नाक की एलर्जी के घरेलू उपाय ,दवा और उपचार | Naak ki Allergy ke Gharelu Upay in Hindi

Last Updated on June 21, 2022 by admin

नाक की एलर्जी के लक्षण : Naak ki Allergy ke Lakshan in Hindi

एलर्जिक राइनाइटिस, एलर्जन्स के प्रति नाक के अन्दर के अस्तर की अतिसंवेदनशील प्रतिक्रिया होती है, जिसके कारण छींकें आना, नाक बन्द रहना, नाक से पानी बहना, आंखों में लालपन एवं खुजली चलना एवं कई बार श्वास की नली के संकुचन से श्वास लेने में तकलीफ़ होना प्रमुख शिकायतें होती हैं।

एलर्जी की तीव्रता अधिक होने पर कान में भारीपन या आवाज़ आना, चेहरे पर दबाव रहना, गले में खुजली-खराश रहना, खांसी, थकान एवं शरीर में हरारत रहना जैसी तकलीफें भी हो सकती हैं।

नाक की एलर्जी के प्रमुख कारण : Naak ki Allergy ke Karan in Hindi

प्रमुख एलर्जन्स निम्न में से एक या अनेक हो सकते हैं :-

  1. पौधों-वृक्षों-घास-घासपात के परागकण, फफूंद के बीजाणु एवं मायसिलिया ।
  2. घर की धूल जिसमें पालतु जानवर का डैण्डर, रूई के रेशे, माइट्स एवं उनके वेस्ट मटीरियल्स, फफूंद के बीजाणु भी होते हैं, घर में पालतु जानवर का डैण्डर,लार, पेशाब एवं कभी कभार काकरोच।
  3. बहुत सारे एलर्जन्स अतिसूक्ष्म होते हैं एवं आँखों से दिखाई नहीं देते। यह धारणा सही नहीं है कि फूलों से भी एलर्जी होती है।
  4. नाक की एलर्जी में खाद्यपदार्थों की भूमिका बहुत ही कम मरीज़ों में होती है, पर कुछ सामान्य एलर्जन खाद्य पदार्थ हैं- दूध, चाकलेट, मछली, अनाज (मक्का, दालें, बेसन) अण्डे, मूंगफली।
  5. एलर्जी या तो किसी मौसम विशेष में होती है जैसे गर्मी, शरद या बसन्त ऋतु के पहले (पराग कणों द्वारा) जिसे सीजनल एलर्जी कहते हैं या पेरेनियल प्रकार की होती है जिससे मरीज साल भर एलर्जी से ग्रसित रहता है । (धूल, फफूंद पालतु जानवर), दोनों प्रकार की मिक्स एलर्जी भी हो सकती है। आइये जाने नाक की एलर्जी के लिए क्या करें ?

नाक की एलर्जी से बचाव एवं घरेलू उपचार :

नाक की एलर्जी से बचने के उपाय ही नाक की एलर्जी का प्रमुख इलाज है।

धूल माइट्स नियन्त्रण से नाक की एलर्जी के घरेलू उपाय :

