्याधि ठीक हो जाती है और यदि न हो तो फिर आपरेशन कर विकृति ठीक की जाती है ताकि सांस की रुकावट दूर हो और बंद सांस खुल सके।
आम तौर से हम किसी एक तरफ़ की नाक से अच्छी तरह सांस लेते हैं और दूसरी तरफ़ की
नाक से कम लेते हैं। यह स्थिति थोड़ी-थोड़ी देर में बदलती भी रहती है। इस चक्र में बाधा पड़ती है तो पेराडाक्सिकल नेज़ल आब्स्ट्रक्शन हो जाता है यानी दायीं नाक में हड्डी टेढ़ी होती है और मरीज तकलीफ़ बायीं ओर होना बताता है। यदि सामान्य इलाज से भी नाक बन्द रहना और सांस में रुकावट होना ठीक न हो या नाक के अन्दर कोई मस्सा हो और ठीक न होता हो तो आपरेशन करना पड़ता है।

बंद नाक खोलने के कुछ आसान घरेलू उपाय (band naak kholne ke upay)

  1. अजवाइन का तेल गर्म करके पेट पर मालिश करने से या नाक पर मलने से बंद नाक खुल जाती है।
  2. बंद नाक खोलने के लिये आपको ग्रीन टी, पिपरमिंट और अदरक कि चाय पीनी चाहिये। ये गरम तरल आपकी नाक खोल देती है और परेशानी से राहत दिलाती है।
  3. कपूर का सूंघना भी बंद नाक को खोलने का अच्छा तरीका है। आप चाहें तो इसे सादा या नारियल तेल के साथ मिलाकर सूंघ सकते हैं।
  4. बंद नाक खोलने के लिये पानी गरम कीजिये और ऊपर से साफ तौलिया ओढ़ कर भाप लीजिये। अगर आपके डॉक्‍ट ने कोई दवा बताई है तो , उसे पानी में डाल कर भाप लीजिये।

प्रश्न – अन्तिम प्रश्न, क्या सायनस को बार-बार पंक्चर करना ज़रूरी होता है?

डॉ. विजय चौरड़िया – हरगिज़ नहीं, वैसे भी पंक्चर करने की ज़रूरत ही नहीं पड़नी चाहिए। उचित इलाज करके रोग के कारण दूर कर दिये जाएं तो पंक्चर करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
हमने डॉ. विजय चौरड़िया { M.S. (ORL)} को धन्यवाद दिया और इण्टरव्यु समाप्त कर दिया।

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