  • साफ सुथरी समतल दीवालें, फर्श, आंगन या अन्य सतहें रखने की सलाह ऐसे मरीज़ को दी जाती है।
  • धूल पकड़ने वाले रोएंदार जानवर, कालीन या कारपेट, दम घोटने वाले पर्दे, वेनेशियन ब्लाइंड, ताक या खुली अलमारियाँ, गद्देदार फर्नीचर एवं खोलें-घर में न हों।
  • गद्दियां, तकिये, रजाइयां, किताबें, साज सामान में धूल, माइट्स एवं एनीमल डैण्डर इकट्ठा होता है, अत: इनकी नियमित देखभाल, सफाई आवश्यक होती है ।
  • गद्दे तकिये, रजाइयों,कंबल की खोल वायुरहित होना चाहिए । गद्दों पर नियमित चद्दर बिछाएँ । कंबल प्रयोग न करें ।
  • सिन्थेटिक्स तकिये हर तीसरे साल बदलें।
  • आसानी से धुलने वाले या प्लास्टिक या पेक्सीग्लास के पर्दे प्रयोग में लाएं।
  • रोएंदार खिलोने एवं पक्षियों के पंख घर में ना रखें, प्लास्टिक या लकड़ी के खिलौने रख सकते हैं।
  • कारपेट का प्रयोग न करें,पर यदि सम्भव नहीं हो तो कम रोएंदार कालीन ही प्रयोग में लाएं।
  • गलीचे-बिस्तर, फर्नीचर आदि को नियमित धूप एवं हवा दिखाएं ताकि माइट्स मर जाएं ।
  • घर की नियमित सफाई वेक्यूम क्लीनर द्वारा करें, खासकर ऐसे आधुनिक प्रकार के जो बहुत ही छोटे कणों की धूल की सफाई करने में सक्षम हों ।
  • गीला पोछा लगा कर फर्श-आंगन साफ़ करने की देशी विधि ही सही है।
  • एलर्जी से ग्रसित व्यक्ति को घर की साफ़-सफ़ाई नहीं करनी चाहिए एवं सफ़ाई के दौरान तथा कुछ समय बाद तक उस कमरे में नहीं जाना चाहिए।
  • माइट्स 50 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता में ज्यादा पनपते हैं । अत: आर्द्रता इससे कम करने से माइट्स की वृद्धि कम होती है तथा माइट्स वेस्ट मटरियल्स भी कम होते हैं।
  • माइट्स एलर्जिक व्यक्ति के घर में ह्यूमिडिफायर नहीं लगाना चाहिए।
  • अधिक आर्द्र महीनों में डियूमिडिफायर लगाने से आर्द्रता कम होती है ।
  • बाथरुम में, घर के बाहर की तरफ खुलती खिड़की भी घर की आर्द्रता को कम रखती है । ☛ फफूंदनाशी या केमिकल एकेरिसाइड जैसे मेलेथायान, क्लोरडेन भी हर तीसरे महीने छिड़कने से माइटस एवं फफूंद दोनों ही नष्ट होते हैं (माइट्स, वृद्धि के लिए फफूंद पर ज्यादा निर्भर होते हैं अत: फफूंद कम होने सेमाइट्स भी कम होते हैं।) हालाकियह महंगी इलाज विधि है। एर्लजन्स बेन्झाइल टेनेट – छिड़काव द्वारा भी परिवर्तित किये जा सकते हैं।

नाक की एलर्जी से बचने के उपाय में फफूंद नियन्त्रण है फायदेमंद :

  1. गीलेपन एवं सड़न पर नियन्त्रण, फफूंद नियन्त्रण करने का मुख्य तरीक़ा है।
  2. वातानुकूलन का प्रयोग यदि सम्भव हो तो बेहतर रहता है, क्योंकि धूल एवं परागकणों को भी यह कम करता है।
  3. 50 प्रतिशत से कम आर्द्रता रखने से फफूंद की वृद्धि कम होती है ।
  4. दीवाल, गलीचों, फर्श को गीला होने से रोकें ।
  5. टपकती छत को सुधरवाएं।
  6. नलकारी, रेगनेवाली जगहें, तलघर, वातानुकूलन की नियमित देखरेख करें एवं आवश्यक होने पर सुधरवाते रहें।
  7. गमले एवं पौधों की गीली मिट्टी – मोल्ड या फफूंद के लिए वरदान होती है अत: इन्हें घर के अन्दर न रखें।
  8. बाथरूम, रसोईघर एवं अन्य गीले क्षेत्रों में नियमित रूप से कीटनाशक जैसे नेटामायसिन या क्लोरीन छिड़कते रहें।
  9. संग्रहीत पुरानी किताबें, जूते, कपड़े आदि पर मोल्ड इकट्ठे होते हैं, अत: इन्हें बन्द अलमारी में रखें, व्यर्थ में संग्रह न करें। इन पर फफूंदनाशक भी छिड़कते रहें। समय-समय पर ऐसे अनावश्यक संग्रहीत समान फेंकते रहें।
  10. धान, अनाज, घास को ज्यादा संग्रहीत न करें। एलर्जी से ग्रसित व्यक्ति को घास की कटाई, पौधों को कतरनें एवं पत्तियों को बटोरने जैसे कार्य नहीं करना चाहिए।
  11. घर के आसपास गीले एवं सड़न वाले क्षेत्र न बनने दें, हों तो साफ़ करवाएं, कीटनाशक छिड़काव करवाएं।

पालतू जन्तु के डैण्डर पर नियन्त्रण से नाक की एलर्जी का इलाज :

  • एलर्जिक व्यक्ति के घर में पालतू जानवर नहीं रखें।
  • बिल्ली का डैण्डर हलका होता है एवं फर्नीचर, पर्दो आदि से चिपकता है। कुत्ते का डैण्डर भारी होता है एवं ज़मीन पर रहता है। दोनों के नियन्त्रण हेतु वेक्यूम क्लिनिंग एवं उपर बताए अनुसार धूल नियन्त्रण के अन्य तरीके अपनाएं ।
  • यदि पालतू जानवर रखना ही हो तो, कम से कम सोने वाले कक्ष में न रखें एवं एक ही बिस्तर पर तो कभी नहीं सुलाएं। बिल्ली से कम से कम सम्पर्क रखें एवं नियमित निहलवाएं। यदि एलर्जी से ग्रसित व्यक्ति का परिवार इस संदर्भ में सलाह मांगता है तो कुत्ते बिल्ली की जगह मछलियां या डैण्डर पैदा न करने वाला प्राणी रखने की सलाह दी जाती है।

पराग कण नियन्त्रण भी है नाक की एलर्जी का उपाय :

यह नियन्त्रण हालाकि बहुत मुश्किल होता है परन्तु कुछ उपाय फायदेमन्द होते हैं: –

  1. खिड़कियाँ-दरवाजे, बरसात के कुछ समय बाद एवं अधिक पराग वाले मौसम या समय में बन्द रखें ।
  2. गीली सतहों या घास पर सोना, चलना आदि न करें, खासकर सूर्यास्त के बाद एवं एकदम सुबह-सुबह ।
  3. घर आंगन में पौधे-गमले नहीं रखें।
  4. कार्यक्षेत्र या घर के आसपास की गाजर घास साफ करवाएं।
  5. घर के बाहर एवं जंगल में ज्यादा न जाएं।
  6. कार की खिडकियां बन्द कर चलाएं।
  7. कार्य, कार्यस्थल या कक्ष को बदलें जैसे उद्योगों में कार्यरत व्यक्ति को कार्य की वजह से एलर्जी होने पर, कार्य बदलना चाहिए। यदि सम्भव हो तो किसान को (एलर्जी से ग्रसित होने की दशा में) अधिक परागकणवाली हवाओं के मौसम के समय, स्थान बदल लेना चाहिए ।
  8. एलर्जी से ग्रसित किसानों को थ्रेशिंग, फसल कटाई जैसी गतिविधियां नहीं करना चाहिए ।
  9. एलर्जी से ग्रसित व्यक्ति को गोबर खाद बनाने, घास कटाई, पौधे कतरने एवं पत्तियों को इकट्ठे करने जैसे कार्य नहीं करने चाहिए ।

कुछ अन्य नाक की एलर्जी के उपाय : Naak ki Allergy ke Liye Upay in Hindi

  • घर में काकरोच नियन्त्रण रखें ।
  • नियमित कीटनाशक छिड़कें ।
  • तीव्र गन्ध, इत्र, परफ्यूम्स आदि से बचें ।
  • दुर्गन्धनाशक एवं नेफ्थेलीन की गोलियां प्रयोग न करें ।
  • धूम्रपान न करें या अपने आसपास में न करने दें ।
  • वातानुकूलन एवं ह्यूमीडिफायर का नियमित रख रखाव रखें।

नाक की एलर्जी का घरेलू उपचार : Naak ki Allergy ka gharelu ilaj

किसी व्यक्ति को नाक में एलर्जी होने के रोग में गाय के शुद्ध घी की दिन में 2 बार 2-3 बूंद नाक के दोनों नथुनों में कुछ दिनों तक डालने से नाक में एलर्जी का रोग दूर हो जाता है।

नाक की एलर्जी की आयुर्वेदिक दवा : Naak ki Allergy ka Ayurvedic Ilaj

अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित योगी आयु तेल नाक की एलर्जी में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधि है।

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